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रिपब्लिक डे परेड के लिए कैसे चुना जाता है चीफ गेस्ट, जिसे दी जाती है 21 तोपों की सलामी?

दो बार तो पाकिस्तान के नेता चीफ गेस्ट चुने जा चुके हैं.

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मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी और पीएम मोदी (फोटो: आज तक)

इस साल हम 74 वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मना रहे हैं और इस बार रिपब्लिक डे परेड में बतौर चीफ गेस्ट शामिल हो रहे हैं मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी. वो 24 जनवरी की शाम दिल्ली पहुंचे, इस दौरान एयरपोर्ट पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. तो 74 साल के इतिहास में ये पहली बार है जब मिस्र का कोई लीडर रिपब्लिक डे परेड में चीफ गेस्ट बन रहा है. इसे भारतीय विदेश कूटनीति के लिहाज से एक बड़ा कदम बताया जा रहा है.

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वैसे भारत में रिपब्लिक डे पर विदेशी चीफ गेस्ट की परंपरा पुरानी रही है. दो बार तो पाकिस्तानी नेता भी चीफ गेस्ट बन चुके हैं. तो आज जानेंगे की आखिर रिपब्लिक डे परेड के चीफ गेस्ट चुने जाने की प्रक्रिया क्या है? और उनका प्रोटोकॉल क्या होता है?

क्या है प्रक्रिया?

रिपब्लिक डे परेड के चीफ गेस्ट को चुनने के लिए 6 महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है. विदेश मंत्रालय के बड़े अधिकारी अलग-अलग नामों पर चर्चा करते हैं. इस दौरान कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है. सबसे पहले तो ये कि जिस देश का चीफ गेस्ट होगा, उससे भारत के रिश्ते कैसे हैं? इसके बाद पॉलिटिकल, इकॉनमिक, कमर्शियल रिलेशन और सैन्य सहयोग समेत बाकी विषयों पर चर्चा होती है. और जब किसी एक देश को लेकर मीटिंग में शामिल सभी विशेषज्ञ सहमत हो जाते हैं, तो उस देश का नाम प्रधानमंत्री को भेजा जाता है. फिर PM अपने सलाहकारों के साथ चर्चा के बाद फाइल राष्ट्रपति भवन को बढ़ा देते हैं.

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राष्ट्रपति भवन से फाइनल अप्रूवल के बाद उस देश में अपॉइंट इंडियन ऐंबैसडर चीफ गेस्ट का शेड्यूल पता करते हैं. अगर सब कुछ ठीक होता है, तो विदेश मंत्रालय का टेरिटोरियल डिवीजन चीफ गेस्ट के साथ बातचीत शुरू करता है. फिर चीफ गेस्ट की ओर से सहमति मिलने के बाद नाम फाइनल कर दिया जाता है. और इसके बाद प्रोटोकॉल अधिकारी उनका मिनट टू मिनट शेड्यूल प्रोग्राम जिम्मेदार अफसर से शेयर करते हैं.

पहला ‘रिपब्लिक डे’ 26 जनवरी 1950 को दिल्ली के इरविन स्टेडियम में मनाया गया था, जिसे आज हम मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के नाम से जानते हैं. पहले रिपब्लिक डे में इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो को चीफ गेस्ट बनाया गया था. नेहरू और सुकर्णो बेहद करीबी माने जाते थे और दोनों ने एशिया और अफ्रीकी देशों की आजादी को लेकर आवाज उठाई थी.

वहीं राजपथ पर साल 1955 में रिपब्लिक डे परेड में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इसके दस साल बाद 1965 में पाकिस्तान के एग्रीकल्चर मिनिस्टर राणा अब्दुल हमीद भी रिपब्लिक डे परेड में शामिल हुए. इसके तीन महीने बाद ही दोनों देशों के बीच जंग छिड़ गई. तब से आजतक पाकिस्तान के किसी नेता को रिपब्लिक डे परेड का चीफ गेस्ट नहीं बनाया गया.

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प्रोटोकॉल क्या होता है?

चलिए, अब रिपब्लिक डे परेड के चीफ गेस्ट का प्रोटोकॉल क्या होता है, वो भी समझ लेते हैं. चीफ गेस्ट को एक दिन पहले राष्ट्रपति भवन विजिट के लिए ले जाया जाता है. यहां भारतीय सेना उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर और 21 तोपों की सलामी देती है. इस दौरान मेहमान के साथ प्रेसिडेंट गार्ड भी मौजूद रहते हैं, जो उनके चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाए हुए होते हैं. इसके बाद चीफ गेस्ट राजघाट पहुंचते हैं. यहां वो महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हैं फिर वो प्रधानमंत्री के साथ लंच में शामिल होते हैं.

फिर अगले दिन यानी 26 जनवरी को वो रिपब्लिक डे परेड में शामिल होते हैं. परेड वाले दिन दस हजार से भी ज्यादा सुरक्षाकर्मी चीफ गेस्ट की सुरक्षा में तैनात होते हैं. मल्टी लेयर्ड सिक्योरिटी के बीच रेड कार्पेट से होते हुए चीफ गेस्ट मुख्य मंच पर पहुंचते हैं. ये मंच बुलेट प्रूफ कांच से कवर होता है. इस दौरान उनके साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री मौजूद होते हैं. परेड में तीनों सेनाएं चीफ गेस्ट को सलामी देती हैं.  

वैसे इस बार 2 साल बाद रिपब्लिक डे परेड में कोई चीफ गेस्ट शामिल हो रहा है. इससे पहले साल 2021 और 2022 में कोरोना के चलते रिपब्लिक डे परेड में कोई चीफ गेस्ट शामिल नहीं हुआ था.

वीडियो: 26 जनवरी परेड में कैसे चुना जाता है चीफ गेस्ट, जिसे दी जाती है 21 तोपों की सलामी

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