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जय श्री राम न बोलने पर कब्रिस्तान भेजने वाला सिंगर गिरफ्तार हुआ, लेकिन उसकी कहानी आप नहीं जानते

वैसे राम की इज्ज़त तार-तार करने वालों से यूट्यूब भरा पड़ा है, उन्हें जेल कब भेजा जाएगा?

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सिंगर वरुण बहार को गिरफ्तार कर लिया गया है.
"भगवाधारी सबपे भारी, चलें हैं अपना सीना तान, जो न बोले जय श्री राम, भेज दो उसको कब्रिस्तान." गाने वाले गायक वरुण बहार को गोंडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उनके खिलाफ अलग-अलग जगहों पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी. 26 जुलाई की सुबह हजरतगंज थाने की पुलिस ने वरुण को उनके गांव बंदरहा से गिरफ्तार किया. उसके बाद उन्हें लखनऊ लाया गया. लखनऊ के हजरतगंज थाने में भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
आज तक से जुड़े आंचल श्रीवास्तव ने बताया कि वरुण गोंडा के रहने वाले हैं लेकिन लखनऊ में रहते हैं. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने और एफआईआर दर्ज होने के बाद वह अपने गांव चले आए थे.
वरुण के वीडियो को तहसीन पूनावाला ने दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए ट्वीट किया था. हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए, आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज करने की मांग की थी. साथ ही ये भी कहा था कि अगर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो वो गाने को पीएम मोदी आवास के सामने प्ले करेंगे.
वरुण की गिरफ्तारी के बाद तहसीन पूनावाला ने ट्वीट किया,
"मुझे दिल्ली पुलिस की ओर से किसी ने बताया कि यूपी पुलिस ने सिंगर वरुण बहार को इस गाने के लिए गिरफ्तार कर लिया है. मैं कानून का पालन कराने वाली सभी एजेंसियों को धन्यवाद देता हूं."

दी लल्लनटॉप से बातचीत में वरुण ने क्या कहा था?

गिरफ्तारी से पहले दी लल्लनटॉप ने वरुण बहार से बात की थी. 33 साल के वरुण एक गरीब परिवार से आते है. पिता सरकारी टीचर थे. 12 साल की उम्र से गा रहे हैं. तो पढ़ाई भी संगीत में की. लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यालय से विशारद की डिग्री ली. पैसा कमाने का सिर्फ एक साधन है - गायकी. इसीलिए गा रहे हैं. वैसे गाने, जो लोग सुनना पसंद करते हैं. वरुण का कहना है कि वो पहले इस तरह के उग्र गाने नहीं गाते थे. लेकिन पिछले दो-ढाई साल से कई सिंगर इसी तरह के गाने गाते हुए आगे बढ़े हैं. मार्केट इन्हीं का है. इसीलिए उन्होंने भी गाने शुरू किए. कभी गाना लिख लेते हैं, कभी लिखवा लेते हैं.
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'जो न बोले जय श्री राम' गाना संतोष यादव नाम के शख्स ने लिखा है, जिससे वो दो साल पहले मिले थे. वरुण का कहना है कि वो इस गाने में कब्रिस्तान शब्द नहीं रखना चाहते थे. वो जय श्री राम न बोलने वालों को पाकिस्तान भेजना चाहते थे. लेकिन संतोष और रिकॉर्डिंग कंपनी ने बात नहीं मानी. वरुण इस विवाद के बाद डरे हुए हैं. उन्हें लग रहा है कि उनका करियर खतरे में है. वो बार-बार अपनी दो छोटी बच्चियों का हवाला देकर कहते हैं कि मैं फंस गया हूं सर, मुझे बचाइए. वरुण ने कहा है कि वो किसी राजनैतिक पार्टी से नहीं जुड़े हैं. वरुण पूरे वक्त एक ही बात दोहराते रहे-मैं राम नाम के लिए गाने गाता हूं. मैं राम नाम के लिए फांसी भी चढ़ सकता हूं.

उग्र हिंदुत्व वाले गाने गायकों की उपज

हम वरुण को बरी नहीं करना चाहते. लेकिन हम चाहते हैं कि लोग ये समझने की कोशिश करें कि वरुण जैसे लोगों में राम नाम का ये आग्रह पैदा कैसे होता है, अभिव्यक्त कैसे होता है. हमने इस गाने को यूट्यूब पर रिलीज़ करने वाली जनता म्यूज़िक कंपनी के राजेश वर्मा से भी बात की. राजेश का कहना है कि उन्हें इस गाने के बोल क्या हैं, ठीक से नहीं पता था. गाना गोंडा से रिकॉर्ड होकर आया था. वर्मा को गाने के बारे में विवाद पैदा होने के बाद मालूम चला. वर्मा ने गाना अपने प्लैटफॉर्म पर जारी करने के लिए माफी मांगी. साथ ही कहा कि उनके मन में मुसलमानों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है. वर्मा का कहना है कि उग्र हिंदुत्व वाले गाने गायकों की उपज हैं. जो जल्दी हिट होना चाहते हैं. ज़्यादातर फैज़ाबाद और गोंडा में ये बनते हैं. कुछ की रिकॉर्डिंग बनारस में भी होती है. और इनका अपना मार्केट है. इसीलिए कंपनियां इन्हें बनाती हैं. और बनाना बड़ा आसान है. क्योंकि कुछ गाने तो 2-3 हज़ार में बन जाते हैं.
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पर ये अपनी लीग का इकलौता गाना नहीं है

बीते कुछ सालों में यूट्यूब पर ऐसे गानों की बाढ़ सी आ गई है. इन गानों में गालियां होती हैं, किसी एक धर्म से नफरत होती है. धर्म के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिशें होती हैं. मारना-काटना, कब्रिस्तान या पाकिस्तान भेजने की बातें सबसे आम एलीमेंट हैं. क़ानून की बात करें, तो इन पर IPC की 153-A और 295-A लगनी चाहिए. ये समूहों में शत्रुता बढ़ाने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने का काम कर रहे हैं. इन वीडियोज में नज़र आती है बांहें चढ़ाए, हाथ में तलवार लिए लड़कों की भीड़. ऑटो ट्यून और तेज़ बीट्स का माहौल बनाने के लिए भरपूर इस्तेमाल होता है.
कुछ उदाहरण आपके सामने रखते हैं.
# "होगी अयोध्या लालो लाल, सुन ले बाबर के सपोले" # "तुझसे राम नाम बुलवाऊंगा सीने पर भगवा गाड़ के" # एक गाना और है, जिसमें मुस्लिमों का ज़िक्र है और आगे कहा गया कि वो चिल्लायेंगे काल-काल रे, कर देंगे उनका बुरा हाल रे! # इसी श्रेणी में वो गाना भी है, जिसमें डाबर का तेल लगाकर बाबर का नाम मिटाने की बात कही जाती है. # गानों में सामने वाले के धर्मों के प्रतीकों का ज़िक्र होता है, और अपने धर्म की विजय के लिए उसे झुका देने का दुराग्रह दिखता है. उदहारण है "जिस दिन जाग उठा हिंदुत्व तो ये अंजाम बोलेगा, टोपी वाला भी सर झुका के जय श्री राम बोलेगा."
व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी से मिले ज्ञान को भी गानों में इस्तेमाल किया जाता है. गाना सुनाई पड़ता है, "दुनिया जाने शिवलिंग छुपाये बैठे हो मक्का-मदीने में, मक्के में ही जल चढ़ाऊंगा अबकी सावन के पावन महीने में" ये सिर्फ वो गाने हैं जिनका ज़िक्र थोड़ी छूट लेकर कर दिया गया. यूट्यूब पर ऐसे गाने भरे पड़े हैं, जिन्हें सुना भर दें तो या तो आप हमें मारने चल पड़ेंगे या अपने पड़ोसी को. एक बात पक्की है कि ऐसे गाने बनाने वालों को क़ानून का कोई भय नहीं है, शायद उन्हें लगता ही नहीं कि वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. इसलिए ऐसे गानों के साथ आपको प्रमुखता से उनके मोबाइल नंबर भी मिल जाते हैं.

यूट्यूब अपनी ज़िम्मेदारी से कोसों दूर है

यूट्यूब अपनी पॉलिसीज को जितना पारदर्शी बताता है. उसके क्रियाकलाप उससे ठीक उलटे नज़र आते हैं. अगर इस प्लेटफॉर्म को हिंसा, गालियों और नफरत का सबसे बड़ा पैडलर बताया जाए तो ग़लत नहीं होगा. ऐसे सैकड़ों यूट्यूबर और चैनल्स हैं जो सीधे-सीधे नफरत फैलाने का काम करते हैं. ऐसे गानों से भरा एक यूट्यूब चैनल 'जुगनी सीरीज कैसेट्स' यूट्यूब वेरीफाई करके रखता है. इसके अलावा गालीबाजों को यूट्यूब खुद ही एप्रीशिएट करता नजर आता है. हाल ही में इस लीग में एक नया नाम जुड़ा है, हिन्दुस्तानी भाऊ का. जिसका 'पहली फुर्सत में निकल' वाला वीडियो मीम मटेरियल बन गया, इस बात की टी-शर्ट्स छप गईं. यूट्यूब ने खुद उसे सिल्वर बटन भेजा. जिस कंटेंट को अब्यूजिव होने के लिए हटाया जाना चाहिए, उसे यूट्यूब पर लाखों व्यूज मिल रहे हैं. और यूट्यूब का साथ भी.
हिन्दुस्तानी भाऊ जिसका 'पहली फुर्सत में निकल' वाला वीडियो मीम मटेरियल बन गया.
हिन्दुस्तानी भाऊ जिसका 'पहली फुर्सत में निकल' वाला वीडियो मीम मटेरियल बन गया.

क्रिएटर्स के लिए यूट्यूब की पॉलिसीज काफी सख्त हैं, एक स्ट्राइक पर चैनल के कुछ फीचर बंद हो जाते हैं. तीन स्ट्राइक पर चैनल बंद भी हो जाते हैं, प्रैंक्स या चैलेंजेज को खतरा बनाकर उनसे जुड़े वीडियो हटा दिए जाते हैं. लेकिन ऐसे वीडियो बनाने वालों पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता.
धर्म के ढेर ठेकेदार हैं. फिल्मों के विरोध करने को हजार संगठन हैं. कभी कोई पार्टी, कोई सेना या कोई दल ये कहते क्यों नजर नहीं आता कि हमारा धर्म ऐसी बातें नहीं सिखाता, ऐसे गानों के बहिष्कार की बातें क्यों सामने नहीं आती? कभी इन गानों से धार्मिक भावनाएं क्यों नहीं भड़कती हैं?
जय श्री राम पॉलिटिकल नारा बन चुका है. भड़काऊ नारा बन चुका है. किसी को पीटने का सबब बन गया है.एक बार ऐसी घटनाएं हुईं तो जय श्री राम के नाम से झूठ भी फैलने लगे. कानपुर,उन्नाव और बागपत से ऐसी ख़बरें आईं कि लोगों को जय श्री राम का नारा न लगाने पर पीटा गया. बाद में पता लगा कि ऐसे आरोप झूठे थे. जय श्री राम आज कुछ भी बन गया है, बस वो धर्म से बहुत दूर चला गया है. यूं तो पंछियों को पिंजरे में रखना ग़लत है, पर पहले घरों में तोते पाले जाते थे. पालने वाले की पूरी कोशिश होती थी कि तोते को सबसे पहले 'मिट्ठू चित्रकूटी सीताराम' रटा दें, ताकि हर आने वाले को सबसे पहले राम का नाम सुनाई पड़े. सड़क का जय श्री राम तोते के सीताराम से बहुत अलग है. दादी या मम्मी सुबह राम भजन से दिन की शुरुआत करतीं. उन भजनों में कही गई बातें इन कथित 'कट्टर राष्ट्रवादी भजन गायकों' की बातों से बिलकुल अलग हैं.
हनुमान जी जब लंका में प्रवेश कर रहे थे, उस समय की चौपाई है.
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई
मतलब कुछ ऐसा निकलता है कि भगवान राम को हृदय में रखने वालों के लिए विष भी अमृत हो जाता है, शत्रु भी मित्रता करने लगते हैं. हम छोटे थे तो कैलेंडर के पीछे सुझाव लिखे मिलते थे. दुश्मन को भी दोस्त बनाना हो तो ये चौपाई पढ़ें. ये कैसे लोग हैं? जिनके मुंह में राम होता है लेकिन सामने वाला उनके लिए दुश्मन हो जाता है?
चौपाइयों वाला एक नुस्खा और था, अगर ग़लती हो जाए तो भगवान से माफी मांगने के लिए. उन लोगों को आजमाना चाहिए, जो राम के नाम का मिसयूज कर रहे हैं.
अनुचित बहुत कहेऊं अज्ञाता | छमहु क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||



'जय श्री राम' के नाम पर हिंदू-मुसलमान को भड़काने वाले ये भजन गायक सबके लिए खतरा हैं |दी लल्लनटॉप शो| Episode 266