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अंबानी 12 हजार रुपये का डिवाइस लेकर आ रहे हैं, बहुत जरूरी काम करेगा!

क्या काम करेगा अंबानी का टेस्टिंग किट?

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जीनोम टेस्टिंग किट लाने जा रहा है रिलायंस ग्रुप (फोटो- आजतक/PTI)

पेट्रोलियम, टेक्सटाइल, केमिकल और सर्विसेज. इन सेक्टर में बिजनेस के बाद उद्योगपति मुकेश अंबानी अब हेल्थकेयर सेक्टर में कुछ नया करने जा रहे हैं. नया है जीनोम टेस्टिंग (Genome Testing) से जुड़ा. रिलायंस ग्रुप जीनोम टेस्टिंग के लिए एक किट लाने का प्लान बना रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि ये किट बाजार में अभी उपलब्ध टेस्टिंग किट से करीब 86 फीसदी तक सस्ती होगी. यानी रिलायंस ग्रुप जेनेटिक मैपिंग (Genetic Mapping) बिजनेस में अपनी पैठ बढ़ाने जा रहा है. क्या होता है जेनेटिक मैपिंग और क्यों अंबानी इसमें इंटरेस्टेड हैं. सब समझते हैं.

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कैंसर व हार्ट अटैक के बारे में पहले से पता चलेगा!

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी स्टार्टअप ‘23andMe’ द्वारा शुरू किए गए हेल्थ केयर ट्रेंड को अंबानी भारत में लाने का प्लान बना रहे हैं. इसके साथ ही रिलायंस ग्रुप भारत में हेल्थकेयर की सुविधाओं को किफायती बनाने का काम भी करेगा. ग्रुप आने वाले कुछ हफ्तों में 12 हजार रुपये की कीमत वाली जीनोम टेस्टिंग किट लॉन्च करने जा रहा है. मीडिया को ये जानकारी स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज प्राइवेट (Strand Life Sciences Pvt.) के CEO रमेश हरिहरन ने दी है. ये प्रोडक्ट इसी कंपनी ने बनाया है.

जानकारी के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने बेंगलुरु की इस कंपनी को साल 2021 में खरीदा था. वर्तमान में रिलायंस ग्रुप के पास इस कंपनी की 80 फीसदी हिस्सेदारी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किट की जानकारी देते हुए रमेश हरिहरन ने कहा,

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“ये किट कैंसर, हार्ट अटैक, न्यूरो से जुड़ी बीमारियां और जेनेटिक डिसऑर्डर के बारे में किसी व्यक्ति की प्रवृत्ति का आकलन करने में मदद करेगी. इस किट से पहले से ही ये पता लगाने में मदद मिलेगी कि किसी व्यक्ति को कोई बीमारी होने की कितनी संभावना है.”

हरिहरन ने आगे कहा कि ये दुनिया में इस तरह का सबसे सस्ता जीनोमिक प्रोफाइल होगा. यही नहीं इससे बायोलॉजिकल डेटा का एक खजाना तैयार करने में भी मदद मिलेगी. इस क्षेत्र में दवाओं के विकास और बीमारियों से बचने में भी मदद का रास्ता खुलेगा.

अंबानी को क्यों है जीनोम के बिजनेस में इंटरेस्ट?

अव्वल तो भारत में जीनोम मैपिंग के लिए जो किट उपलब्ध हैं उनका दाम आम आदमी के लिए काफी ज्यादा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मार्केट में कॉम्पिटिशन बढ़ाकर रिलायंस ग्रुप इस सेक्टर में अपने पांव जमाना चाहता है. इसके अलावा आने वाले समय में जेनेटिक टेस्टिंग मार्केट का वैल्यूएशन बढ़ने के अनुमान भी हैं.

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बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अंबानी समूह जेनेटिक टेस्टिंग के मार्केट को कब्जाने के लिए रिलायंस ग्रुप जीनोम टेस्टिंग बिजनेस की ओर देख रहा है. इन सब के अलावा डेटा की बात तो है ही. जीनोम टेस्टिंग सर्विस से बड़े स्तर पर बायोलॉजिकल डेटा तैयार करने में मदद मिलेगी. जिससे बीमारी और इलाज के बारे में पता लगाने में भी मदद मिलेगी.

क्या होता है जीनोम?

इसे समझने से पहले याद करते हैं अपना ब्रह्माण्ड. जो कि लाखों-करोड़ों ग्रहों और तारों के समूह से बना होता है. इसी तरह ब्रह्माण्ड रूपी हमारा शरीर भी छोटे-छोटे सेल (Cell)/कोशिकाओं से बना होता. लाखों-करोड़ों कोशिकाओं से. इन कोशिकाओं के भीतर जेनेटिक मटेरियल (Genetic Material) होता है. जिसे DNA, RNA के नाम से भी जाना जाता है. इन सभी जेनेटिक मटेरियल को सामूहिक रूप से जीनोम (Genome) कहा जाता है.

जैसे पृथ्वी और सूरज या चंद्रमा की दूरी मापी जाती है, उसी प्रकार एक जीन (Gene) के स्थान और जीन के बीच की दूरी की पहचान करने के लिए एक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इसी तकनीक को जीनोम मैपिंग (Genome Mapping) कहते हैं. इसी टेस्ट के लिए रिलायंस ग्रुप एक किट लॉन्च करने वाला है.

अब बात करते हैं जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट की.

जीनोम सिक्वेंसिंग किसी वायरस का बायोडेटा होता है. यानी अगर आपकी कोशिकाओं में किसी वायरस का आक्रमण हुआ, तो वायरस की जानकारी जीनोम सिक्वेंसिंग से की जा सकती है. वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, ये सारी जानकारी जीनोम सिक्वेंसिंग से मिलती है.

जीनोम मैपिंग से क्या फायदा?

जीनोम मैपिंग की मदद से किसी इंसान की बीमारी के बारे में पता लगाया जा सकता है. उसे कौन सी बीमारी हो सकती है, उसके क्या लक्षण हो सकते हैं, ये सारा लेखा-जोखा जीनोम मैपिंग आपको बताता है.

यही नहीं, जीनोम मैपिंग से ये भी पता लगा सकते हैं कि हमारे देश के लोग बाकी देशों के लोग से कैसे अलग हैं. और यदि उनमें कोई समानता है तो वो क्या है? इसके आगे ये भी पता चल सकता है कि गुण कैसे डिसाइड होते हैं तथा बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है. समय रहते बीमारी का पता चलने से उसका सटीक इलाज भी खोजा जा सकता है.

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