IIT का नाम जानते ही होंगे. खड़गपुर में भी है एक. वहां दीक्षांत समारोह चल रहा था. चीफ-गेस्ट बनकर पहुंचे थे रमेश पोखरियाल 'निशंक'. देश के मानव संसाधन मंत्री हैं. आसान भाषा में बताएं तो पढ़ाई-लिखाई का पूरा मसला इन्हीं के मंत्रालय में हैंडल होता है. कॉन्वोकेशन में ये वही तीसरी चीज़ यानी कि भाषण दे रहे थे. पोखरियाल ने भारत के गौरवशाली इतिहास पर बात की. कहा कि भारत विश्वगुरु है. बोलते-बोलते भावनाओं में बह गए. कहने लगे कि संस्कृत दुनिया की पहली भाषा है. आप उनका ये भाषण सुनिए -
"पूरी दुनिया की पहली भाषा है संस्कृत. अभी तक कोई इसको साबित नहीं कर सका कि नहीं संस्कृत से भी पहली कोई भाषा थी."
बहुत लंबा वीडियो है. आप सीधे 1:47:00 मिनट पर जाकर देख लें.
पोखरियाल ने तो बोल दिया जो उन्हें बोलना था. और वहां से चले भी गए. लेकिन हम अटक गए. क्या वाकई में संस्कृत दुनिया की पहली भाषा है? अब ये ठहरा एक साइंटिफिक क्लेम. तो इसके ज़रूरी होगा एविडेंस. सबूत. वैसे भी सेंसिटिव मुद्दों पर सबूत की बात करते ही कमेंट सेक्शन के सिकंदरों का स्टैंडर्ड रिस्पॉन्स ये होता है-
क्या सबूत है कि तुम अपने मां-बाप की औलाद हो.खैर, सोशल मीडिया के लड़ाकों का तो चलता रहता है. उनको साइड में रखते हैं. आपको बता दें कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि ये दुनिया की पहली भाषा है. किसी भी भाषा के जो सबसे पुराने लिखित प्रमाण मिलते हैं वो सुमेरियन और इजिप्शियन भाषा के हैं. करीब 5500 साल पुराने. जबकि संस्कृत के जो सबसे पुराने लिखित प्रमाण हैं वो करीब 2000 साल पुराने हैं. एक और भारतीय भाषा है, जिसके लिखित प्रमाण संस्कृत से भी पुराने हैं. वो भाषा है तमिल.

तमिल भाषा का एक पुराना इंस्क्रिप्शन.
वैसे अपने यहां की एक और भाषा है, जिसके लिखित प्रमाण संस्कृत और तमिल से भी पुराने हैं. ये है सिंधु घाटी सभ्यता की भाषा. हड़प्पा वाली भाषा. लेकिन ऐसा अभी तक किसी को कुछ समझ में आया नहीं है कि हड़प्पा की लिपी में लिखा क्या है. मतलब डीकोड नहीं कर पाए हैं अब तक.
लेकिन क्या लिखित प्रमाण के आधार पर ये कहा जा सकता है कि संस्कृत केवल 2000 साल पुरानी है? जवाब है नहीं. क्योंकि लिपि से पहले भाषा बोलचाल में आई. लोग मौखिक रूप से रचनाओं, कहानियों, श्लोकों का आदान-प्रदान करते थे. बाद में जब लिपि का जन्म हुआ. तो जितना याद था उतना लिख दिया गया. जानकार मानते हैं कि वेद करीब 3500 साल पुराने हैं. लेकिन उन्हें लिखा काफी बाद में गया. वेदों में सबसे पुराना है ऋग्वेद. दरअसल हुआ क्या कि सारा ज्ञान पहले मौखिक रूप से ट्रांसफर किया गया. इनके पढ़ सकने वाले वर्ज़न बहुत बाद में आए.

संसकृत भाषा का एक पुराना इंस्क्रिप्शन.
सवाल आखिर वहीं अटकता है. कि सबसे पुरानी भाषा है कौन सी? जवाब है - नहीं पता. ये नहीं बताया जा सकता. ज्यादातर भाषाओं का जन्म पहले मौखिक रूप में हुआ. लोग उस भाषा में बोलने लगे, बाद में उसकी लिपि बनाई और तब जाकर उस भाषा का व्याकरण, उसका साहित्य तैयार किया गया.
तो ऐसे में सबसे पुरानी भाषा कौन सी है? ये तब तक नहीं पता लगाया जा सकता, जब तक हम टाइम मशीन न बना लें.
पोखरियाल अपने भाषण में एक और जगह कहते हैं कि रामसेतु भारत के इंजीनियर्स ने बनाया है. पोखरियाल की इस बात के बाद हॉल में ऑकवर्ड साइलेंस छा गया.
वीडियो में 1:37:15 पर देखें.
आयरनी की अम्मा ये है कि पोखरियाल अपने इसी भाषण में जय विज्ञान और जय अनुसंधान भी बोल रहे हैं. अनुसंधान माने रिसर्च. रिसर्च जो मंत्री जी अपने भाषण से पहले कर लेते तो उनकी इतनी फ़जीहत न होती.
भारत के संविधान के आर्टिकल 51 A में लिखा है, 'भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करे.'

संविधान का कवर
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का मतलब दावे फैक्ट्स और एविडेंस यानी तथ्यों और सबूत के आधार पर किए जाएं. हम थोड़ा जोड़ देते हैं. तथ्य न हों, सबूत न हों तो कम से कम लॉजिक का इस्तेमाल तो कर ही लेना चाहिए.
चिंता ये है कि मंत्री जी जैसे लोग, जिनके फॉलोवर्स में लाखों में है, अगर अंड का बंड बोलेंगे तो नागरिक बेचारा कहां तक अपना वैज्ञानिक दृष्टिकोण बचाकर रखेगा.
ऐसा नहीं है कि पोखरियाल ने पहली बार ऐसे अजीबोगरीब दावे किए हों. 10 अगस्त को वो IIT बॉम्बे के कॉन्वोकेशन में गए थे. वहां इन्होंने संस्कृत की कम्यूटर वाली भाषा होने की फेक न्यूज़ को एक अलग ही लेवल ऊपर पहुंचा दिया. इन्होंने कहा-
'नासा भी कह रहा है कि निकट भविष्य में कम्यूटर, वॉकिंग कम्यूटर, यदि बोलचाल की भाषा का कम्यूटर जिंदा रह सकता है तो संस्कृत के बल पर ही रहेगा नहीं तो नहीं रहेगा.'वीडियो में 0:25 पर देखें.
इसी भाषण में पोखरियाल ने अणु और परमाणु की शोध का श्रेय चरक ऋषि को दे डाला. पोखरियाल की बातों का जवाब शायद शब्दों में देना उतना सार्थक नहीं होगा. उनके दावों पर सबसे बढ़िया रिएक्शन उनके पीछे बैठे IIT बॉम्बे के एक प्रोफेसर ने दिया है. एकदम लाइव. (आप ऊपर वाले वीडियो में देख सकते हैं.)
वीडियो-किताबवाला: कश्मीर में छह सौ साल पहले संस्कृत में लिखा गया हजरत मुहम्मद पर सच