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एक अफवाह से कैसे भड़का सालों पुराना विवाद? असम के कार्बी आंगलोंग में हिंसा की पूरी कहानी

Assam Karbi Anglong Violence: असम के कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग में बीते दो दिन से हिंसा जारी है. भीड़ ने कई दुकानों और गाड़ियों में आग लगा दी. पुलिस पर पथराव किया. यहां तक कि विस्फोटक भी फेंके गए. 2 लोग मारे भी गए हैं. लेकिन सवाल है कि आखिर हिंसा हो क्यों रही है. दरअसल इसके पीछे सालों से चला आ रहा विवाद है.

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असम के कार्बी आंगलोंग में बीते दो दिनों से जारी है हिंसा. (Photo: PTI)

असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के खरोनी इलाके में 6 दिसंबर से कुछ लोग भूख हड़ताल पर बैठे थे. हड़ताल 16 दिन चली. इस बीच 22 दिसंबर की रात खबर फैली कि पुलिस हड़ताल कर रहे कुछ लोगों को उठाकर ले गई है. देखते ही देखते सुबह तक वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई. लोग उग्र हो गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इस बीच भीड़ हिंसक हो जाती है.

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दो दिन से जारी हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई. कई लोग घायल हुए हैं. वहीं 50 के करीब पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए हैं. असम के डीजीपी के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर विस्फोटक, पत्थर और तीर से हमला किया. कई दुकानों में तोड़-फोड़ की और कई गाड़ियों में भी आग लगाई. हिंसा के बीच कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (KAAC) के प्रमुख और भाजपा नेता तुलिराम रोंगहांग के घर में आग भी लगाई गई.

क्या है KAAC?

बता दें कि KAAC कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में जमीन, परंपरा और स्थानीय मामलों के लिए बनाई गई एक ऑटोनॉमस यानी स्वायत्त प्रशासनिक बॉडी है. यह यहां की जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए जिम्मेदार है. ध्यान देने वाली बात यह है कि इन दोनों जिलों को संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत स्वायत्तता प्राप्त है. यानी कि यहां के जंगल, जमीन और संस्कृति पर यहीं के स्थानीय लोगों का अधिकार है. सरकार का दखल मुख्य रूप से प्रशासनिक कामों पर होता है. यह विशेष अधिकार आदिवासी इलाकों को दिए जाते हैं.

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क्या है पूरा विवाद?

अब सवाल है कि कार्बी आंगलोंग में हिंसा भड़की क्यों है और विवाद क्या है? आसान भाषा में बताएं तो पूरा विवाद विलेज ग्रेजिंग रिजर्व (VGRs) और प्रोफेशनल ग्रेजिंग रिजर्व (PGRs) की आरक्षित जमीनों को लेकर है. अब यह क्या बला है. दरअसल, असम में पशुपालन और उनके चारा के लिए राज्य भर में जमीनें आरक्षित हैं. इन्हें विलेज ग्रेजिंग रिजर्व और प्रोफेशनल ग्रेजिंग रिजर्व कहा जाता है. नाम से ही साफ है कि VGR ग्रामीण चरवाहों के लिए और PGR व्यावसायिक चरवाहों के लिए आरक्षित जमीनें हैं. असम के लैंड एंड रेवेन्यू रेगुलेशन और उससे जुड़े भूमि नियमों के तहत यह जमीनें चरवाहों के लिए आरक्षित की गई हैं.

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प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर पत्थर फेंकते लोग. (Photo: PTI)
अवैध कब्जे का आरोप

कार्बी आंगलोंग में यह जमीनें और भी संवेदनशील बन जाती हैं, क्योंकि यह 6वें शेड्यूल के अंतर्गत भी आता है. अब यहां के स्थानीय कार्बी आदिवासी समुदाय के लोगों का लंबे समय से आरोप रहा है कि इन जमीनों पर बाहरी लोग आकर बस गए हैं. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कार्बी समुदाय ने उत्तर प्रदेश और बिहार के नोनिया समेत हिंदी भाषी और गैर-आदिवासी समुदाय के लोगों के बसने का आरोप लगाया है. अब यह विवाद तो दशकों पुराना है. लेकिन ताजा विवाद भड़कने की कहानी शुरू होती है फरवरी 2024 से. जमीनी विवादों पर नजर रखने वाले पोर्टल लैंड कॉन्फ्लिक्ट वॉच की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2024 में KAAC ने कार्बी आंगलोंग और वेस्ट कार्बी आंगलोंग में आरक्षित चरागाह जमीनों को खाली करने का नोटिस दिया. यह नोटिस कथित तौर पर 7,184.7 एकड़ जमीन पर अवैध रूप से बसे लगभग 10,000 लोगों को दिए गए थे.

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सालों से रहने का दावा

नोटिस के विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए. लोगों का कहना था कि वह सालों से यहां रहते आ रहे हैं. यह उनकी जमीन है. वोटर आईडी, आधार कार्ड से लेकर सारे दस्तावेज मौजूद हैं. इसके बाद नोनिया सहित हिंदी भाषी समुदाय के लोगों ने इन जमीनों से आरक्षण हटाने और उन्हें इसका कानूनी मालिकाना हक दिलाने की की. KAAC के फैसले के खिलाफ इन लोगों ने कोर्ट में PIL भी दाखिल की. इसके अलावा असम में हिंदी भाषी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले RSS समर्थित संगठन रचनात्मक नोनिया संयुक्त संघ (RNSS) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भी सौंपा था. ज्ञापन में उनकी बस्तियों को कानूनी मान्यता देने की मांग की गई थी. इसका कार्बी समुदाय के लोगों ने विरोध भी किया था. 15 फरवरी, 2024 को इस विवाद को लेकर हिंसा भी हुई थी, जिसमें 11 लोग घायल हुए थे और 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

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गुवाहाटी हाई कोर्ट में चल रहा है जमीन विवाद का पूरा मामला. (Photo: File/ITG)
कोर्ट ने लगाया है स्टे

मोटा-मोटी कार्बी समुदाय के लोगों का कहना है कि उनकी जमीनों पर बाहरी लोग कब्जा कर रहे हैं. वहीं गैर आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना है कि वह सालों से वहां रह रहे हैं और उनकके पास सभी कागजात हैं. उन्हें जमीन का हक मिलना चाहिए. बहरहाल, यह विवाद अब कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट ने आदेश न आने तक किसी को भी जमीन से बेदखल करने पर अंतरिम रोक लगाई हुई है. ऐसे में KAAC और सरकार दोनों का कहना है कि जब तक कोर्ट का आदेश नहीं आ जाता, इस मामले में कुछ नहीं किया जा सकता.

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अभी हिंसा क्यों हुई?

ऐसे में अब क्यों हिंसा भड़की है, यह जानने के लिए वहीं लौटते हैं, जहां से कहानी शुरू होती है. 6 दिसंबर को कार्बी समुदाय के लोग वापस से PGR और VGR की जमीनों से बाहरी रहवासियों को हटाने की मांग करते हुए भूख हड़ताल शुरू करते हैं. 16 दिन तक हड़ताल चलती है, लेकिन पुलिस द्वारा आंदोलन कर रहे लोगों को ले जाने से हिंसा भड़क जाती है. हालांकि पुलिस ने साफ किया है कि उन लोगों को सामान्य मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया था. किसी को भी हिरासत में नहीं लिया गया. यह सरासर अफवाह है. पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों से शांति की अपील की है. सरकार ने भी प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए बुलाया है. असम के कैबिनेट मंत्री रनोज पेगु ने कहा है कि आंदोलन कर रहे लोग भूख हड़ताल खत्म करने पर राजी हो गए हैं. 26 दिसंबर को राज्य सरकार और कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल के साथ वह लोग तीन-तरफा बातचीत में हिस्सा लेंगे. पेगु ने कहा कि हमने कार्बी समुदाय को भरोसा दिलाया है कि सरकार जमीन के अधिकारों और दूसरे आदिवासी मुद्दों को लेकर गंभीर है. कहा कि बातचीत में कार्बी समुदाय से जुड़े बड़े मुद्दों पर बात की जाएगी.

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