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इस शख्स के घर का बेडरूम भारत में, लिविंग रूप म्यांमार में, दोनों देशों के वोटर आईडी भी रखता है

नागालैंड का एक गांव है, लोंगवा. ये भारत और म्यांमार दोनों देशों में स्थित है. इस गांव के मुखिया का आधा घर भारत और आधा घर म्यांमार में आता है. इतना ही नहीं, ये दोनों देशों में वोट भी डालते हैं.

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टोनीई कोन्याक म्यांमार में 30 और भारत में 5 गांवों पर शासन करते हैं.
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अफरीदा हुसैन

गृह मंत्रालय ने इस साल फरवरी में भारत और म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रिज़ीम (FMR) को खत्म करने का फैसला किया. FMR के तहत भारत-म्यांमार सीमा के इर्द-गिर्द रहने वाले लोग सीमा के 16 किलोमीटर अंदर तक बिना किसी दस्तावेज के आ-जा सकते थे. इस बीच भारत के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड के एक गांव की चर्चा है. मोन जिले का गांव, लोंगवा. इस गांव की खास बात है कि ये भारत और म्यांमार दोनों देशों में फैला हुआ है. इतना ही नहीं, इस गांव के मुखिया भारत और म्यांमार दोनों देशों में वोट डालते हैं.

भारत और म्यांमार दोनों देश का वोटर कार्ड!

इंडिया टुडे NE की अफरीदा हुसैन की रिपोर्ट के मुताबिक लोंगवा गांव के मुखिया, जिन्हें ‘आंग’ कहते हैं, टोनीई कोन्याक (Tonyei Konyak) हैं. इस गांव में कोन्याक जनजाति के लोग बसते हैं. टोनीई कोन्याक एक तरह से कोन्याक जनजाति के राजा हैं. इस इलाके में ‘आंग’ का शासन राजनीतिक सीमा से परे है. टोनीई कोन्याक म्यांमार में 30 और भारत में 5 गांवों पर शासन करते हैं. गांव की सीमाई स्थिति कुछ ऐसी है कि ‘आंग’ टोनीई कोन्याक का आधा घर भारत में और आधा घर म्यांमार में आता है. इनके घर का बेडरूम भारत में आता है और लिविंग रूम म्यांमार में आता है. 

(फोटो: INDIA TODAY NE)

टोनीई कोन्याक ने इंडिया टुडे NE को बताया कि उनके पास भारत और म्यांमार दोनों देशों का वोटर कार्ड है. उनके पास भारत का आधार कार्ड भी है. हालांकि, वो भारत और म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रिज़ीम (FMR) को खत्म करने के फैसले से चिंतित हैं. उनका कहना है कि उनके समुदाय के लोगों का संबंध भारत-म्यांमार सीमा की दोनों तरफ है. लोगों की आवाजाही दोनों ही ओर जारी रहती है. FMR के खत्म होने से गांव के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो सकती है. इसी के तहत टोनीई कोन्याक ये भी नहीं चाहते कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाई जाए.

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दोनों देशों से गांव को मिलती हैं सुविधाएं

लोंगवा के ग्राम परिषद सचिव लोंगी कोन्याक ने भी बताया कि यहां पारिवारिक रिश्ते भारत और म्यांमार की सीमाओं से परे हैं. वो अपने माता-पिता के साथ गांव के म्यांमार वाले हिस्से में रहते हैं, जबकि उनका भाई भारतीय हिस्से में रहता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोंगवा के ग्रामीण अपनी पहचान भारतीय या म्यांमार की राष्ट्रीयता से नहीं, बल्कि अपने गांव के सदस्य के रूप में करते हैं. उन्होंने बताया कि गांव को दोनों देशों से फायदा मिलता है, म्यांमार शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए विकासात्मक सुविधाएं देता है, जबकि भारत राशन और पानी की आपूर्ति करता है.

गांव के मुखिया टोनीई कोन्याक खुद को BJP का समर्थक बताते हैं. भारत में होने वाले चुनावों में वो किसका पक्ष लेंगे, इस सवाल पर वो BJP के लिए वोट करने का इरादा जाहिर करते हैं. उनका मानना है कि BJP इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख पार्टी है. 

दो देशों की सीमा के बीच लोंगवा गांव के 'आंग' शांति और एकता चाहते हैं. सद्भाव को बढ़ावा देने के प्रति उनका अटूट समर्पण, भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच लोंगवा गांव के लोगों की दृढ़ता को उजागर करता है.