पाकिस्तान में लोकतंत्र का पस्त रेकॉर्ड रहा है. वहां कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर ले, तो बड़ी बात होती है. जुलाई 2018 में पाकिस्तान में चुनाव हुए थे और ऐसा पहली बार हुआ था कि वहां बैक-टू-बैक दो सरकारों ने अपना कार्यकाल पूरा किया. ये ऐतिहासिक था. तब दि लल्लनटॉप का हिस्सा रहीं स्वाति ने पाकिस्तान की राजनीति पर एक सीरीज़ लिखी थी. ये आर्टिकल उस सीरीज़ की 13वीं किस्त थी, जो 14 अगस्त 2018 को प्रकाशित हुई थी. 12 अगस्त 2021 को पाकिस्तान के तानाशाह जिया-उल-हक की 96वीं जन्मतिथि पर ये आर्टिकल फिर आपके सामने पेश है.
जिया-उल-हक: पाकिस्तान का सबसे बड़ा विलेन, जो ऐसी मौत मरा कि पहचाना भी नहीं गया
जिया-उल-हक ने सत्ता के लिए इस्लाम का इस्तेमाल किया, लेकिन मुसलमानों की दुर्गति की.
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ज़िया ने पाकिस्तान को चुनिंदा चीजें दीं. एक, कट्टरपंथी इस्लाम. दूसरा, सांप्रदायिक नफरत. अफगानिस्तान में सोवियत और अमेरिका का झगड़ा था. इसमें शामिल होकर भी ज़िया ने पाकिस्तान का बंटाधार करवाया. ज़िया शायद उन बेहद गिने-चुने शासकों में आते हैं, जिन्होंने अपने जीते-जी अपने देश को कोई भी अच्छी चीज नहीं दी (फोटो: Getty)
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