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PM मोदी के शपथ ग्रहण में आएंगे मुइज्जू, विवादों के बीच एक नज़र भारत और मालदीव के रिश्तों पर

समय के साथ दोनों देशों के बीच तल्खी कम होती दिखी. उम्मीद की जा रही है कि मुइज्जू को शपथ ग्रहण में आने से भारत और मालदीव के बीच पनपी दूरी कम होगी और संबंध प्रगाढ़ होंगे.

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मालदीव के राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज्जु शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने वाले हैं. (तस्वीर-आजतक)

9 जून को नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. इस समारोह में बांग्लादेश, श्रीलंका, सेशेल्स, मॉरीशस, नेपाल, और भूटान जैसे पड़ोसी देश के बड़े नेता शामिल होंगे. मेहमानों की लिस्ट में एक नाम ऐसा भी है जिस देश से बीते कुछ महीनों में खींचतान देखी गई है. मालदीव के राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज्जु शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने वाले हैं.  तो एक नज़र डालते हैं मालदीव और भारत के रिश्तों पर. एक-दूसरे के लिए कितने जरूरी है दोनों देश. राष्ट्रपति मुइज्जु  के नई दिल्ली से कैसे संबंध रहे हैं.

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मालदीव और भारत

मालदीव दक्षिण एशिया में बसा एक छोटा सा देश है. कोलोनियल पीरियड यानी औपनिवेशिक काल में मालदीव पर पुर्तगाल, डच और ब्रिटेन ने शासन किया. सबसे आख़िरी शासक ब्रिटेन था. 1965 में मालदीव आज़ाद हो गया था. उस दौर में भी मालदीव बेसिक ज़रूरतों के लिए भारत पर निर्भर था. भारत मालदीव को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था. आज के वक्त में, मालदीव की आबादी लगभग 5 लाख 22 हज़ार है. इनमें से 98 फीसदी लोग इस्लाम का पालन करते हैं.

मालदीव और भारत के रिश्तों की बात करें तो भारत शुरू से ही मालदीव की मदद करने वाले देशों में रहा है. 2004 की सुनामी में जब मालदीव मुश्किल में था. तब वहां भारत ने सबसे पहले मदद भेजी थी. इसके साथ ही, 

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- भारत, मालदीव का सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर हैं.
- स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, मालदीव के सबसे बड़े बैंकों में से है.
- हर साल हज़ारों भारतीय पर्यटन के सिलसिले में मालदीव जाते हैं. ये वहां की अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े सोर्स में से एक है.
- इसी तरह बड़ी संख्या में मालदीव के नागरिक इलाज के लिए भारत आते हैं.
- भारत ने मालदीव के इंफ़्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भी ख़ूब पैसा लगाया है. लगभग 4 हज़ार करोड़ रुपये के रोड और ब्रिज प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं. लगभग 11 सौ करोड़ रुपये दो एयरपोर्ट के विकास के लिए दिए हैं. ये पैसा लाइन ऑफ़ क्रेडिट के थ्रू दिया गया है.
- 2022-23 में भारत ने मालदीव के लिए 183 करोड़ रुपये अलॉट किए थे. 2023-24 में इसको बढ़ाकर 771 करोड़ कर दिया गया है.

इन सबके साथ बीच-बीच में ऐसा भी समय आया जब दोनों देशों के संबंध खराब हुए. ताज़ा मामले की बात करें तो 4 जनवरी 2024 में नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया अकाउंट पर लक्षद्वीप दौरे की कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं थीं. मोदी ने कहीं भी मालदीव का नाम नहीं लिया था. मगर वहां कुछ लोगों ने इसे अपनी पहचान से जोड़ लिया. मुइज़्ज़ू सरकार के तीन जूनियर मंत्रियों ने भारत और पीएम मोदी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की. तीनों को बाद में बर्खास्त कर दिया गया था. हालांकि, भारत ने इसपर आधिकारिक आपत्ति दर्ज की थी. बदले में मुइज्जु की तरफ से भी भारत के लिए तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया गया. 

लेकिन समय के साथ दोनों देशों के बीच तल्खी कम होती दिखी. उम्मीद की जा रही है कि मुइज्जु  को शपथ ग्रहण में आने से भारत और मालदीव के बीच पनपी दूरी कम होगी.

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मुहम्मद मुइज़्जू की बात करें तो राष्ट्रपति बनने से पहले मालदीव की राजधानी माले के मेयर थे. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के सपोर्ट से मुइज़्जू की पार्टी PNC 2019 में बनी. यामीन 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति थे. उन्हीं के कार्यकाल में मालदीव ने चीन के वन बेल्ट वन रोड को जॉइन किया था. कुर्सी से उतरने के बाद यामीन के ख़िलाफ़ मानवाधिकार उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोप लगे. 2019 में एक केस में उन्हें 11 साल की सज़ा हो गई थी. इसके बाद 2023 में यामीन के सपोर्ट से मुइज़्ज़ू मालदीव के राष्ट्रपति बन गए. 

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