बिहार के नक़्शे पर हिंदुस्तान और जीवन के असल रिप्रजेंटेशन वाला एक शहर है. सुख, दुख, जीवन-मरण, करुणा-क्रूरता, उम्मीद. सबका इतिहास-भूगोल समेटे एक नाम. गयाजी. यहां बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई. यहां हिन्दुओं के पुरखों का पिंडदान होता है. इस जगह ने मगध का विस्तार देखा और विध्वंस भी, बंगाल के क्रूर शासक शशांक का क्रोध देखा, कभी खिलजियों का आक्रमण भी झेला. ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन देखा. यहीं स्वराज पार्टी की नींव भी भरी गयी. सालों से निरंतर यहां के पण्डे हिन्दुओं के पुरखों का तर्पण कराते आ रहे हैं. बुद्ध के अनुयायी यहां मध्य मार्ग का अनुसरण सीख रहे हैं. तो समझते हैं क्या है इस प्राचीन शहर का इतिहास? दो नाम एक शहर या एक शहर के ही दो नाम? कौन था वो राक्षस, जिसके नाम पर भारत का सबसे पवित्र क्षेत्र बना? और क्या है सीताराम जी से इस शहर का नाता? जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.
तारीख: कहानी बिहार के 'गयाजी' की जहां श्राद्ध, मोक्ष, ज्ञान, Hindu- Buddha; सबका इतिहास जुड़ा है
सालों से निरंतर यहां के पण्डे हिन्दुओं के पुरखों का तर्पण कराते आ रहे हैं. बुद्ध के अनुयायी यहां मध्य मार्ग का अनुसरण सीख रहे हैं.
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