आर्म्स एक्ट में क्या-क्या बदलाव हुए?
- कानूनी तौर पर कोई व्यक्ति सिर्फ दो बंदूक रख सकता है. पहले तीन बंदूकें रखने की इजाज़त थी. जिनके पास दो से ज़्यादा बंदूकें होंगी, उन्हें एक साल का वक्त मिलेगा. एक साल के बाद 90 दिन का विंडो पीरियड मिलेगा, हथियार जमा करने के लिए. 90 दिन के अंदर एक्स्ट्रा हथियार नज़दीकी पुलिस स्टेशन में या किसी लइसेंसधारी डीलर के पास जमा करवाने होंगे. किसी आर्म्ड फाॅर्स मेंबर के पास अगर एक्स्ट्रा हथियार है तो वो किसी भी यूनिट शस्त्रागार में उन्हें जमा कर सकता है.
- नए कानून में रजवाड़ों को भी कोई रियायत नहीं दी गई है. उन्हें भी सिर्फ दो हथियार रखने की इजाज़त होगी. पुश्तैनी हथियार अगर दो से ज़्यादा हैं तो उन्हें भी जमा करवाना होगा.
- बंदूक रखने के लिए लाइसेंस की वैलिडिटी अब 3 से बढ़कर 5 साल की हो गई. यानी लाइसेंस रिन्यू करने की किच-किच से 2 साल की एक्स्ट्रा छुट्टी.
- बंदूकें बनाने, उनकी खरीद-फरोख्त, उन्हें लाने-ले जाने और उसके रख-रखाव हर चीज़ के लिए लाइसेंस की ज़रूरत होगी. पहले सिर्फ बिना लाइसेंस के हथियार बनाने पर पाबन्दी थी.

सज़ा और भी ज्यादा सख्त होगी
- पहले गैरकानूनी हथियार रखने पर 5 से 10 साल तक की होती थी. अब इसे बढ़ाकर 7 से 14 साल कर दिया गया है.
- पहले गैरकानूनी तौर पर हथियारों के लेन-देन या रख-रखाव के लिए जुर्माने के साथ 3 से 7 साल तक की सजा होती थी. अब ये 7 साल से उम्रकैद तक हो सकती है.
अपराधों की लिस्ट लम्बी हो गयी है
- अब हर्ष फायरिंग करना गैरकानूनी है. और कोई फायरिंग करते पकड़ा गया तो दो साल की कैद या एक लाख तक का जुर्माना लग सकता है.
- बिल में कुछ नई चीज़ों को अपराध के दायरे में शामिल किया गया है. जैसे- पुलिस या आर्म्ड फोर्स से बन्दूक छीनने पर 10 साल की कैद या उम्रकैद हो सकती है.
- जिन हथियारों का कोई कानूनी ब्योरा नहीं है, उनकी भारत से बाहर बिक्री अवैध तस्करी की श्रेणी में आएगा. इसके लिए 10 साल तक की सज़ा होगी, साथ ही जुर्माना लगाया जाएगा.
- किसी भी संगठित अपराधी दल के सदस्यों द्वारा बिना लाइसेंसी हथियार का इस्तेमाल करने पर या धमकाने पर, या आर्थिक लाभ इत्यादि के लिए इस्तेमाल करने पर पूरे समूह को इसका दोषी माना जाएगा. दल के सदस्य को 10 साल जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है.
- छोटे अपराधों के लिए अब 5 साल की सजा होगी. इसके लिए पहले 3 साल की सजा दी जाती थी.
इनके लिए कोई बदलाव नहीं
कानूनी तौर पर रखे जाने वाले बंदूकों की संख्या के कम होने से सबसे बड़ी परेशानी थी खिलाड़ियों और रिटायर्ड सैन्य बल के सदस्यों को. इस कानून में उनके अधिकारों में कोई बदलाव नहीं किये गए हैं. वहीं खिलाड़ियों के लिए लाइसेंस के प्रकार बढ़ गए हैं, साथ ही अब खिलाड़ी प्रैक्टिस के लिए अपनी ज़रूरत के हिसाब से बंदूक रख सकते हैं.
इस खबर को हमारे साथ इंटर्नशिप कर रही गौतमी ने लिखा है.