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क्या है मकोका कानून जिसके तहत पहलवान सुशील कुमार पर कार्रवाई हो सकती है?

मौत की सजा होने तक का प्रावधान है.

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सुशील कुमार पर लग सकता है मकोका. (तस्वीर- पीटीआई)
सागर धनखड़ मर्डर केस में आरोपी पहलवान सुशील कुमार पर मकोका के तहत कार्रवाई हो सकती है. पुलिस को जांच के दौरान पता चला है कि सुशील, गैंगस्टर काला जठेड़ी और नीरज बवाना के संपर्क में था. आरोप है कि सुशील इन अपराधियों को लोगों के बारे में जानकारी भी उपलब्ध कराता था. बताया गया है कि साल 2018 से ही सुशील इन लोगों के साथ मिलकर काम कर रहा था. अब जानकारी आई है कि पूर्व ओलंपिक पदक विजेता को मकोका के तहत भी नामजद किया जा सकता है. इस रिपोर्ट में हम इस कानून को लेकर चर्चा करेंगे. क्या है मकोका? मकोका यानी महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून. इसके तहत उन अपराधियों पर कार्रवाई की जाती है, जो संगठित अपराध का हिस्सा हों. 90 के दशक में महाराष्ट्र में अपराध और अपराधी दोनों बढ़ गए थे. तब ऐसे कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी, जो संगठित अपराधों को रोकने में मदद करे. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार ने मकोका बनाया. ऐसे अपराध जिन्हें अकेले करना संभव नहीं होता और जिन्हें अंजाम देने के लिए प्लानिंग की जरूरत होती है, उन्हें रोकने के लिए ये लॉ 1999 में लागू कर दिया गया.
साल 2002 में दिल्ली सरकार ने भी मकोका को राजधानी में लागू कर दिया था. इसे काफी सख्त और कड़ा कानून माना जाता है. IPC की धाराओं में जब किसी के खिलाफ केस दर्ज किया जाता है तो अपराधी इनका तोड़ निकाल लेते हैं और बच निकलते हैं. लेकिन मकोका के तहत नामजद होने पर आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलती. बताया जाता है कि ये कानून उन अपराधियों के सिंडिकेट को तोड़ने और सजा दिलाने में सक्षम था, जो आदतन अपराध करते हैं.
अब इसकी कुछ खास बातें भी जान लीजिए-
- किसी व्यक्ति के खिलाफ मकोका के तहत मामला दर्ज करने से पहले एडिश्नल कमिश्नर की मंजूरी लेनी होती है. - मकोका के तहत केवल तभी मामला दर्ज होगा जब अपराधी 10 सालों के दौरान 2 संगठित अपराधों में शामिल रहा हो. - IPC में जहां चार्जशीट दाखिल करने की समयसीमा 60 से 90 दिनों की है, वहीं मकोका में पुलिस को ऐसा करने के लिए 180 दिनों का वक्त मिल जाता है. - IPC में पुलिस रिमांड अधिकतम 15 दिनों की होती है, जबकि मकोका में पुलिस रिमांड 30 दिनों तक की हो सकती है. - मकोका के तहत दोषी पाए जाने पर कम से कम 5 साल जेल होने का प्रावधान है. लेकिन अपराध की गंभीरता के हिसाब से दोषी को फांसी तक की सजा दी जा सकती है.
मकोका के तहत अपराधी पर 1 से 5 लाख रुपये तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है. साथ ही विटनेस को भी स्पेशल प्रोटेक्शन मिलता है. मकोका के केसों की सुनवाई भी स्पेशल मकोका कोर्ट में होती है. मकोका सिंडिकेट्स को तोड़ने के लिए बनाया गया था और इसमें ये सफल भी हुआ.
Sushil Kumar Investigation
फोटो: AP
सुशील कुमार पर मकोका क्यों? अगर सुशील कुमार पर मकोका लगाया गया तो साफ है कि पुलिस उन्हें एक ऐसा अपराधी मान रही है जो सोच समझ कर अपराध के रास्ते पर कदम बढ़ा रहा था और अपराधियों के साथ मिलकर फायदे के लिए अपराध कर रहा था. जांच में मिली जानकारियां इसका संकेत देती हैं. ये भी पता चला है कि सुशील ना सिर्फ लंबे वक्त से अपराधियों के संपर्क में रहते हुए उनकी मदद कर रहा था, बल्कि इन गैंगस्टर्स के साथ संबंधों से उसे फायदा भी हो रहा था.
पुलिस की जांच में सुशील के गैंगस्टर कनेक्शन पता चले हैं तो वहीं ये भी जानने में आया है कि एक व्यापारी ने सुशील पर धमकी देने और सामान के पैसे नहीं देने के आरोप लगाए हैं. पुलिस सुशील की पूरी कुंडली खंगाल रही है ताकि पता चल सके कि वो और किस तरह के अपराधों में शामिल रहा है या फिर अपराधियों के संपर्क में रहा है.
मकोका को विस्तार में समझने के लिए ये लिंक भी देख सकते हैं.