तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का ऐलान सरकार ने जोर-शोर से किया. ग्राफिक्स और पोस्टर डिजाइन कर खूब प्रचार किया. सरकार से जुड़े लगभग हर नेता ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की. दावा किया गया कि ये एक परिवर्तनकारी बदलाव है. लेकिन ऐलान के दूसरे दिन ही युवाओं की तरफ से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. कई आर्मी के रिटायर्ट ऑफिसर्स ने भी इस योजना पर सवाल उठाए हैं. पक्ष में भी तर्क हैं. लेकिन जब युवा सड़कों पर उतर आए तो उसको एड्रेस करना भी जरूरी हो जाता है.
क्या डेढ़ साल में युवाओं को 10 लाख नौकरियां मिल पायेंगी?
10 लाख नौकरियों की घोषणा सुनकर अभ्यार्थी खुश तो हैं, लेकिन उन्हें ये भरोसा नहीं है कि क्या भर्ती प्रक्रिया समय पर पूरी हो पाएगी?

शहरों में भर्ती इम्तिहान के फॉर्म और प्रतियोगिता की तैयारी के लिए किताबें देने वाली दुकानों पर एक इश्तहार जरूर टंगा दिखता है. जिस पर लिखा रहता है - 'नौकरियां ही नौकरियां'. प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा पन्ना-पन्ना पलट कर अपने लिए एक अदद नौकरी खोजते रहते हैं. बेशुमार बेरोजगारी की चुनौतियां झेलते देश में मंगलवार को दो बड़े फैसले हुए. पहला बड़ा एलान खुद प्रधानमंत्री कार्यालय के ट्विटर हैंडल से किया. कहा गया- देश में डेढ़ साल में केंद्र सरकार के विभागों और मंत्रालयों के ज़रिए 10 लाख नौकरी दी जाएगी. दूसरा बड़ा ऐलान तीनों सेनाध्यक्षों की मौजूदगी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया. बताया कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना में नॉन कमीशंड रैंक्स पर भर्ती अब अग्निपथ योजना के तहत होगी - माने सिपाही / सेलर या एयरमैन बनने के लिए अग्निपथ पर चलकर अग्निवीर बनना होगा. इस योजना में सैनिकों की भर्ती 4 साल के लिए की जाएगी.
सरकार की इस योजना के खिलाफ युवाओं की त्वरित प्रतिक्रिया दिखने लगी है. विरोध प्रदर्शन की सबसे पहली तस्वीरें बिहार से आईं. मुजफ्फरपुर में सेना की तैयारी कर रहे छात्र सड़कों पर उतर आए. पुतला फूंकते हुए नारेबाजी की. जैसे तैसे पुलिस इन्हें संभाल रही थी. अगली तस्वीर बक्सर से आ गई. यहां पर गुस्साए छात्र रेलवे पटरी पर पहुंच गए. घंटों तक प्रदर्शन करते रहे. राजस्थान के जयपुर और सीकर से भी ऐसे ही विरोध की तस्वीरें आईं.
अब इन तस्वीरों के पीछे दो ही बात हो सकती है. या तो सरकार इन्हें अग्निपथ योजना को समझा नहीं पाई, या तो इन्होंने योजना को समझ लिया और पंसद नहीं आई. भारत के गांव में युवा के लिए सेना और पुलिस भर्ती बड़ा मौका और सम्मान की बात होती है. ये संभवतः पहली बार है कि फौज में भर्ती के नियमों को लेकर ऐसा असंतोष देखा गया. लंबे वक्त से सेना की भर्ती रुकी हुई थी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत बीजेपी के कई नेताओं को यूपी चुनाव के दौरान सेना की तैयारी कर रहे युवाओं का विरोध झेलना पड़ा था. वादा किया गया कि भर्ती जल्द आएगी. मगर सरकार ने खुली भर्ती दोबारा शुरू करने की जगह अग्निपथ योजाना का ऐलान किया.
अब तक सेना में खुली भर्ती होती थी. जिसमें विज्ञप्ति निकलती थी, फिजिकल, मेडिकल होता था. एक छोटे से रिटन टेस्ट के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होता था और पक्की नौकरी मिल जाती थी. लेकिन अग्निपथ योजना के ऐलान ने युवाओं के मन को आशंकाओं से भर दिया है. क्योंकि सरकार ने ये नहीं कहा है कि खुली भर्ती नहीं होगी, मगर ये कहा है कि अब जो भी भर्ती होगी वो अग्निपथ से ही होगी. ऐसे में युवाओं की चिंता है कि 4 साल बाद जो अभ्यर्थी समाज में वापस लौटेंगे उनका क्या होगा, वे 4 साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे. क्या उन युवाओं के लिए सरकार ने किसी तरह की नौकरी या प्राइवेट जॉब का प्रबंध किया है
आज के दौर की राजनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर फलती-फूलती है. सैनिक इसकी गारंटी देता है. देशभक्ति की भावना के इतर सैनिक ऐसा इसीलिए करता है क्योंकि उसके पास सामाजिक सुरक्षा होती है. 17 साल की नौकरी फिर पेंशन और सस्ते सामान की कैंटीन सुविधा. जबकि अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वालों में से सिर्फ 25% ही इन सुविधाओं तक पहुंच पाएंगे. वो भी चार साल की सीनियॉरिटी के नुकसान के साथ.
ऐसे में युवाओं की तरफ से सोशल मीडिया पर कुछ बातें लिखी जा रही हैं. जैसे ये कि MLA,MP को 2 साल के लिए नियुक्त किया जाए, उसके बाद रिटायरमेंट दी जाए. पेंशन भी बंद की जाए. इन मंत्रियों को सदनवीर कहा जाए. हैशटैग अग्निवीर. इसके साथ ही कुछ और सवाल युवाओं के मन में है, जैसे कि
1.क्या इस योजना से स्थायित्व के मनोविज्ञान को चुनौती नहीं मिल रही?
2.असुरक्षित भविष्य के साथ सैनिक देश को सुरक्षा का एहसास पुख्ता तौर पर दिलाएंगे?
3. पांच साल तो सरकारों के लिए भी कम पड़ते हैं, फिर 4 साल का सैनिक कितना ठीक होगा?
4. कहीं ये योजना सेना के अनुशासन के लिए चुनौती न बन जाए?
ये सवाल सिर्फ युवाओं की तरफ से नहीं उठाया जा रहा है. कई राजनीतिक पार्टियां अग्निपथ योजना की तुलना संविदा या ठेके पर होने वाली नौकरी से कर रहे हैं. बीजेपी के ही सांसद वरुण गांधी ने भी ट्वीट कर लिखा, सरकार भी 5 सालों के लिए चुनी जाती है. फिर युवाओं को सिर्फ 4 साल देश की सेवा करने का मौका क्यों? विपक्ष की तरफ से तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा. क्या युवा पढ़ाई और 4 वर्षों की संविदा नौकरी भविष्य में BJP के पूंजीपति मित्रों के व्यावसायिक ठिकानों की रखवाली के लिए करेंगे? प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर सरकार से सवाल किया कि भाजपा सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है? सैनिकों की लंबी नौकरी सरकार को बोझ लग रही है? विपक्ष के सवालों के बीच कई ऑर्मी से की रिटायर्ट अधिकारियों ने भी इस योजना पर सवाल उठाए हैं. रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने लिखा
"Death knell for armed forces, ToD not tested, NO pilot project, straight implementation. Will also lead to Militarization of society, nearly 40,000(75%) youth year on year back rejected & dejected without a job, semi trained in arms ex Agniveers. Not a good idea. No one gains."
मतलब कि सशत्र बलों के लिए खतरे की घंटी. ToD यानी टूर ऑफ ड्यूटी का टेस्ट नहीं, कोई पायलट प्रोजेक्ट नहीं, सीधे कार्यान्वयन. इससे समाज के मीलिट्राइजेशन को बढ़ावा मिलेगा. लगभग 40 हजार युवा साल दर साल रिजेक्ट होंगे, मतलब कि 4 साल बाद रिटायर होंगे. हथियारों की की ट्रेनिंग के साथ बिना नौकरी के बेरोजगार अग्निवीर. अच्छा आइडिया नहीं है. किसी को लाभ नहीं है.
इस चिंता का मतलब यही है कि कहीं 4 साल बाद सेना से आने के बाद बेरोजगार युवा हथियार तो नहीं उठा लेगा. चूंकि हर क्षेत्र के लोगों की राय आपस में बंटी रहती है तो सेना में भी है. मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड), लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया की बातों से बिलकुल अलग राय रखते हैं, उनका मानना है,
"मेरे हिसाब से ये एक निराशावादी विचार है कि जिन 75% लोगों को काम नहीं मिला वो निराश होकर हथियार उठालेंगे. एक दिन भी वर्दी पहन लेने से व्यक्ति में राष्ट्र के लिए जो भावना जन्म लेटी है उसे एक वर्दी धारक की समझ सकता है."
हथियारों से ट्रेंड युवा के बेरोजगार होने के बाद की स्थिति पर सेना से सेवानिवृत्त दो बड़े अधिकारियों का पक्ष आपने सुना. अब आ जाते हैं दूसरे सवाल पर. विपक्ष के नेताओं के सवाल और वेटरन्स की चिंताओं के बीच से जो सबसे अहम सवाल निकल कर सामने आता है, वो ये, कि 4 साल बाद बेरोजगार हो जाने पर अग्निवीर करेंगे? अब यहां आता है सरकार का पक्ष. अग्निवीर योजना के ऐलान के थोड़ी ही देर बाद एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की, एमपी पुलिस में अग्निवीरों को वरीयता दी जाएगी. सुबह गृहमंत्रालय के ट्विटर हैंडल से भी ऐसा ही ऐलान हुआ. लिखा गया, गृह मंत्रालय ने इस योजना में 4 साल पूरा करने वाले अग्निवीरों को CAPFs और असम राइफल्स में भर्ती में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है. CAPFs के अंतर्रगत ही CRPF, ITBP, BSF, CISF, NIA जैसे अर्धसैनिक बल आते हैं.
21 मई 2020 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय बता चुके हैं कि अर्धसैनिक बलों में 1 लाख 11 हजार 93 पद खाली हैं. जिसमें से
BSF में 28 हजार 296,
CRPF में 26 हजार 506,
CISF में 23 हजार 906
SSB में 18 हजार 643
ITBP में 5 हजार 784 और
असम राइफल्स में 7 हजार 328 पद खाली हैं.
इनका कुल जोड़ 1 लाख 11 हजार के पार है. यही पद अब तक नहीं भरे गए तो अग्निवीरों का नंबर तो वैसे भी 4 साल बाद आएगा. नागपुर के सैकड़ों युवा इन्हीं भर्तियों के आंदोलन कर रहे हैं. चिलचिलाती धूप में नागपुर से दिल्ली के लिए पैदल मार्च कर रहे हैं. ये वो अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने साल 2018 में अर्धसैनिक बलों में नौकरी के लिए आयोजित परीक्षा दी. जनवरी 2021 में नतीजे भी घोषित हो गए लेकिन इनकी किस्मत नहीं खुली. दावा है कि मेरिट के आधार पर 55 हजार पद तो भरे लेकिन 5 हजार पद खाली ही छोड़ दिए. उन्हीं खाली छोड़े गए पांच हजार पदों के लिए ये नौजवान हजार किमी का पैदल मार्च कर रहे हैं.
मस्जिदों में शिवलिंग खोजने, इतिहास खोदने, बयानों में अपने-अपने धर्म के मुताबिक अपमान खोजकर पत्थर चलाने की हलचल बहुत तेज हो जाती है. मगर इन युवाओं की मांग पर सरकारों की स्थिति ना जाने क्यों शिथिल बनी रहती. ऐसे में अग्निवीरों के 4 साल बाद रिटायरमेंट के बाद के भविष्य पर सवालिया निशान तो अब भी लगा हुआ है. इस पर विशेषज्ञ मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) कहते हैं,
"जहां तक 75% लोगों की बात है, जब वो सेवानिवृत्त होंगे, 11 लाख तक की टैक्स फ्री सेवा निधि दी जाएगी. उनके पास स्किल होगी, सर्टिफिकेट होगा. और जब पुलिस की भर्ती होगी, तो एक आम अभ्यर्थी के मुकाबले ये चार साल आर्मी में सेवा कर के आए युवाओं के भर्ती होने की संभावना ज्यादा होगी."
अग्निपथ योजना को जान लिया, अग्निवीरों से जुड़ी चिंताओं और आशंकाओं को समझ लिया. अब आ जाते हैं डेढ़ साल में 10 लाख पदों पर भर्तियों के मुद्दे पर. जिससे जुड़ा पहला सवाल ये है कि 18 महीने में दस लाख नौकरी कौन से केंद्रीय विभागों में दी जाएगी. जवाब ये है कि
रेलवे में ही 3 लाख पद सरकारी नौकरी के खाली पड़े हुए हैं
रक्षा विभाग में 2 लाख 47 हजार 502 पद खाली हैं.
गृह मंत्रालय - 1 लाख 28 हजार 842 पद खाली हैं.
डाक विभाग - 90 हजार 50 पद भरने बाकी हैं.
रेवेन्यू - 76, हजार 327 पद खाली पड़े हुए हैं.
एकाउंट विभाग - 23 हजार 237 पद खाली हैं.
सरकार खुद संसद में बता चुकी है कि 8 लाख से ज्यादा पद तो खाली पड़े हुए हैं. सरकार के मुताबिक इन्हीं पदों को भरा जाएगा. मगर क्या डेढ़ साल में ये पद भर लिए जाएंगे? सालों तक लटकी रहने वाली भर्ती प्रक्रिया क्या डेढ़ साल में कंप्लीट हो जाएगी? इस पर युवाओं का कहना है कि वे सरकार के ऐलान से ये संतुष्ट हैं, मगर सिस्टम के तरीके पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं. और इसकी पुख्ता वजह भी है. इसी साल जनवरी महीने की तस्वीरों को याद करिए. जब जनवरी के आखिरी हफ्ते में रेलवे भर्ती में अनियमितता के बाद कई राज्यों में बेरोजगार युवा भड़क गए. बिहार में कई जगहों पर ट्रेनों में आग तक लगा दी गई थी. जब जनवरी महीने में प्रयागराज में वर्षों से रेलवे भर्ती इम्तिहान की तैयारी करते युवाओं के आक्रोश के बाद पुलिस कुंदे मारकर दरवाजे खुलवा रही थी. क्यों.. क्योंकि छात्र प्रदर्शन कर रहे थे. 2019 के चुनाव से पहले रेलवे में NTPC और ग्रुप डी की भर्ती का ऐलान हुआ था. 1 लाख 35 हजार पद भरे जाने थे. मगर अब तक वो भर्ती भी पूरी नहीं हो पाई है.
फरवरी 2022 में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में बताया कि एक मार्च 2018 तक केंद्र सरकार के विभागों मंत्रालयों में कुल 6 लाख 83 हजार 823 पद खाली पड़े थे. एक मार्च 2019 तक सरकार के 9 लाख 19 हजार 153 पद खाली थे और एक मार्च 2020 तक 8 लाख 72 हजार 243 सरकारी मंत्रालयों विभागों में पद खाली रहे. मतलब ये हुआ कि 2018 से 2019 के बीच खाली पद ना भरने की वजह से केंद्र में दो लाख 35 हजार 330 पद और खाली हो गए. जबकि 2019 से 2020 के बीच केंद्र सरकार मात्र 46 हजार 910 खाली पदों को ही भर पायी. शायद इस वजह से विपक्ष भी सरकार के ऐलान पर सवाल उठा रहा है. सुनिए
सरकार की तरफ से दावा है कि जो वादा किया है, उसे पूरा कर लिया जाएगा. डेढ़ साल मतलब 2024 के चुनाव से पहले 10 लाख नौकरियां. अब सवाल है कि क्या अग्निपथ योजना के तहत मिलने वाली नौकरी भी 10 लाख में जोड़ी जाएगी? सरकार की तरफ से इस कुछ साफ नहीं किया गया है. मगर हिंदू बिजनेस लाइन के डिप्टी एडिटर शिशिर सिन्हा के मुताबिक 10 लाख में सभी तरह के स्थायी,अस्थायी, संविदा, सरकारी कंपनियों वाली नौकरी और अग्नीपथ योजना में दी जाने वाली नौकरियां शामिल रहेंगी.