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शिव-पार्वती ने क्यों छोड़ा हिमालय पर्वत?

जब अपनी ही मां से नाराज हुईं पार्वती.

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फोटो - thelallantop
भगवान शिव और पार्वती की नई नई शादी हुई थी. एक दिन अचानक पार्वती बोलीं कि अब मैं इस हिमालय पर्वत पर नहीं रहूंगी. मेरे लिए कोई दूसरा घर बनाइए. इस पर महादेव बोले कि मैं तो तुमसे हमेशा ही यह बात कहता था कि कहीं और चलकर रहा जाए. लेकिन तुम मना करती थीं. आज क्या हो गया? देवी बोलीं कि मैं गई थी अपने पिता के घऱ. वहां मेरी माता ने मुझसे कहा कि तुम्हारे पति गरीब हैं, इसलिए हमेशा खिलौनों से खेलते हैं. देवताओं की क्रीड़ा ऐसी नहीं होती. वह आगे बोलीं कि आप जो अलग-अलग टाइप के गणों के साथ रहते हैं, यह आपकी सासू मां को पसंद नहीं है. सुनकर भगवान शिव हंस पड़े और पार्वती जी को भी हंसाते हुए बोले- 'बात तो सही है. इस पर तुम्हें दुख क्यों हुआ? मैं कभी हाथी के चमड़े लपेटता हूं, कभी बिना कपड़ों के घूमता हूं, श्मशान में रह लेता हूं, मेरा कोई घर नहीं है, जंगलों-पर्वतों में घूमता हूं. इसलिए तुम्हें माता पर गुस्सा नहीं होना चाहिए. इस पृथ्वी पर मांओं जैसा कोई नहीं है. वे सबका हित चाहती हैं.' पार्वती बोलीं कि मुझे अपने भाई-बहनों से कोई प्रयोजन नहीं है. आप वही करें, जिससे मैं सुखी रहूं बस. तब देवी की इच्छा के मुताबिक भगवान शिव ने वह पर्वत छोड़ दिया और अपने गणों को लेकर सुमेरु पर्वत के लिए चल पड़े. ब्रह्मपुराण, गीता प्रेस, पेज 86