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3 वजहें कि पूनम पांडे का जागरुकता के नाम पर अपनी मौत की अफ़वाह फैलाना एक हल्का काम है, स्वांग है

Cervical Cancer पर जागरुकता फैलाने के नाम पर Poonam Pandey ने अपनी मौत की झूठी ख़बर बाज़ार में प्लांट कराई.

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पूनम पांडे ने 3 फरवरी को सामने आकर (बाएं) बताया कि वो सही-सलामत हैं. 2 फरवरी को उनकी मौत की जो ख़बर सामने आई थी (दाएं), वो झूठी थीं और उन्होंने ही प्लांट करवाई थीं. (फोटो- Poonam Pandey Instagram, X)

पूनम पांडे (Poonam Pandey Alive) ज़िंदा हैं. ईश्वर उन्हें लंबी उम्र दे. और कोई मानुष उन्हें 'शेर आया, शेर आया' वाली कहानी सुना दे, जो बचपन में हमने-आपने सुनी है.

"एक लड़का रोज़ जंगल में गाय चराने जाता था. वहां पहुंचकर हल्ला मचाता कि शेर आया, शेर आया. गांव के लोग लाठी-डंडा लेकर शेर भगाने पहुंचते तो हंसने लगता कि उल्लू बनाया, बड़ा मज़ा आया. ऐसा वो लड़का अक्सर करता. एक दिन सच में शेर आ गया. लगा चिल्लाने कि शेर आया, बचाओ..शेर आया, बचाओ. गांव के लोगों ने सोचा कि फिर से झूठ बोल रहा होगा. इस बार शेर सच्ची में आया था. लड़के की गाय खा गया. लोगों की भलमनसाहत, उनकी भावनाओं के साथ खेलकर लड़का अपनी विश्वसनीयता खो चुका था."

2 फरवरी को ख़बर आई कि पूनम पांडे नहीं रहीं. सर्विकल कैंसर के चलते उनका निधन हो गया. दिन भर ख़बर की पुष्टि नहीं हो सकी. पूनम का परिवार और उनका स्टाफ कॉन्टैक्ट से बाहर था. 3 फरवरी की सुबह पूनम पांडे स्वयं प्रकट हुईं. इंस्टाग्राम पर लाइव किया और बताया कि वो ज़िंदा हैं और ये सारा स्टंट सर्विकल कैंसर पर जागरुकता फैलाने के लिए किया था. कहा-

"मैं ज़िंदा हूं. सर्विकल कैंसर से मेरी मौत नहीं हुई है, लेकिन इससे कई और महिलाओं की मौत ज़रूर होती है. क्योंकि इस बारे में जागरुकता की कमी है. इसलिए लोगों का ध्यान इस ओर दिलाने के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा."

हम नहीं जानते कि पूनम ने जो किया, उसका इरादा वाकई जागरुकता फैलाने का था या ख़ालिस PR स्टंट था. लेकिन जागरुकता के नाम पर भी अपनी या किसी और की भी मौत की ख़बर फैला देना नैतिक तौर पर ग़लत है और बेहद असंवेदनशील हरकत है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसकी 3 बड़ी वजहों पर भी बात करते हैं.

#1 संवेदनाओं का भद्दा मज़ाक है

यूं तो PR स्टंट रचने में पूनम पांडे का लंबा ट्रैक रेकॉर्ड रहा है. लेकिन कोई ये कल्पना नहीं करता कि अपनी मौत के नाम पर कोई ऐसा करेगा. लिहाजा 2 फरवरी को ख़बर आने पर कई लोगों ने इस पर भरोसा किया. इमरान अली नाम के यूज़र ने X पर लिखा-

"पूनम पांडे ने कभी ये बताया तक नहीं कि वो सर्विकल कैंसर से लड़ रही हैं. वो अकेले ये लड़ाई लड़ती रहीं, मुश्किल हालात में भी मुस्कुराती रहीं और मुस्कुराते हुए ही इस दुनिया से चली गईं."

मानकदीप ने लिखा-

"अंतिम मीडिया इवेंट में भी पूनम पांडे के चेहरे पर मुस्कान थी. उन्होंने हर दिन को ऐसा जिया, जैसे आख़िरी हो. क्योंकि उन्हें पता था कि कोई भी दिन आख़िरी हो सकता है."

इन संवेदनाओं का पूनम पांडे क्या जवाब देंगी? जिन लोगों ने पूनम की मौत की ख़बर पर यकीन किया, उनके लिए दुखी हुए, क्या ये सब उनकी भावनाओं का भद्दा मज़ाक नहीं है?

#2 कैंसर पीड़ितों के नजरिये से शर्मनाक है

पूनम ने एक बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाने के नाम पर उसका मज़ाक बनाकर रख दिया. नेहा बिष्ट ने लिखा-

"किसी विषय पर जागरुकता फैलाना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए अपनी ही मौत की झूठी ख़बर फैला देना बहुत गिरी हुई बात है. शर्मनाक."

एक अन्य यूज़र ने लिखा-

"मुझे कल ही लग रहा था कि ये पब्लिसिटी स्टंट है. पूनम पांडे और राखी सावंत पर आप कभी भरोसा नहीं कर सकते. अटेंशन पाने का बहुत ही ख़राब तरीका."

नैंसी नाम की यूज़र ने लिखा-

"पूनम ने तो मज़ाक बनाकर रख दिया. अगर उन्हें वाकई में जागरुकता फैलानी थी तो किसी बेहतर तरीके से भी ये काम हो सकता था. लेकिन उन्होंने जो किया, वो शर्मनाक है. RIP, पूनम के लिए नहीं, उनकी सोच के लिए."

एक अन्य अकाउंट से लिखा गया कि जिन लोगों ने कैंसर से किसी अपने को खोया है, उन बारे में सोचकर ये हरकत बेहद शर्मनाक लगती है.

ये बात ठीक भी है. पूनम फ़ेक न्यूज़ फैलाकर जो काम करने का दावा कर रही हैं, उसी काम के लिए कई डॉक्टर, एक्टिविस्ट और सर्वाइवर्स एड़ियां घिस रहे हैं. पूनम का ये 'नकली' तरीका उन सब 'असल प्रयासों' को भी सेटबैक देने जैसा है.

#3 फ़ेक न्यूज़ फैलाई, भरोसा तोड़ा है

फ़ेक न्यूज़ के ज़िक्र से याद आया, पूनम की हरकत लीगली भी ग़लत है. ये एक किस्म से फ़ेक न्यूज़ फैलाना है और IT एक्ट के तहत अपराध है. सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर क़ानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता ने इस बारे में बताया- 

“कंप्‍यूटर, मोबाइल या अन्य इलेक्‍ट्रॉनिक माध्यम से अपराध के खिलाफ कार्रवाई के लिए IT एक्ट 2000 में प्रावधान हैं. धारा-67 के तहत झूठ फैलाना, झूठी जानकारी वाले ईमेल या मैसेज अपराध के दायरे में आते हैं. इस तरह का कॉन्टेंट शेयर करने पर जेल के साथ जुर्माना भी देना पड़ सकता है.”

जनता भी ऐसी ही मांग कर रही है. दीपेश नाम के यूज़र ने X पर लिखा- 

“पूनम पांडेय ने अपनी मौत की झूठी खबर उड़ाई. पब्लिक स्टंट के लिए कुछ भी करने वाले ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए.”

कुछ लोग हैं, जो पूनम के इस स्टंट से इत्तेफ़ाक रखते हैं. डॉ कृष्णा नाम के यूज़र ने लिखा-

"ये भले ही पब्लिसिटी स्टंट था लेकिन अच्छे काम के लिए था. कल तक मुझे सर्विकल कैंसर और HPV वैक्सीन के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन आज पता है. इसलिए उनको शुक्रिया."

"लोग मौत की ख़बर पर भी यकीन नहीं करेंगे"

दूसरी तरफ ऑल इंडिया सिने वर्कर्स असोसिएशन ने इससे जुड़े एक और बड़े पहलू पर ध्यान दिलाया. X पर पोस्ट किया कि पूनम की इस हरकत के बाद लोग फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े किसी व्यक्ति की मौत तक की ख़बर आने पर यकीन नहीं करेंगे. पूरा पोस्ट पढ़िए-

“पूनम पांडे का फ़ेक PR स्टंट पूरी तरह ग़लत है. सर्विकल कैंसर का नाम लेकर अपना प्रमोशन करना किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है. इसके बाद तो लोग फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े किसी व्यक्ति की मौत तक की ख़बर पर यकीन ही नहीं करेंगे. फ़िल्म इंडस्ट्री में आज तक कोई भी PR के लिए इतना नीचे नहीं गिरा. पूनम पांडे और उनके मैनेजर पर FIR होनी चाहिए.”

पूनम पांडे ने जागरुकता के नाम पर ये ख़बरें फैलाईं 'हॉटरफ्लाई' नाम की कंपनी की मदद से. हॉटरफ्लाई मुंबई बेस्ड एक वेबसाइट और PR कंपनी है, जो दावा करती है कि हम वीमनहुड के लिए काम करते हैं, माने महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर बात करते हैं. पूनम वीडियो में कह रही हैं कि ये मुहिम हॉटरफ्लाई की ही थी. ये भी कह रही हैं कि कोई और ये करने को तैयार नहीं था, इसलिए उन्होंने ऐसा किया. पूनम का ये भी दावा है कि इस कैम्पेन के लिए उन्होंने एक नया पैसा चार्ज नहीं किया.

अच्छा किया. ‘नेकी’ की. अब ‘नेकदिल’ पूनम पांडे ये भी बता दें कि क्या इस तरह के स्वांग से उनको सोशल मीडिया फॉलोइंग के रूप में या पब्लिसिटी के रूप में भी लाभ नहीं हुआ. ‘नेकदिल’ पूनम ये भी कहती हैं कि लोग सर्विकल कैंसर पर पर्याप्त बात नहीं कर रहे थे इसलिए उन्हें ऐसा करना पड़ा. तो लगे हाथ इस बात का भी जवाब दे दें कि जिन लोगों ने उनके निधन की ख़बर पर भरोसा कर लिया था, क्या वो आगे इस तरह की ख़बरों पर फौरन भरोसा कर पाएंगे.

(ये भी पढ़ें: पूनम पांडे ने सर्विकल कैंसर से मौत की झूठी ख़बर फैलाई थी! ये होता क्या है?)

पूनम पांडे इससे पहले भी कई तरह के PR स्टंट कर चुकी हैं. सबसे चर्चित तो वही था, जब उन्होंने 2011 में कहा कि भारत वर्ल्ड कप जीतता है तो मैं न्यूड हो जाऊंगी. राज कुंद्रा वाले पॉर्नोग्राफी केस में भी पूनम का नाम आया था. यानी विवादों से साथ और विश्वसनीयता का संकट तो उनके साथ पहले से है. लेकिन कोई अपनी मौत की ख़बर तो झूठी प्लांट नहीं करा सकता, सोचकर जनता ने इस बार उन पर भरोसा किया. संवेदनाएं भी जताईं. लेकिन हुआ क्या?

एक फरवरी को आए अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि सर्विकल कैंसर की वैक्सीन को सरकार प्रोत्साहन देगी. इसी के एक दिन बाद ख़बर आती है कि पूनम पांडेय का सर्विकल कैंसर से निधन हो गया. इसी के एक दिन बाद ख़बर आती है कि नहीं नहीं, पूनम ज़िंदा हैं. ये तो जागरुकता के लिए था. अब ‘नेकदिल’ पूनम पांडे ये भी बता दें क्यों न माना जाए कि उन्होंने सरकार की एक ज़रूरी मुहिम से उपजे कीवर्ड को भुनाने के लिए, इसके दम पर वापस सुर्ख़ियों में आने के लिए ही ये सारा स्वांग रचा. 

मृत्यु एक सत्य होने के साथ-साथ एक विनम्र करने वाला भाव भी है. हम जानते हैं कि यही सबकी परिणति है और ये भान हमें खुद विनम्र करता है. साथ ही किसी दूसरे से कितने भी मतभेद या दुश्मनी रखें, उसके न रहने पर हम उसके प्रति भी विनम्र होते हैं. ये सोचकर कि कैसे भी थे, अब नहीं रहे. मृत्यु से जुड़े ये सारे भाव इसे एक किस्म की शुद्धता भी देते हैं कि इस बारे में कोई अपने या दूसरे से जुड़ा झूठ नहीं बोलता, मज़ाक नहीं करता, कोई किसी को कोसते हुए भी उसके बारे में ऐसी कामना नहीं करता. लेकिन पूनम पांडेय ने ‘मृत्यु’ से जुड़े अतिसंवेदनशील भावों का भी मज़ाक बनाकर रख दिया. फिर भले ही कारण वही हो, जो वो बता रही हैं.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: पूनम पांडे की मौत की खबर पर किसने क्या लिखा?