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कजिन आपस में शादी करें तो क्या कमजोर बच्चे पैदा होंगे?

ये रिसर्च है या इस्लाम के खिलाफ प्रॉपेगैंडा?

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फोटो - thelallantop

'एक सुबह मैं उठी. घर में भीड़ लगी हुई थी. लोग अम्मी-अब्बू को सांत्वना दे रहे थे. मेरे बाकी भाई-बहन भी रो रहे थे. मेरे भाई सरफ़राज़ की मौत हो गयी थी. मैने काफी दिनों तक उम्मीद रखी कि भाई लौट आएगा लेकिन वह नहीं आया.'

आय़शा इस वक्त 36 साल की है. उसे याद है कि कैसे ढाई साल की उम्र में उसका जुड़वा भाई अहमद मर गया था. और उसकी बहन ताहिरा किस तरह लर्निंग डिसएबिलिटी से गुज़र रही है. कासिम, जो कि सरफराज़ के दो साल बाद जन्मा था, ऐसी बीमारी से गुज़र रहा था जिसमें उसे चौबीसों घंटे देखरेख की ज़रूरत पड़ती थी. वह अपने अठारवें जन्मदिन के पहले ही मर गया.

आयशा एक पाकिस्तानी माता-पिता की संतान है. जो पहली पीढ़ी के चचेरे भाई-बहन (first generation cousin) हैं. अपने ही परिवार में शादी करने की परंपरा पर लगातार सवालिया निशान लगता रहा है. इस तरह की ट्रेडीशन केवल मुस्लिमों में ही नहीं, कई और समुदायों में पाया जाता है. हालांकि इस तरह के प्रमाण अब बढ़ रहे हैं, जिससे पता चलता है कि परिवार या नज़दीकी रिश्तेदारों मे शादी करने से पैदा होने वाले बच्चों मे जेनेटिक डिसऑर्डर की समस्या देखी जाती है.

द मेल पेपर ने फ्रीडम ऑफ इन्फॉरमेशन लॉ के तहत जो आंकड़े प्राप्त किए, वो दिखाते हैं कि शेफील्ड, ग्लासगो, और बर्मिंघम में मानसिक बीमारियों से पीड़ित बच्चों में 20 फीसदी बच्चों के मां-बाप या पूर्वज पाकिस्तानी मूल के हैं.

सिर्फ बर्मिंघम हॉस्पिटल में ही देखा गया है कि जेनेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों की संख्या 2011 से लेकर अब तक करीब 43 प्रतिशत बढ़ गयी है. इसकी वजह से सरकार का हेल्थ का खर्च बढ़ता है. दिनों-दिन जेनेटिक डिसऑर्डर से संबंधित बीमारियां और भी सीरियस होती जा रही हैं और इनके ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं हैं.

साइंटिफिक रिसर्च ने दिखाया है कि फर्स्ट जेनेरेशन कज़िन के बीच जो शादियां होती हैं उनमें इस तरह की बीमारियों का खतरा और भी बढ़ जाता है.

2011 की जनगणना के अनुसार यूके में लगभग 2 फीसदी लोग पाकिस्तानी ब्रिटिश हैं. ये लोग अपने चचेरे भाई बहनों या नज़दीकी रिश्तेदारी में शादी होती है. कारण है सांस्कृतिक, ताकि प्रापर्टी में बंटवारा न हो. अरब और उत्तरी अफ्रीका में इस तरह की शादियां काफी संख्या में होती हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि इन शादियों से ऐसी तमाम बीमारियां हो रही हैं, जो पहले कभी देखी नहीं गयीं. पढ़ने-समझने की समस्याओं के साथ साथ किडनी, फेफड़े, अंधेपन, बहरेपन आदि की भी समस्या हो जाती है.

आयशा का जन्म कैले में हुआ जहां की 20 प्रतिशत जनसंख्या पाकिस्तानी मुस्लिम है. काफी लोग मीरपुर गांव से आते हैं जिसे अब मिनी इंग्लैण्ड भी कहा जाता है. आयशा ने परंपराओं को तोड़ा और चचेरे भाई से शादी करने से मना कर दिया. वह कहती है कि उसके पिता ने यह कभी स्वीकार नहीं किया कि उनके बच्चों की मौत का कारण उनकी चचेरी बहन से शादी होना है. उनका कहना था कि डॉक्टर गलत कहते हैं, यह तो अल्लाह के हाथों में है. उनके दिमाग में पूरी तरह यह बात घर कर गयी थी कि यह अल्लाह का किया हुआ है. वह तर्क देते हैं कि अगर यह शादी के कारण होता तो सारे बच्चे दिमागी परेशानियों के साथ पैदा होते.

आयशा कहती है,

'मुझे पता है कि बहुत से लोग कहेंगे कि चचेरे भाई से शादी न करना धर्म के खिलाफ है. लेकिन यह एक तरह की गलत धारणा है जो फैलाई जा रही है. कुरान में इसका कोई ज़िक्र नहीं है. पूरी कम्युनिटी इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि चचेरे भाई या बहन से शादी करने से हेल्थ प्रॉब्लम्स हो जाती हैं. उन्हें लगता है कि यह दीन यानि धर्म के खिलाफ है. लोगों को लगता है कि मैं इसके खिलाफ आवाज़ उठा के इस्लाम के खिलाफ काम कर रही हूं.'

लेकिन उनमें से अधिकतर लोगों ने इसके बीच किसी संबंध को स्वीकार करने से मना किया. यहां तक कि उन लोगों ने भी, जो पीड़ित बच्चों के कारण किसी डॉक्टर के संपर्क में थे. जबकि साइंटिफिक रिसर्च बताती है कि फर्स्ट जेनरेशन कज़िन की शादी से पैदा हुए बच्चों मे जेनेटिक डिसऑर्डर की समस्या के मामले तुलनात्मक रूप से ज़्यादा पाए जाते है.

कोई भी इस मामले में बात नहीं करना चाहता क्योंकि उन्हें इस्लाम-विरोधी कहे जाने का डर है. ऑर्थोपीडिक सर्जन डॉ सुहेल चुगताई का कहना है कि उन्होंने खुद अपने परिवार और नज़दीकी मित्रों के परिवार में जेनेटिक डिसऑर्डर की समस्याएं देखी हैं.

वैसे तो सभी लोगों में लगभग कोई न कोई डिफेक्टेड या फॉल्टी जीन्स (genes) होती है लेकिन ये बच्चों में तभी प्रभावशाली होती है जब ये जीन्स जोड़े में हो. लेकिन एक ही कुनबे के लोगों में इस बात की संभावना काफी रहती है कि उनमें एक ही तरह की जीन्स में खराबी हो. इसलिए ऐसी शादियों से पैदा होने वाले बच्चों में उनके बीमार होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. हर फर्स्ट जेनेरेशन कज़िन की शादी में चार में से एक बच्चे के बीमार पैदा होने की संभावना होती है.

2013 में ब्रेडफोर्ड में हुई एक स्टडी के अनुसार चचेरे भाई-बहन के बीच हुई शादी में बीमार बच्चों के पैदा होने की संभावना उन लोगों की तुलना में ज़्यादा होती है जिन लोगों की शादी रिश्तेदारी में नहीं होती है. पाकिस्तानी मूल के लोगों मे होने वाली बर्थ 'डिफेक्ट' के कुल मामलों में एक तिहाई फर्स्ट जेनेरेशन कज़िन के बीच शादी से होती है.

आयशा कहती है,

'आज से दस साल पहले ये बड़ा मुश्किल था कि इस प्रथा का कोई विरोध करे. लेकिन अब लोग इस तरह की शादियों का विरोध करने लगे हैं. यही प्रोगेस है. हमें इसके बारे में बात करनी पड़ेगी. मेरे तीन भाई बहिनों की मौत हो चुकी है अगर मेरे मां-बाप को भी इसके बारे में पता होता तो शायद ऐसी घटना नहीं होती.'

मगर कुछ वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि चचेरे, ममेरे कजिन्स में शादी करने से कोई नुकसान नहीं होता. कई लोगों का ये भी मानना है कि इससे वंश मजबूत रहता है. कई लोगों का कहना है कि ये इस्लाम के खिलाफ फैलाया गया प्रॉपेगैंडा है.


(h/t: Daily Mail)

ये स्टोरी शिव ने की है