भारत के चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट तेजस मार्क 1A इंजन की कमी के चलते रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है. 4.5 जेनेरेशन वाले तेजस मार्क-2 के आने में अभी देरी है. पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट AMCA के अभी फाइनल डिजाइन को ही मंजूरी मिली है. आसान भाषा में कहें तो इन इंडिजिनियस फाइटर जेट्स की उड़ान में अभी देरी (बहुत ज्यादा देरी) है. मगर सपनों की उड़ान पर कोई लगाम नहीं है. भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने छठवीं पीढ़ी के फाइटर जेट पर काम शुरू करने का इरादा बना लिया है. फिलहाल इस प्रोजेक्ट को AMCA Mark-2 के नाम से जाना जा रहा है. सवाल ये है कि AMCA अपनी पहली उड़ान कब भरेगा?
AMCA कब आएगा पता नहीं और DRDO ने छठी पीढ़ी के फाइटर जेट AMCA Mark-2 की तैयारी शुरू कर दी!
भारत ने अभी तक AMCA Mark-1 स्टील्थ फाइटर को उड़ाया भी नहीं है और DRDO ने एमका Mark-2 पर काम शुरू कर दिया है. उधर चीन और पाकिस्तान ने Stealth Fighter Jet की तैनाती शुरू कर दी है. AMCA प्रोजेक्ट में देरी की वजह, बढ़ता बजट और भारत की रक्षा रणनीति पर इसका असर क्या होगा?

कहानी शुरू होती है एक सपने से-वो सपना जिसे भारत ने देखा था 2010 के आसपास. सपना था: एक ऐसा फाइटर जेट बनाने का जो अमेरिका के F-22 और चीन के J-20 जैसे स्टील्थ फाइटर्स को टक्कर दे सके. इस सपने को नाम मिला – AMCA, यानी Advanced Medium Combat Aircraft.
DRDO (Defence Research and Development Organisation) और HAL (Hindustan Aeronautics Limited) ने मिलकर इसका खाका खींचा. प्लान था कि 2030 से पहले भारत का अपना फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट आसमान में गरजेगा – पूरी तरह स्वदेशी, पूरी तरह स्टील्थ.
और फिर आया खबरों में हलचल मचाने वाला ट्विस्ट – AMCA Mark-2!
2025 की गर्मियों में अचानक एक नई खबर आई – AMCA मार्क 2 पर काम शुरू हो चुका है, जबकि मार्क 1 अभी बना भी नहीं. पहली बार सुनते ही किसी को भी लग सकता है – "क्या मज़ाक है?" लेकिन असल कहानी इससे कहीं ज्यादा गंभीर है.
तो अभी तक क्या हुआ? और क्या नहीं हुआ?असल में, AMCA Mark-1 को 2024 में उत्पादन की मंज़ूरी मिलनी थी, लेकिन अभी तक फाइनल प्रोटोटाइप भी तैयार नहीं हुआ है. टोटल 7 प्रोटोटाइप बनने हैं, और 2028 तक पहली उड़ान की उम्मीद है – कम से कम 5 से 6 साल की देरी.
लाइव डिफेंस की रिपोर्ट के मुताबिक पहले अनुमानित लागत ₹15,000 करोड़ थी, अब ये बढ़कर ₹28,000 करोड़ से ज़्यादा हो सकती है. इस देरी का सबसे बड़ा असर पड़ रहा है भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारी पर.
जब हम अपने स्टील्थ जेट का इंतज़ार कर रहे हैं, चीन का J-20 Mighty Dragon पहले ही 2017 से उड़ रहा है – और अब वो J-31 और छठीं पीढ़ी के विमानों पर काम कर रहा है. पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर JF-17 ब्लॉक 3 में AESA रडार और स्टील्थ फीचर डलवा दिए हैं.
इसका मतलब ये है कि अगर कल युद्ध हुआ, तो भारत के पास राफेल और Su-30MKI तो हैं, मगर फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर नहीं. और यह अंतर निर्णायक साबित हो सकता है.
इतनी देरी क्यों हो रही है, ज़िम्मेदार कौन?कहते हैं "टेक्नोलॉजी बनाने में समय लगता है", लेकिन असल में देरी की वजह सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं-ब्यूरोक्रेसी और फंडिंग में टालमटोल है. लंबे समय तक फंडिंग क्लियरेंस नहीं मिली, HAL और DRDO के बीच सामंजस्य की कमी रही, और प्राइवेट सेक्टर को सही समय पर जोड़ने में ढिलाई बरती गई.
इस बीच अमेरिका, चीन, रूस अपने छठवीं पीढ़ी के विमानों पर ज़ोर-शोर से काम कर रहे हैं.
AMCA मार्क-2: और भी एडवांस, लेकिन और भी दूरMark-2 वर्जन को भारत का पहला छठवीं पीढ़ी का फाइटर माना जा रहा है. इसमें Directed Energy Weapons (लेज़र गन), Artificial Intelligence आधारित सिस्टम, बिना कॉकपिट का विकल्प और High-speed data fusion जैसी तकनीकें होंगी, जो इसे सिर्फ स्टील्थ नहीं बल्कि “स्मार्ट फाइटर” बना देंगी.
लेकिन सवाल ये है – जब Mark-1 ही उड़ान नहीं भर पाया, तो Mark-2 कब आएगा?
तो फिर क्या AMCA सिर्फ सपना ही रह जाएगा?नहीं. सपना जरूर है, लेकिन भारत इसे पूरा करने की कोशिश में है. रक्षा मंत्रालय ने अब इस प्रोजेक्ट को “मिशन मोड” में रखा है. ADA (Aeronautical Development Agency) का दावा है कि 2030 से पहले हम AMCA Mark-1 को ऑपरेशनल बना पाएंगे.
लेकिन सच यही है-हर साल की देरी हमें चीन और पाकिस्तान से और पीछे ले जा रही है, और इसका नुकसान अगली पीढ़ी के पायलटों को भुगतना पड़ सकता है.
AMCA सिर्फ एक जेट नहीं, भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की पहचान है. अगर हमें 21वीं सदी की लड़ाइयों में टिके रहना है, तो टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता ज़रूरी है. और उसके लिए सिर्फ DRDO या HAL नहीं, सरकार, बजट, और जनता का भरोसा एकजुट होना चाहिए.
वीडियो: क्या पाकिस्तान ने गिराए भारत के फाइटर जेट? CDS ने दे दिया जवाब