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जानिए, जिस औरत ने ट्रंप को बीच वाली उंगली दिखाई थी, उसके साथ क्या हुआ

अमेरिका की एक महिला ने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को भद्दा इशारा किया था.

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जूली की ये तस्वीर काफी वायरल हुई. दुनियाभर की मीडिया ने इसे अपनी खबरों में शुमार किया. कई लोगों ने तो उन्हें हीरो बता दिया.
बिना विरोध के लोकतंत्र ऐसा है, जैसे घुप्प अंधेरे में इंसान को बल्ब की फोटो का सहारा मिल जाए. जैसे किसी भूखे को खूबसूरत फ्रेम में जड़े छप्पन भोग की फोटो थमा दी जाए. बेअसर. बेमतलब. जब दुनिया के सबसे पुराने और सबसे महान लोकतंत्र कहे जाने वाले अमेरिका में लोग वाइट हाउस के ठीक सामने खड़े होकर राष्ट्रपति का विरोध करते हैं, तो यहां हिंदुस्तान में मैं सुकून महसूस करती हूं. मुझे लगता है, सीने में दो सांस बराबर ऑक्सीजन की एक्स्ट्रा जगह बन गई है. खुशी के मारे. मगर, उनका क्या जो विरोध के नाम पर गाली-गलौच और बदतमीजी को लोकतंत्र समझ बैठते हैं? विरोध और बेहूदगी में कोई अंतर है कि नहीं?


इस तस्वीर को गौर से देखिए. ये लोकतंत्र की ताकत है. आप दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान, यानी अमेरिका के राष्ट्रपति का विरोध कर सकते हैं. वो भी ठीक वहां, जहां वो रहता है. उस वाइट हाउस के सामने, जहां से न केवल अमेरिका चलता है बल्कि दुनिया के चलने की राह भी तय होती है.
इस तस्वीर को गौर से देखिए. ये लोकतंत्र की ताकत है. आप दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान, यानी अमेरिका के राष्ट्रपति का विरोध कर सकते हैं. वो भी उस वाइट हाउस के सामने, जहां से न केवल अमेरिका चलता है बल्कि दुनिया के चलने की राह भी तय होती है.

ट्रंप अक्सर गलत वजहों से खबरों में होते हैं. पसंद करने वाले उन्हें खूब पसंद करते हैं. नापसंद करने वाले भी किसी हद की परवाह नहीं करते. अभी पिछले दिनों एक तस्वीर वायरल हुई थी. ट्रंप वर्जीनिया में थे. उनका काफिला सड़क पर जा रहा था. वहीं पास से गुजरती एक महिला ने उनकी ओर भद्दा इशारा किया था. बीच की उंगली दिखाई थी. ये महिला थीं जूली ब्रिस्कमैन. तस्वीर में एक ओर तीन गाड़ियां दिख रही थीं. ट्रंप के काफिले की गाड़ियां. जूली वहीं पास से अपनी साइकिल पर गुजर रही थीं. फिर वो ट्रंप की गाड़ी के पास आईं. अपना हाथ उठाया और अपनी बीच की उंगली दिखाई. बीच की उंगली दिखाने का मतलब क्या होता है, ये बताने की शायद जरूरत नहीं होगी. आप लोग जानते होंगे.
कंपनी ने जूली ब्रिस्कमैन को नौकरी से निकाल दिया है इस तस्वीर ने काफी शोहरत बटोरी. खूब शेयर हुई. लोगों ने उनको बहादुर कहा. कई लोग जूली को 'हीरो' बताने लगे. कुछ लोग और आगे चले गए. कहने लगे, जूली को 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहिए. अखबार से लेकर न्यूज चैनलों और कॉमेडी शो तक, सब जगह जूली की तस्वीर तैर रही थी. अब उनकी एक और खबर आई है. जूली को नौकरी से निकाल दिया गया है. जूली ने उस वायरल तस्वीर को अपने फेसबुक और ट्विटर अकाउंट की प्रोफाइल पिक्चर बना लिया था. कंपनी ने कहा, ये तो अश्लील है. कि इससे कंपनी का नाम खराब होगा. वगैरह, वगैरह. वैसे वर्जीनिया में कंपनियों को बड़ी शह मिली हुई है. नियम कुछ ऐसे हैं कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां जब चाहें, जिस वजह से चाहें, अपने कर्मचारियों को निकाल सकती हैं.
लोकतंत्र की खूबी ही ये है. आप नाराजगी जता सकते हैं. विरोध कर सकते हैं. उस विरोध को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. मगर विरोध के नाम पर अभद्रता तो नहीं की जा सकती.
लोकतंत्र की खूबी ही ये है. आप नाराजगी जता सकते हैं. विरोध कर सकते हैं. उस विरोध को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. मगर विरोध के नाम पर अभद्रता तो नहीं की जा सकती.

जूली ने कहा था, ट्रंप को देखकर खून खौल गया और... जब वो 'मिडिल फिंगर' वाली तस्वीर वायरल हुई, तो कई अखबारों ने जूली से बात की थी. पूछा, क्या सोचकर ये किया? तो जूली का जवाब था, विरोध. वो ट्रंप के काम से खुश नहीं थीं. उनकी नीतियों से नाराज थीं. राष्ट्रपति की ओर बीच की उंगली उठाकर वो अपनी नाराजगी जाहिर कर रही थीं. जूली के मुताबिक, ट्रंप को पास से गुजरते देखकर उनका खून खौल गया.
बहुत सारे मुद्दों पर नाराज थीं वो ट्रंप से बहुत सारी बातें थीं उस वक्त जूली के मन में. मसलन, DACA पर ट्रंप का रवैया. मान लीजिए कि कोई नाबालिग लड़का या लड़की (विदेशी) अमेरिका में घुस आया है. गलत तरीके से. अवैध. बिना जरूरी कागजों के. बिना इजाजत लिए. और वो ऐसे ही गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में रह रहा है. तो ऐसे लोगों के लिए अमेरिका में एक खास इमिग्रेशन पॉलिसी थी. डेफर्ड ऐक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स. छोटे में बोलें, तो DACA. ये मिलने के बाद उनको दो साल तक देश से नहीं निकाला जाता था. नौकरी-धंधा भी कर पाते थे. अब ट्रंप ने पॉलिसी बदल दी है. बड़ी तादाद में DACA परमिशन वालों को भी निकाला जा रहा है. जूली इससे दुखी थीं. दूसरों के दुख में दुखी थीं. फिर ट्रंप जिस तरह पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के हाथों शुरू हुई हेल्थ पॉलिसी 'ओबामाकेयर' को खत्म करने पर आमादा हैं, उससे भी जूली नाराज थीं. इरमा चक्रवात के कारण कई कैरेबियन द्वीप तबाह हो गए. प्यूरटो रिको का बहुत बड़ा हिस्सा उजड़ गया. बस एक तिहाई हिस्से में बिजली आ रही है. बाकी हिस्से अंधेरे में डूबे हैं. ट्रंप ने प्यूरटो रिको की मदद करने में बहुत कंजूसी दिखाई है.
विरोध के कई तरीके हो सकते हैं. भारत में वो वाकया भी हुआ था, जब मणिपुर की महिलाएं विरोध करने के लिए नंगी हो गई थीं. वो गलत नहीं था. वो उनकी तकलीफ की इंतहा थी.
विरोध के कई तरीके हो सकते हैं. भारत में वो वाकया भी हुआ था, जब मणिपुर की महिलाएं विरोध करने के लिए नंगी हो गई थीं. वो गलत नहीं था. वो उनकी तकलीफ की इंतहा थी.

दिक्कत विरोध से नहीं, विरोध जताने के तरीके से है ये सारी बातें थीं, जिसकी वजह से जूली नाराज थीं. ट्रंप अक्सर वर्जीनिया आते रहते हैं. उनका शुक्रवार, शनिवार और रविवार ज्यादातर वाइट हाउस के बाहर ही गुजरता है. गोल्फ के शौकीन हैं. सो अक्सर ही वीकेंड पर गोल्फ खेलने पहुंच जाते हैं. इसी सिलसिले में वो पिछले हफ्ते वर्जीनिया पहुंचे थे. जब जूली ने उन्हें देखा, तो सोचा. इतना कुछ हो रहा है और ये हमारा राष्ट्रपति फिर से गोल्फ खेलने आ गया. अपनी नाराजगी, अपना विरोध जताने के लिए उन्हें ये 'मिडिल फिंगर' दिखाना ठीक लगा. ठीक यहीं पर जूली ने गलती कर दी. उनकी नाराजगी के मुद्दे गलत नहीं थे. बस विरोध जताने का तरीका गलत था.
ऐसा नहीं कि बस अमेरिका में ही ट्रंप का विरोध हो रहा हो. ये जो तस्वीर है, वो दक्षिण कोरिया की है. विरोध का आपका मुद्दा भले कितना भी जरूरी हो, लेकिन अगर आपका तरीका गलत है तो विरोध की गंभीरता खत्म हो जाती है.
ऐसा नहीं कि बस अमेरिका में ही ट्रंप का विरोध हो रहा हो. ये जो तस्वीर है, वो दक्षिण कोरिया की है. विरोध का आपका मुद्दा भले कितना भी जरूरी हो, लेकिन अगर आपका तरीका गलत है तो विरोध की गंभीरता खत्म हो जाती है.

विरोध का मतलब बदतमीजी करना कतई नहीं होता अगर आप मुद्दों के कारण किसी नेता या प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति-मुख्यमंत्री (जनप्रतिनिधि) से नाराज हैं, तो आप विरोध करेंगे. मगर आपके विरोध दिखाने का तरीका घटिया नहीं होगा. आप विरोध में गाली-गलौच नहीं करेंगे. न ही किसी के प्रति विरोध जताने के लिए आप उसके खिलाफ घटिया बातें करेंगे. विरोध जताने की आजादी होनी चाहिए. विरोध जताना अपनी बात कहना है. अभिव्यक्ति की आजादी है. हर इंसान का हक है. मगर, हक यूं ही आसमान से नहीं टपकता. चूंकि ये हक सभ्यता का हिस्सा है, तो इसके लिए हमें सभ्य होना पड़ता है. हक के साथ कुछ फर्ज भी निभाने होते हैं.  बोलने की आजादी के नाम पर टुच्चई नहीं की जा सकती है. विरोध के नाम पर बंदूक नहीं उठाई जा सकती है. मुझे किसी की कोई बात गलत लगे, तो इसका ये मतलब नहीं कि मैं उसे चार थप्पड़ रसीद दूं. या फिर उसकी हड्डियां तोड़ दूं. मुझे अपनी बात कहने का हक है. मगर तमीज से.
ट्रंप के कारण उनकी पत्नी मेलानिया के बारे में भी काफी गंदगी उगली जाती है. अजीब है कि लोग विरोध के नाम पर हर तरह की बदतमीजी को जायज ठहराते हैं. यहां तक कि किसी के चरित्र के बारे में बकवास करने को भी जस्टिफाई करते हैं.
ट्रंप के कारण उनकी पत्नी मेलानिया के बारे में भी काफी गंदगी उगली जाती है. अजीब है कि लोग विरोध के नाम पर हर तरह की बदतमीजी को जायज ठहराते हैं. यहां तक कि किसी के चरित्र के बारे में बकवास करने को भी जस्टिफाई करते हैं.

जूली ने मिडिल फिंगर दिखाकर गलती की थी वैसे, उस दिन ट्रंप के सामने अपने गुस्से का इजहार करने वाली जूली अकेली नहीं थीं. सड़क चलते एक और आदमी ने भी ट्रंप की ओर इशारा किया था. अंगूठा नीचा करके. थंब्स डाउन. इसका मतलब होता है, अच्छा नहीं कर रहे. इसका मतलब सामने वाले को फिसड्डी या फ्लॉप कहना भी हो सकता है. फिर एक और महिला ट्रंप के लिए पोस्टर लेकर गोल्फ क्लब के बाहर खड़ी थी. पोस्टर पर लिखा था, इम्पीच. यानी, महाभियोग. कई लोग ट्रंप पर महाभियोग चलाकर उन्हें राष्ट्रपति की पोस्ट से हटाने की मांग कर रहे हैं. इन दोनों ने भी ट्रंप का विरोध किया, मगर उनके विरोध करने का तरीका तमीजदार था. जूली ने गलती की. हम में से ज्यादातर लोग भी अक्सर ऐसी ही गलती करते हैं. विरोध और बदतमीजी का अंतर भूल जाते हैं. सीमा पार कर जाते हैं. गाली देना, भद्दे इशारे करना, अश्लील बातें करना, हिंसा करना, ये सब विरोध नहीं है. बदतमीजी है. अपराध है. घटियापन है.


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