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कौन हैं बाबा लक्खा सिंह, जिनसे मिलकर सरकार किसान आंदोलन खत्म करवाना चाहती है

नानकसर सिख संप्रदाय के बारे में भी जान लीजिए

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किसान आंदोलन ख़त्म कराने के लिए सरकार अब बाबा लक्खा सिंह (बाएं) के दिए फॉर्मूले को लाने पर विचार कर रही है. (फोटो- ANI, PTI)
दिल्ली में किसान आंदोलन चलते सवा महीने से ज़्यादा समय हो चुका है. आज 8 जनवरी को सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच एक और बैठकी चल रही है. लेकिन 8वें दौर की इस वार्ता से पहले एक नाम ख़ासी सुर्ख़ियों में है– बाबा लक्खा सिंह. नानकसर गुरुद्वारे के प्रमुख. ये कौन हैं? इनका नाम क्यों सुर्ख़ियों में है? आइए जानते हैं. और फिर थोड़ी बात करेंगे नानकसर सिख संप्रदाय पर भी. कैसे आया बाबा लक्खा सिंह का नाम? किसान आंदोलन के बीच बाबा लक्खा सिंह का नाम पहली बार तब आया, जब 7 जनवरी को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इनसे मुलाकात की. इसी के बाद से कयासबाजी होने लगी कि क्या सरकार बाबा लक्खा के जरिये किसान आंदोलन ख़त्म कराने के विकल्प खोज रही है. ये भी ख़बरें आईं कि बाबा लक्खा सिंह अपना एक फॉर्मूला सामने रख सकते हैं, जिस पर सरकार और किसानों के बीच सहमति बन सकती है. कौन हैं बाबा लक्खा सिंह? बाबा लक्खा सिंह का नाम आते ही सुलह के कयास इतने तेज क्यों हो गए? ये समझने के लिए जानना होगा कि वे हैं कौन. बाबा लक्खा सिंह कोई पॉलिटिकल हस्ती नहीं है. वे नानकसर गुरुद्वारे के प्रमुख हैं. पंजाब, हरियाणा सहित तमाम राज्यों में नानकसर गुरुद्वारे हैं. बाबा लक्खा इन सभी नानकसर गुरुद्वारों की प्रबंधक कमेटी के प्रमुख हैं. नानकसर की सिखों के बीच काफी आस्था है. इस नाते बाबा लक्खा सिंह को भी सिख समुदाय काफी मानता है, उनकी बात पर भरोसा करता है. क्या है बाबा लक्खा सिंह का फॉर्मूला? ख़बरों में दावा किया जा रहा है कि बाबा लक्खा सिंह दोनों पक्षों में समझौता करवाने के लिए तैयार हैं. कृषि मंत्री के सामने उन्होंने इसके लिए हामी भी भर दी है. लेकिन सुलह के लिए उनका फॉर्मूला क्या है? बाबा लक्खा सिंह ने सरकार से कहा है कि केंद्र सरकार को कृषि कानून लागू करने की ताकत राज्य सरकारों के हाथ में देनी चाहिए. वैसे भी कृषि का मसला राज्य का ही मामला है. 7 जनवरी को कृषि मंत्री से मुलाकात के बाद बाबा ने कहा–
“बच्चे, बुज़ुर्ग, महिलाएं सड़क पर बैठे है. लोग जान गंवा रहे हैं. ये असहनीय है. मेरा मानना है कि किसी तरह इसका हल निकलना चाहिए. इसीलिए कृषि मंत्री से वार्ता की, जो अच्छी रही. जल्द ही इस पर प्रस्ताव आएगा और हल निकलेगा.”

People are losing lives; children, farmers, elderly men & women are sitting on road. Grief is unbearable. I thought it should be resolved somehow. So I met him (Agri Minister) today. Talks were good, we tried to find solution: Baba Lakha Singh, Head of Nanaksar Gurudwara, Kaleran pic.twitter.com/BNx5Ojh9sv

— ANI (@ANI) January 7, 2021
माने सुलह की कितनी उम्मीद? बाबा लक्खा सिंह से लोगों की जुड़ी आस्था को देखते हुए क्या ये तय मानें कि अब किसान संगठनों और सरकार के बीच सुलह हो जाएगी? ये इतना भी आसान नहीं है. किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी का साफ कहना है कि किसान आंदोलन से जुड़ा कोई भी फैसला संगठन और उसके नेता ही लेंगे. उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि अन्य व्यक्तियों को निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. लोगों को इसमें हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए. अब बात नानकसर की सिख संप्रदाय के एक संत हुए थे. बाबा नंद सिंह जी. सिखों में बाबा नंद सिंह को लेकर अटूट आस्था है. वे 1870 में पैदा हुए और 1943 में पंजाब के नानकसर में देह त्यागी. बाबा नंद सिंह ने ही नानकसर गुरुद्वारे की स्थापना की थी. इसी वजह से उनको बाबा नंद सिंह– नानकसर वाले के नाम से भी जाना जाता है. उनके बाद उनके शिष्यों ने नानकसर गुरुद्वारे की तमाम शहरों में स्थापना कराई, जिसे लेकर सिखों में काफी आस्था है.