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क्या फर्जी कॉल सेंटर के कर्मचारियों को अपने काम के बारे में कुछ नहीं पता होता?

फर्जी कॉल सेंटर काम कैसे करते हैं, आज जान लीजिए.

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जुलाई में वेस्ट दिल्ली इलाके में पकड़े गए एक कॉल सेंटर की तस्वीर. फोटो- आजतक
हाल के समय में दिल्ली-एनसीआर और देश के दूसरे इलाकों में कई फर्जी कॉल सेंटरों का भंडाफोड़ हुआ है. आए दिन खबर आती है कि राजधानी या एनसीआर में पुलिस ने किसी फेक कॉल सेंटर से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की. मिसाल के लिए 16 जून 2021 की एक खबर लेते हैं. उस दिल्ली पुलिस ने रोहिणी में एक फेक कॉल सेंटर चलाने वाले 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें से 4 महिलाएं थी. पुलिस ने बताया था कि पहले ये लोग किसी फेक कॉल सेंटर में काम करते थे, बाद में मिलकर अपना फर्जी कॉल सेंटर चलाने लगे. आरोपी क्रेडिट कार्ड बनाने के नाम पर लोगों को कॉल करते थे. उन्हें आकर्षक स्कीम्स सुनाकर झांसे में लेते थे, पर्सनल डिटेल्स हासिल करते थे और फिर फ्रॉड को अंजाम देते थे.
ये तो सिर्फ एक ख़बर है. थोड़ा सा भी गूगल करेंगे तो पता चलेगा कि पिछले कुछ समय से देश में फर्जी कॉल सेंटर्स लगातार पकड़े जा रहे हैं, जो अलग-अलग तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं. कुछ मिसालें देखें.
11 जून 2021– महाराष्ट्र के ठाणे में बड़ा फर्जी कॉल सेंटर पकड़ा गया. ये भी इसी मॉड्यूल पर काम कर रहा था कि लोगों को कॉल करो, लोन के आकर्षक ऑफर दो और फिर डिटेल्स हासिल करके ठगो. 20 से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें कथित तौर पर पता ही नहीं था कि वे फर्जी कॉल सेंटर के लिए काम कर रहे हैं. पुलिस ने आरोपी मालिकों को भी गिरफ्तार किया था. 11 जून को ही हरियाणा के फरीदाबाद में 2 फेक कॉल सेंटर पकड़े गए. कुल 9 लोग गिरफ्तार किए गए. ये लोग सीधे अमेरिका के नागरिकों को चूना लगा रहे थे. उन लोगों के सोशल सिक्योरिटी नंबर हासिल करके.
27 मई 2021- नोएडा में एक फेक कॉल सेंटर पकड़ा गया. इसका एक ऑफिस यहीं नोएडा में था तो दूसरा मुरादाबाद में. ये लोग विदेश से भारत में की जाने वाली कॉल या भारत से विदेश में की जाने वाली कॉल को ISD से लोकल कॉल में बदलने का काम करते थे. करीब 300 ISD कॉल हर मिनट लोकल में बदली जा रही थीं. इससे सीधे-सीधे भारत सरकार को चूना लगाया जा रहा था. इसके अलावा इंटरनेशनल कॉल्स पर लगने वाले सिक्योरिटी चेक में भी ये लोग सेंधमारी कर रहे थे.
9 फरवरी 2021– नोएडा में एक और फेक कॉल सेंटर का पता चला. सेक्टर-63 की एक बिल्डिंग में किराये पर कमरा लेकर ये कॉल सेंटर चलाया जा रहा था. पकड़े गए आरोपी जम्मू-कश्मीर के बारामुला के रहने वाले थे. ये लोग भी ISD कॉल्स में सेंधमारी करके ठगी कर रहे थे.
Ghaziabad Call जुलाई के महीने में गाजियाबाद से पकड़ा गया एक फेक कॉल सेंटर. फोटो- आजतक

इन कॉल सेंटर्स के ठगी के तरीके को समझकर ही ख़ुद को ठगने से बचाया जा सकता है. इसे समझने के लिए हमने बात की नोएडा के एडिशनल डीसीपी अंकुर अग्रवाल से. उन्होंने बताया,
"बहुत से तरीकों से ठग इन कॉल सेंटरों के माध्यम से जनता को आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं. कभी नौकरी के नाम पर तो कभी लॉटरी का झांसा देकर. विदेशी नागरिकों को भी नहीं छोड़ते. ये लोग लगातार नए तरीके तलाश करते रहते हैं. जैसे ही कोई ठगी का तरीका पुराना होने लगता है, लोग फंसना कम कर देते हैं तो ये नया तरीका ईजाद कर लेते हैं."
किस तरह करते हैं ठगी? अंकुर अग्रवाल ने बताया कि फेक कॉल सेंटर लोगों को फोन करते हैं. उन्हें क्रेडिट कार्ड, नौकरी, लोन, लॉटरी जैसे ऑफर दिए जाते हैं. इसके बाद रजिस्ट्रेशन के लिए कोई लिंक दिया जाता है जिस पर क्लिक करते ही लोगों का अकाउंट खाली कर दिया जाता है. वे बताते हैं,
"डेबिट या क्रेडिट कार्ड का CVV नंबर कभी किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए. ये नंबर लेकर और आपकी डिटेल जानकर ठग आपको चूना लगा सकते हैं. वहीं विदेश में रहने वालों को वायरस और कार्ड ब्लॉक की बातों से डराकर उनकी डिटेल हासिल की जाती है और फिर उन्हें ऑनलाइन ठगी का शिकार बना लिया जाता है."
जामताड़ा मॉडल से कितना अलग है? ठगी का एक तरीका जामताड़ा तरीके के नाम से जाना जाता है. इसमें भी ठग लोगों को फोन करते हैं और उनकी डिटेल हासिल करके उनका अकाउंट खाली कर देते हैं. इन ठगों को पकड़ना बहुत मुश्किल होता है. क्योंकि ये झारखंड के जामताड़ा जिले से फोन करते हैं, इसलिए इसे जामताड़ा तरीका कहा जाता है. ठगी के इस मॉडल को एक उदाहरण से समझिए.
गाजियाबाद के वसुंधरा इलाके में रहने वाले अभिषेक श्रीवास्तव के पिता सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुके हैं. स्मार्टफोन यूजर हैं. कुछ समय पहले उनके पास एक कॉल आया जिसमें उन्हें पेटीएम की केवाईसी कराने को कहा गया. उन्हें इंस्ट्रक्शन फॉलो करने को कहा गया. उन्होंने समझा कि वाकई पेटीएम से फोन है, लेकिन इसके बाद उन्हें झटका तब लगा जब उनके फोन पर अकाउंट से पैसे कटने के मैसेज आने लगे. उन्होंने बैंक में फोन कर जब तक इस बारे में बताया तब तक ठग एक लाख रुपये उनके खाते से निकाल चुके थे.
इसके बाद पीड़ित गाजियाबाद पुलिस के पास पहुंचे. शिकायत दर्ज कराई. कुछ दिन बाद पता चला कि ठगी झारखंड से हुई है. पीड़ित के पैसों का कभी पता नहीं चल सका. ये जामताड़ा मॉडल था.
Kirti Nagar दिल्ली के कीर्ति नगर इलाके से पकड़ा गया एक कॉल सेंटर. यहां 93 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. फोटो- आजतक

इंटरनेट मामलों के जानकार सुभाष सैनी बताते हैं कि इस तरह के मामलों में अपराधी कम ही पकड़े जाते हैं. अगर ठगी करने वाला इंटरनेट कॉलिंग का इस्तेमाल कर रहा है या फिर ऐसे इलाकों से कॉल करता है जो बहुत दुर्गम हैं तो पुलिस चाह कर भी पीड़ित की उचित मदद नहीं कर पाती. झारखंड, उड़ीसा, कश्मीर और कभी- कभी तो पाकिस्तान से भी ऐसे फोन लोगों को पहुंचते हैं और ठगी को अंजाम देते हैं.
लेकिन कॉल सेंटर तो महानगरों से संचालित किए जा रहे हैं. तब क्या इनको पकड़ना आसान है? दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद में भी ऐसे कॉल सेंटर चल रहे हैं. सवाल ये कि इन कॉल सेंटरों को पुलिस कैसे जांचती है. कैसे पता चलता है कि कॉल सेंटर असली है कि नकली है? एडिशनल डीसीपी नोएडा अंकुर अग्रवाल बताते हैं,
"जामताड़ा मॉडल थोड़ा अलग है. वहां स्थानीय लोग भी ठगों के साथ हो सकते हैं. उनको पकड़ना बहुत कठिन है. हालांकि नामुमकिन वो भी नहीं है, लेकिन कठिन है. नोएडा जैसे शहरों में सीसीटीवी कैमरे हैं. लोग सतर्क हैं. तो ऐसे में थोड़ा आसान होता है पुलिस के लिए. हमारी एक टीम संदेह होने पर कॉल सेंटर में जाती है और मैनेजर से बात करती है.
यदि कॉल सेंटर असली है तो आसानी से सारे कागज आदि दिखा देते हैं. जांच में सहयोग करते हैं. लेकिन नकली कॉल सेंटर के अधिकारी बहाने बनाते हैं. इस स्थिति में हमारी टीम, बैकअप टीम को इशारा कर देती है. बैकअप टीम जिसमें कई अधिकारी होते हैं मौके पर पहुंच जाती है. कंप्यूटरों की जांच में सारी स्थिति पता चल जाती है. तब हम लोग आगे की लीगल कार्रवाई करते हैं."
कर्मचारियों को पता होता है कि वो कहां काम कर रहे हैं? किसी भी कॉल सेंटर में 15 से 20 युवाओं का स्टाफ होता है. कंप्यूटर होते हैं, प्रिंटर होते हैं. ऑफिस बॉय होते हैं. जो लोग यहां काम कर रहे होते हैं क्या उन्हें पता होता है कि वोे गलत काम कर रहे हैं और लोगों को चूना लगा रहे हैं? क्या वे ये जानते हैं कि पकड़े जाने पर उन्हें कड़ी सजा हो सकती है? इन सवालों पर डीसीपी अंकुर कहते हैं कि ना केवल इन लोगों को ठगी के काम की जानकारी होती है, बल्कि इंसेंटिव के लालच में ये अधिक से अधिक लोगों को फंसाने की कोशिश करते हैं. पुलिस अधिकारी ने बताया,
"इन लोगों की एक फिक्स सैलरी होती है. 15 से 25 हजार महीने तक. इनको लालच भी दिया जाता है कि फिक्स सैलरी के अलावा इनको हर केस, हर ठगी का कुछ प्रतिशत हिस्सा भी मिलेगा. ऐसे में ये लोग ज्यादा से ज्यादा लोगों को फंसाकर अधिक से अधिक पैसे ठगने की कोशिश करते हैं ताकि इंसेंटिव अधिक मिल सके. कॉल सेंटर के मालिक या मैनेजर स्टाफ को शुरुआत में ये सब नहीं बताते. जब कोई नौकरी करने लगता है, उसे सब पता चलने लगता है तब ये बातें बताते हैं. ऐसे कर्मचारी भी ठगी में हिस्सेदार बन जाता है."
पकड़े जाने पर किस तरह की सजा हो सकती है? अंकुर अग्रवाल के मुताबिक, ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस सख्त धाराओं में केस दर्ज करती है. आईटी एक्ट की धारा में भी केस दर्ज होता है. अगर ये लोग किसी बड़ी कंपनी के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं तो 467, 468 धारा के तहत कार्रवाई होती है जिसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. 420 और आईटी एक्ट में 3-5 साल तक की सजा हो सकती है. आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? - अपनी फाइनेंशियल डिटेल्स कभी किसी अजनबी के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए. - अपने डेबिट, क्रेडिट कार्ड के पिन और CVV कभी किसी अनजान शख्स को नहीं बताने चाहिए. - बैंक अकाउंट की डिटेल्स, अपने आधार कार्ड की डिटेल्स फोन पर किसी अजनबी को नहीं देनी चाहिए. - फोन पर अगर कोई आपको बीमा, RO, इंटरनेट कंपनी, लॉटरी, नौकरी, लोन की बात कह रहा है तो उसका भरोसा नहीं करना चाहिए. लोन और बीमा खुद उनके ऑफिस जाकर कराने चाहिए. - KYC से लेकर KBC तक के नाम पर ठगी का कारोबार चल रहा है. इसलिए बच कर रहें.

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