The Lallantop

घोड़े का 'पावर' से ऐसा क्या रिलेशन है कि ऐड देने वाले इसके पीछे पगलाए रहते हैं?

इतिहास के पन्ने से लेकर अखबारी पन्ने तक, हर जगह हिनहिनाता रहा है घोड़ा.

Advertisement
post-main-image
केवल मान-सम्मान, इज्जत-शोहरत ही नहीं, बल्कि पावर का भी दूसरा नाम बनता चला गया घोड़ा. (फोटो: PTI)
बच्चन साहब के बंगले पर भारी भीड़ जुटी थी. सज-धजकर आए मेहमानों के सामने कैमरे चमक रहे थे. लोग उस पल को निहारने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए थे. भारी धक्कमपेल. लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा आदमी भी था, जो भीड़ से एकदम अलग खड़ा था. इत्मिनान के साथ, वो भी पूरी अकड़ में.
बच्चन साहब की नजर जब उस अजनबी पर पड़ी, तो उन्हें बड़ा ताज्जुब हुआ. वो लंबे-लंबे कदम बढ़ाते हुए उसके पास गए और बोले-
मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है... और आज मेरे बेटे की शादी है. लेकिन तुम इतना तनकर क्यों खड़े हो भैया? तुम्हारे पास क्या है?
उस आदमी ने एक सजे-धजे घोड़े की तरफ इशारा करते हुए कहा-
हुजूर, मेरे पास घोड़ा है...
वैसे ऊपर वाली कहानी एकदम फर्जी है. अब असली कहानी सुनिए. अभिषेक बच्चन की शादी का दिन था. कुछ लोग हाथ में कैमरे और माइक लिए उनके घरवालों की बाइट लेना चाह रहे थे. लेकिन उस दिन सब के सब लगातार 'नॉट रिचेबल' जा रहे थे. तब एक कैमरेवाले ने अपने दिमाग का घोड़ा दौड़ाया. उसने बड़ी मुश्किल से उस घोड़ी वाले को खोजकर उसका इंटरव्यू कर लिया, जिसकी घोड़ी पर बैठकर अभिषेक बारात ले जाने वाले थे.
दरअसल बात हो रही है घोड़े की. घोड़ा किस तरह हम इंसानों की जिंदगी में शामिल होता चला गया. केवल मान-सम्मान, इज्जत-शोहरत ही नहीं, बल्कि ताकत यानी पावर का दूसरा नाम बनता चला गया. ड्रॉइंग रूम की दीवारों पर टंगे आर्ट से लेकर केमिस्ट की शॉप के फ्रंट वाले ड्रॉवर तक. एक-एक करके सारी चीजों पर गौर करते हैं.

इतिहास: जब पावर के लिए घोड़े छोड़े जाते थे

आपने 'अश्वमेध' का नाम सुना होगा. प्राचीन काल में राजे-महाराजे एक यज्ञ करवाते थे. इस यज्ञ में एक सुंदर, लंबे-तगड़े घोड़े को खूब सजा-धजाकर खुला छोड़ दिया जाता था. पीछे-पीछे चलती थी राजा की पूरी सेना. घोड़ा सालभर में जितने प्रदेश में घूम आता था, वो सारे उस राजा के हो जाते थे. इस तरह वो राजा 'चक्रवर्ती' हो जाता था. मतलब अब उसके पास जीतने को कुछ भी बचा नहीं रह गया है.
हां, अगर पास-पड़ोस के किसी राजा को यज्ञ करने वाले राजा की अधीनता स्वीकार नहीं होती थी, तो उसे एक छोटा-सा काम करना होता था. उसे यज्ञ के घोड़े को रोकना होता था. और घोड़े को रोकने का मतलब था- युद्ध. इस लड़ाई में जो जीता, वही सिकंदर.
प्राचीन काल में राजे-महाराजे एक यज्ञ करवाते थे- अश्वमेध'
प्राचीन काल में राजे-महाराजे एक अनोखा यज्ञ करवाते थे- 'अश्वमेध'

रामायण, महाभारत और पुराणों में अश्वमेध के कई चर्चित किस्से हैं. ऋग्वेद में भी अश्वमेध का जिक्र है. अगर लिखित इतिहास की बात करें, तो दूसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व में इस यज्ञ के प्रमाण मिलते हैं. शुंग वंश के एक राजा थे- पुष्यमित्र शुंग. इन्हीं के जमाने में थे पतंजलि, जिन्होंने लिखा था 'महाभाष्य'. संस्कृत के व्याकरण पर बहुत ही महान टीका. योग के बारे में पहले-पहल इन्हीं पतंजलि ने ही सूत्र लिखा था. ये पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के अश्वमेध में मौजूद थे.
चौथी शताब्दी में गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त ने भी ये यज्ञ किया था. दक्षिण भारत के कुछ राजाओं ने भी ऐसा यज्ञ किया था. इन सबसे सेंटर में एक ही चीज थी- पावर. और पावर का सिंबल था घोड़ा.
बाद के दौर में भी पावर हासिल करने के लिए जंग लड़ी जाती रही. कभी घोड़े के कंधे पर बंदूक रखकर, तो कभी घोड़े की पीठ पर सवार होकर. बंदूक का ट्रिगर भी 'घोड़ा' है. महामहिम की शान की सवारी, बग्घी खींचने वाला भी घोड़ा ही है. मतलब घोड़े की शान में कभी कमी नहीं आई.

फिजिक्स : जब घोड़े ने पावर की 'वॉट' लगा दी

18वीं शताब्दी में स्कॉटलैंड में एक महान वैज्ञानिक हुए. आज भी बल्ब-ट्यूबलाइट खरीदते हुए हम इनका नाम लेते हैं. 15 वॉट का बल्ब... 20 वॉट का बल्ब. ये साइंटिस्ट थे जेम्स वॉट. इन्हीं के नाम पर पावर मापने की इकाई बना वॉट. ये वॉट पावर मापने की SI यूनिट है. मतलब आज पूरी दुनिया में जिस तरह लंबाई मापने की यूनिट मीटर है, टाइम मापने की यूनिट सेकंड है, वैसे ही पावर को वॉट में बताते हैं. लेकिन एक लंबे दौर तक पावर की यूनिट HP थी. HP मतलब हॉर्स पावर. हॉर्स पावर की कहानी कुछ इस तरह है.
जेम्स वॉट ने ही दुनिया में सबसे पहले स्टीम यानी भाप वाला इंजन बनाया था. तब के दौर में इस बात की जरूरत महसूस हुई कि आखिर इंजन की ताकत को बयां कैसे किया जाए? तब इंजन की शक्ति बताने के लिए घोड़े की ताकत से इसकी तुलना की गई. लेकिन इसके लिए ये तय करना भी जरूरी था कि आखिर घोड़े में कितनी ताकत होती है. इसके लिए एक तरकीब अपनाई गई.
जेम्स वॉट ने ही दुनिया में सबसे पहले भाप वाला इंजन बनाया था.
जेम्स वॉट ने ही दुनिया में सबसे पहले कारगर भाप वाला इंजन बनाया था.

एक घोड़े को एक खास तरह के सिस्टम के जरिए कुछ वजन उठाने का काम दिया गया. उस भार और उसे उठाने में लगने वाले टाइम को नोट कर लिया गया. अब हर घोड़े की कैपेसिटी तो एक जैसी होती नहीं है. मान लें, हर घोड़े की कैपेसिटी एक जैसी हो भी जाए, तो हर घोड़े का काम करने का मन हो ही जाए, ये जरूरी नहीं है. वो कहते हैं न कि आप घोड़े को तालाब के किनारे ले जा सकते हैं, लेकिन वो पानी पिए, न पिए, ये उसकी मर्जी है.
इसलिए इस एक्सपेरिमेंट को कई बार किया गया. घोड़ों की संख्या में फेरबदल करके, भार में बदलाव करके. इतना करने के बाद एक ठोस फॉर्मूला सामने आ गया. ये पाया गया कि एक घोड़ा करीब 550 पाउंड (250Kg)वजन 1 सेकंड में 1 फुट की ऊंचाई तक खींच सकता है. यही है 1 हॉर्स पावर. अगर इसे वॉट में बदलते हैं, तो फॉर्मूला आता है:
1 HP= 745.7 Watts(Approx.)
आप जमीन से पानी निकालने वाली मोटर पर उसकी कैपेसिटी देख सकते हैं कि ये कितने वॉट या कितने HP की है. इस सत्यकथा में अपने काम की एक ही चीज है. ताकत बताने और आजमाने के लिए चुना गया घोड़ा. उसके मुकाबले में दूसरा कोई नहीं.

कामशास्त्र : बड़े 'काम' का घोड़ा

अपने देश में एक बड़े प्रतापी महर्षि हुए थे. पहली से पांचवीं शताब्दी के बीच कभी हुए थे. नाम था वात्स्यायन. था क्या, आज भी उनका बड़ा नाम है. आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया. उन्होंने लोगों की भलाई के लिए एक किताब लिखी थी- कामसूत्र. ये आज भी बेस्टसेलर बुक है. वे बताते हैं कि जीवन को अगर एक रुपया मान लें, तो इसमें अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष का हिस्सा 25-25 पैसे के बराबर होना चाहिए. सब में बैलेंस बना रहे. किसी एक में बहुत आगे निकल गए, किसी में बहुत पिछड़ गए, तो दिक्कत है.
वात्स्यायन ने कामसूत्र पर कई गूढ़ बातें बताईं. इसी के एक चैप्टर में उन्होंने घोड़े का जिक्र किया है. दरअसल, वो चर्चा कर रहे थे कि किस तरह की स्त्री के लिए किस तरह का पुरुष मैचेबल रहता है. इसी चर्चा में उन्होंने पुरुषों के यौनांग के बारे में बताया है. तीन टाइप के- शश, वृष और अश्व. यानी खरगोश के जैसा स्मॉल, बैल के जैसा मीडियम और घोड़े के जैसा लार्ज. माने यहां भी घोड़ा रेस में सबसे बेस्ट.
वात्स्यायन ने 'कामसूत्र' के एक चेप्टर में घोड़े का जिक्र किया है.
आचार्य वात्स्यायन ने 'कामसूत्र' के एक चेप्टर में घोड़े का जिक्र किया है.

अब आप ही बताइए, जिस जानवर को पावर की वजह से ही वात्स्यायन से लेकर जेम्स वॉट तक ने इतनी इज्जत बख्शी हो, उसका निरादर विज्ञापन देने वाले भला कौन-से चने खाकर करते? इसलिए ऐड वालों ने अक्ल के घोड़े दौड़ाए और घोड़ा हिनहिनाता हुआ सीधे बेडरूम तक पहुंच गया.


जो पानी विराट कोहली पीते हैं, जो ऑस्कर अवॉर्ड्स में बंटा था, उसमें ज्यादा हाईड्रोजन वाला मैटर क्या है?

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement