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हरियाणा में अविश्वास प्रस्ताव: मनोहर लाल खट्टर की सरकार कितने संकट में है?

10 मार्च को कांग्रेस लाएगी अविश्वास प्रस्ताव.

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बतौर सीएम ये मनोहर लाल खट्टर का ये दूसरा कार्यकाल है. फोटो- PTI
10 मार्च को हरियाणा विधानसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना है. मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने ये अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है. हरियाणा में BJP-JJP के गठबंधन वाली सरकार है. इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने लोगों से अपील की है कि वे अपने विधायकों से सरकार के खिलाफ वोट करने को कहें.
हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र चल रहा है और कांग्रेस ने खट्टर सरकार को घेरने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का दांव खेला है. विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है. पूर्व सीएम हुड्डा, केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में ये अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से पता चल जाएगा कि कौन सा विधायक सरकार के साथ खड़ा है और कौन किसानों के साथ खड़ा है.
हरियाणा विधानसभा के स्पीकर हैं ज्ञानचंद गुप्ता, जो विधानसभा नियमावली का हवाला देकर ये बात कह चुके हैं कि जो विधेयक लोकसभा से पास होकर कानून बन चुका है, उस पर राज्य विधानसभा में चर्चा नहीं हो सकती. दरअसल कांग्रेस बजट सत्र के पहले ही दिन यानी 5 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती थी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने इसके लिए 10 मार्च की तारीख तय कर दी है.
भूपिंदर सिंह हुड्डा मार्च, 2005 से लेकर अक्टूबर, 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. फाइल फोटो. इंडिया टुडे. भूपिंदर सिंह हुड्डा मार्च, 2005 से लेकर अक्टूबर, 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.
हरियाणा विधानसभा की स्थिति हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. फिलहाल सदन में 88 विधायक हैं. दो सीटें खाली हैं. प्रदीप चौधरी को सजा होने के चलते उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो चुकी है, वहीं इनेलो के अभय चौटाला, किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दे चुके हैं. 88 में से 40 विधायक BJP के हैं, 30 कांग्रेस के, 10 JJP के, 7 निर्दलीय और 1 हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा हैं.
हरियाणा में BJP और JJP की सरकार है.  विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायकों की जरूरत होती है. BJP 40 और JJP 10 मिलकर ये आंकडा आसानी से छूते दिखते हैं. इसके अलावा गठबंधन के पास 5 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन था. लेकिन JJP के 6 विधायक केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ और किसान आंदोलन के समर्थन में हैं. वहीं सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों में से 2 विधायक भी किसान आंदोलन के साथ हैं.
दुष्यंत चौटाला और मनोहर लाल खट्टर. दुष्यंत चौटाला और मनोहर लाल खट्टर. फाइल फोटो.
संयुक्त किसान मोर्चा की अपील संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से डॉक्टर दर्शन पाल सिंह ने अपनी अपील में कहा कि लोगों को BJP और JJP विधायकों पर दवाब डालना चाहिए क्योंकि किसानों की मांगों से केंद्र सहमत नहीं हो रही है और उसने चुप्पी साध रखी है. उन्होंने कहा,
"आपको विधायकों से अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदाव करने को कहना चाहिए. खट्टर सरकार को पता चलना चाहिए कि लोग इस आंदोलन के साथ खड़े हैं. और 10 मार्च को सरकार गिराने में अपनी भूमिका निभाएंगे."
आपको बता दें कि यदि अविश्वास प्रस्ताव गिर गया तब अगले 6 महीने तक विपक्ष दोबारा से अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं कर पाएगा. कांग्रेस के पास केवल 30 विधायक हैं और ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि 10 तारीख को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान क्या होगा?

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