The Lallantop

कृष्ण और उनकी गोपियों के बारे में बताने वाला श्लोक असल में गणित का बहुत बड़ा फ़ॉर्मूला है

लोग ऐसा भी कहते हैं कि ये श्लोक सीक्रेट कोड हुआ करते थे.

post-main-image
इतिहास के बारे में जानना अच्छी बात है. उसमें से अपना अभिमान बढ़ाने वाला कंटेंट जुटा लेना भी ठीक है. लेकिन -
"महाभारत काल में इंटरनेट था." - मुख्यमंत्री, त्रिपुरा.
"जर्नलिज्म भी महाभारत काल में शुरू हुआ था." - उपमुख्यमंत्री, उत्तर-प्रदेश.
ये क्या है? ये कोयला है. चमकते हीरों को ढक देने वाला करिया कोयला. इस कोयले को हटा कर देखा जाए तो भारत के पास हीरों जैसी चमचमाती कई उपलब्धियां हैं. इन अनेक हीरों में से एक कोहिनूर भी है - 'कटपयादि सिस्टम.'
बहुत मुमकिन है कि आप ये नाम पहली बार सुन रहे हों. इसके बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं तो आगे पढ़िए. पहले बता देते हैं. थोड़ी कॉम्प्लेक्स चीज है. स्टेप-बाई-स्टेप चलते हैं नहीं तो मूड पकड़ कर बैठ जायेंगे.
पहले एक श्लोक पढ़िए. कोशिश तो करिए. नहीं पढ़ते बने तो आगे बढ़ जाइएगा. ये रहा श्लोक -
भद्राम्बुद्धिसिद्धजन्मगणितश्रद्धा स्म यद् भूपगी:
ये क्या है? ये कोड है. समझ में नहीं आया क्या? आगे पढ़िए, सब समझ में आएगा.
1819 में जब अंग्रेज भारत को 'असभ्य' बता कर अपना 'सभ्य शासन' जमा रहे थे, तब केरल में खगोल (यानी अन्तरिक्ष से जुड़ी बातें. यानी Astronomy) और गणित का शानदार पारंपरिक ग्रन्थ 'सद्रत्नमाला' रचा जा रहा था. पहले इसको संस्कृत में लिखा गया. बाद में इसे लिखने वाले शंकर वर्मन ने मलयालम भाषा में डीटेल कमेंट्री के साथ इसे लिखा. 212 श्लोकों में लिखे इस ग्रन्थ के 6 चैप्टर हैं. इनमें गणित और खगोल के अलग-अलग टॉपिक्स को खंगाला गया है.
पहले केरल वाले एरिया को त्रावणकोर के नाम से जाना जाता था. शंकर वर्मन का जन्म यहीं हुआ था.
पहले केरल वाले एरिया को त्रावणकोर के नाम से जाना जाता था. शंकर वर्मन का जन्म यहीं हुआ था.

इन 6 पाठों के बीच एक श्लोक है. वो ऊपर वाले कोड रूपी ताले की चाभी है. ये श्लोक पढेंगे तो ऊपर वाला समझ में आ जाएगा. पढ़ते हैं -
नज्ञावचश्च शून्यानि संख्या: कटपयादय:। मिश्रे तूपान्त्यहल् संख्या न च चिन्त्यो हलस्वर: ॥
बहुत ही अच्छे से पता है कि हम में से कोई भी संस्कृत का बहुत बड़ा ज्ञानी नहीं है. इसलिए ये वाला भी समझ नहीं आया होगा. इसलिए अब ये ज़रूरी हो गया है कि जो भी संस्कृत में लिखा हुआ है, उसका मतलब हमें मालूम पड़ता जाए -
'न', 'ञ' तथा 'अ' इन अक्षरों की कोई वैल्यू नहीं है. अर्थात उनका अस्तित्व ही नहीं माना जाएगा.  क, ट, प और य की वैल्यू 1 है. सीरीज में इनके बाद आने वाले व्यंजन वर्णों की वैल्यू 2 से 9 तक है. (नीचे टेबल देख लीजिए समझ आ जाएगा) स्वरों और हलंत की चिंता नहीं करनी होती है. यानी कि उनका लोड नहीं लेना है. यानी कि उनकी कोई वैल्यू नहीं है, उन्हें छोड़ दिया जाए.
ये जो नियम लिखे हैं. उसके हिसाब से एक टेबल बनाई जाए तो कुछ ऐसी दिखेगी.
ये वाला टेबल अच्छे से देखलो इस पर बार-बार आना है.
क्रेडिट - विकिपीडिया.

पहले कॉलम में क, ट, प, य होने के कारण इस सिस्टम का नाम कटपयादि सिस्टम पड़ा है.
अब शुरू में जो श्लोक देखा था, वो फिर से देखते हैं.
भद्राम्बुद्धिसिद्धजन्मगणितश्रद्धा स्म यद् भूपगी:
अब इस श्लोक के अक्षरों को ऊपर वाली टेबल में देख कर वैल्यू देते हैं. लेकिन जैसे उर्दू पढ़ते हैं. मतलब पीछे से पढ़ना चालू करना. ग, प, भ... ऐसे. ये नंबर आएगा - 314159265358979324.
ये क्या है? 3 के बाद एक बिंदु (Point) लगा कर देखते हैं - 3.14159265358979324. नहीं समझे? पाई का नाम सुना है π. ये 3.14159265358979324 पाई की वैल्यू है भाई. अरे वृत्त की परिधि और क्षेत्रफल नहीं निकाला क्या? सर्किल का पैरामीटर और एरिया? उसके फॉर्मूले में जो काम आता है वो. इतने सारे अंक फ़ालतू में नहीं लिखे हैं. पाई की ये वैल्यू दशमलव के बाद सत्रह स्थानों तक एक्यूरेट है.
पाई एक ग्रीक अल्फाबेट है. जिसकी वैल्यू 3.141 है.
π एक ग्रीक अल्फाबेट है. पाई की एगजेक्ट वैल्यू 22/7 है.

देखा कोड का कमाल. एक और श्लोक पढ़ो (देख कर आगे बढ़ो) -
गोपीभाग्यमधुव्रात-श्रुग्ङिशोदधिसन्धिग। खलजीवितखाताव गलहालारसंधर ॥
अगर इसका सीधा ट्रांसलेशन कर दें. तो भगवान कृष्ण की तारीफ मिलेगी -
हे कृष्ण, गोपियों के भाग्य, राक्षस मधु का वध करने वाले , पशुओं के रक्षक, जिसने समुद्र की गहराई नापी है, दुर्जनों के नाशक, जिसके कंधे पर हल है और जो अमृत धारण करते हैं, रक्षा करो!
इसमें गणित कहां है? गणित हमें कटपयादि से मालूम चलेगी. ऊपर वाली टेबल से हिसाब मिलाइए. इस बार वैल्यू देना आगे से ही चालू करना (गोपीभाग्य वाले शब्द से). ग, प, भ... ऐसे. ये भगवान् कृष्ण वाला श्लोक भी पाई (π) की ही वैल्यू देगा. लेकिन ये वाली पाई की वैल्यू दशमलव के 31 स्थानों तक एक्यूरेट है - 3.1415926535897932384626433832792
मजा आया? एक लेवल और बढ़ाते हैं.
14वी शताब्दी में माधवाचार्य नाम के एक संत हुए. इनका नाम अक्सर भक्ति आन्दोलन और द्वैत दर्शन से जोड़ कर देखा जाता है. लेकिन इन्होंने एक और जोरदार काम किया था. माधवाचार्य ने इसी कटपयादि सिस्टम में एक टेबल बनाई थी. उन्होंने 90 डिग्री के एंगल के 24 टुकड़े किये. हर टुकड़े के साइन की वैल्यू वहीं से आती है. उस टेबल का नाम पड़ा - माधवाचार्य की ज्या सारणी (Sine table of Madhavacharya).
माधवाचार्य का जन्म कर्नाटक में उडूपी के पास हुआ था. इन्होंने कई हिन्दू धर्मशास्त्रों पर कमेंट्री भी की है.
सोर्स: विकिपीडिया. माधवाचार्य का जन्म कर्नाटक में उडूपी के पास हुआ था. इन्होंने कई हिन्दू धर्मशास्त्रों पर कमेंट्री भी लिखी है.

त्रिकोणमिति (Trigonometry) याद है, जिसमें साइन थीटा (Sin θ), कॉस थीटा (Cos θ) जैसी चीज़ें होती हैं. साइन को संस्कृत में ज्या बोलते हैं. सिंपल बोलें तो माधवाचार्य ने साइन टेबल बनाई. ये श्लोक पढ़िए -
श्रेष्ठं नाम वरिष्ठानां हिमाद्रिर्वेदभावनः। तपनो भानुसूक्तज्ञो मध्यमं विद्धि दोहनं।। धिगाज्यो नाशनं कष्टं छत्रभोगाशयाम्बिका। म्रिगाहारो नरेशोऽयं वीरोरनजयोत्सुकः।। मूलं विशुद्धं नालस्य गानेषु विरला नराः। अशुद्धिगुप्ताचोरश्रीः शंकुकर्णो नगेश्वरः।। तनुजो गर्भजो मित्रं श्रीमानत्र सुखी सखे!। शशी रात्रौ हिमाहारो वेगल्पः पथि सिन्धुरः।। छायालयो गजो नीलो निर्मलो नास्ति सत्कुले। रात्रौ दर्पणमभ्रांगं नागस्तुंगनखो बली।। धीरो युवा कथालोलः पूज्यो नारीजरैर्भगः। कन्यागारे नागवल्ली देवो विश्वस्थली भृगुः।। तत्परादिकलान्तास्तु महाज्या माधवोदिताः। स्वस्वपूर्वविशुद्धे तु शिष्टास्तत्खण्डमौर्विकाः।।
ये कैसी टेबल हुई? समझाते हैं. ये ऊपर टोटल 14 लाइन हैं. इनमें से शुरू की 12 लाइन मेन हैं. आखिरी की दो लाइन काम की नहीं हैं. हर एक लाइन के दो भाग हैं. जैसे-पहली लाइन टूट कर 'श्रेष्ठं नाम वरिष्ठानां' और 'हिमाद्रिर्वेदभावनः' हो जाएगी. इस तरह से कुल 24 टुकड़े हो जाएंगे जो एक-एक कर साइन की वैल्यू देते रहेंगे.
अब इन हाफ-लाइन्स को कटपयादि सिस्टम से डिकोड करके मतलब खोल के देखें. तो हर आधी लाइन से आठ अंकों का एक नंबर निकलेगा.
उदाहरण के लिए पहली हाफ-लाइन ले लेते हैं - 'श्रेष्ठं नाम वरिष्ठानां'
कटपयादि टेबल दोबारा देखनी पड़ेगी:
ये वाला टेबल अच्छे से देखलो इस पर बार-बार आना है.

इससे कटपयादि वाला नंबर आएगा - 22 05 4220. इस नंबर को रिवर्स करके एक स्पेशल फॉर्मूले में डालें तो 0.06540314 वैल्यू मिलेगी. ये पहले टुकड़े यानी (90/24) डिग्री के एंगल की वैल्यू है. 90 को 24 से भाग दिया जाए तो 3.75 मिलता है. इसलिए पहले टुकड़े से साइन 3.75 डिग्री की वैल्यू मिलती है. इस तरह से इस 14 लाइन के श्लोक (जिसमें 12 ही काम की हैं) की हर एक हाफ-लाइन को डीकोड करें तो 3.75 डिग्री से 90 डिग्री तक साइन के 24 कोणों की वैल्यू मिल जाएगी. ऐसे करके ये श्लोक साइन की टेबल बन जाता है. ये देखो -
इस टेबल में जो 24 एंगल(कोण) दिए हुए हैं उनके बीच का अंतर 3.75 डिग्री है.
स्क्रीनशॉट - विकिपीडिया. इस टेबल में जो 24 एंगल (कोण) दिए हुए हैं उनके बीच का अंतर 3.75 डिग्री है.

एक प्रॉब्लम तो सॉल्व हुई. जिस साइन की टेबल को रटने में पसीना आ जाता था. उसका फर्रा माधवाचार्य ने बना के दे दिया. अब केवल एक श्लोक याद करना है. और पेपर पर टेबल छप जाएगी.

  यह स्टोरी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे
 आयुष ने की है.




ये भी पढ़ें – इजिप्ट के प्रेसिडेंट आए हैं, 2300 साल पहले भारतीयों को क्यों बुलाया था
स्मगलर उठा ले गए थे, अब वापस आ रही हैं हमारी धरोहरें

वीडियो –