क्या देशभर में चल रहा Child Pornography का धंधा? CBI को 14 राज्यों में रेड मारनी पड़ी
इतने कानूनों के बाद भी क्यों नहीं रुक रहा ये संगीन अपराध?
प्रतीकात्मक तस्वीर. (साभार- इंडिया टुडे)
18 नवंबर 2021 (अपडेटेड: 18 नवंबर 2021, 12:44 PM IST)
केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने बीती 15 नवंबर को कान खड़े कर देने वाली कार्रवाई की. ये कार्रवाई चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में थी. CBI ने देश के 14 राज्यों के 77 शहरों में छापे मारे. 10 लोगों को हिरासत में लिया. ओडिशा में भी CBI ने छापेमारी की थी. इस दौरान उसकी CBI टीम पर ग्रामीणों ने हमला भी कर दिया. बात करेंगे बच्चों के शोषण के खिलाफ कार्रवाई कर रही CBI पर गांव वालों ने ये हमला क्यों किया. साथ ही जानेंगे चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित किस मामले में CBI ने एक्शन लिया है, चाइल्ड पोर्नोग्राफी क्या है, कितनी सज़ा है, और इससे पहले सरकार ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी रोकने के लिए क्या-कुछ किया है.
#सीबीआई की कार्रवाई
ऑनलाइन बाल यौन शोषण से जुड़े मामलों के लिए CBI की एक स्पेशल यूनिट बनाई गई थी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक CBI को जानकारी मिली थी कि देश की इन 77 जगहों पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा कोई ग़लत काम हो रहा था. बताया गया कि दिल्ली और यूपी में सबसे ज्यादा ऐसे ठिकाने थे जहां चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा कोई ग़लत काम हो रहा था. तो CBI ने कमर कसी और बीते सोमवार को ऐसे 77 ठिकानों पर धावा बोल दिया. गुजरात, पंजाब, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई ठिकानों पर भी रेड मारी गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक CBI को 50 से ज्यादा ऐसे गैंग्स की इनफार्मेशन मिली है जो ऑनलाइन बाल यौन शोषण के धंधे से जुड़े हैं. इन गैंग्स में क़रीब एक सैकड़ा देशों के विदेशी नागरिक भी शामिल हैं. कुल मिलाकर इन गैंग्स से करीब 5000 लोग जुड़े हैं जो Child Sexual Exploitation Material (CSEM) की ऑनलाइन शेयरिंग कर रहे हैं. इस मामले में CBI ने 83 लोगों के खिलाफ़ 23 अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं.
सीबीआई ऑफिसर्स (प्रतीकात्मक तस्वीर - आज तक)
#आंध्र प्रदेश में CBI पर हुआ हमला
CBI की एक टीम रेड मारने आंध्र प्रदेश पहुंची. पांच ऑफिसर्स की इस टीम को CBI इंस्पेक्टर संदीप कुमार तिवारी लीड कर रहे थे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़ रेड धेनकनाल जिले के जदुपति विहार इलाके में एक सस्पेक्ट के घर मारी जानी थी. लेकिन टीम ने जैसे ही पूछताछ शुरू की तो गांव वालों ने उन्हें घेर लिया. उन्हें बचाने के लिए लोकल पुलिस को आना पड़ा. उसने बताया कि जब वो CBI की टीम का रेस्क्यू करने पहुंची तो लाठी-डंडा लिए कुछ लोगों ने उन्हें भी रोकने की कोशिश की.
ओडिशा में सीबीआई पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया (स्क्रीनग्रैब - इंडिया टुडे)
इस घटना के बारे में अखबार को बताते हुए
धेनकनाल टाउन पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर सौभाग्य कुमार स्वैन ने कहा,
‘सीबीआई ने हमें कोई प्रायर इनफार्मेशन नहीं दी थी. सीबीआई ने करीब 6 घंटे आरोपी से पूछताछ की. इसी बीच गांव वालों ने घर के आसपास घेराव कर दिया. हमने CBI के सभी पांच ऑफिसर्स को रेस्क्यू कर लिया है. CBI आरोपी को अपने साथ ले गई है. उसे भुवनेश्वर की CBI कोर्ट में पेश किया जा सकता है.’
वहीं CBI ने बताया कि उसने इस इलाके में रेड क्यों मारी. टीम के एक ऑफिसर ने अखबार को बताया कि आरोपी बच्चों की अश्लील तस्वीरें एक पोर्नोग्राफ़िक वेबसाइट पर डाल रहा था. शक है कि ये आदमी पोर्न साइट के एजेंट के तौर पर काम कर रहा था. उसका फ़ोन और घर से मिली कुछ और चीज़ें भी जब्त कर ली गई हैं.इस मामले में जब स्थानीय पत्रकारों ने आरोपी से पूछा तो उसने कहा,
'मैं 2 महीने पहले इंटरनेट पर मिले एक लिंक के थ्रू एक व्हाट्सऐप ग्रुप में जुड़ा था. मैं सिर्फ एडल्ट कंटेंट्स के लिंक को एक वेबसाइट से दूसरी वेबसाइट और ग्रुप्स में शेयर कर रहा था. इससे मुझे 21 डॉलर मिले थे.'
सीबीआई की रेड के बाद पता चला कि मामले से जुड़े सभी आरोपी लगभग एक जैसे काम कर रहे थे. कोई लिंक शेयर कर रहा था तो कोई एडल्ट कंटेंट पोस्ट कर रहा था.
ये पहली बार नहीं है जब चाइल्ड पोर्नोग्राफी रोकने के लिए सरकार या सीबीआई की तरफ़ से कोई एक्शन लिया गया हो. पहले भी कई कदम उठाए गए हैं. आगे बताएंगे. पहले जान लीजिए कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी है क्या.
#क्या है चाइल्ड पोर्नोग्राफी?
पोर्नोग्राफी के दायरे में ऐसे फोटो, वीडियो, टेक्स्ट, ऑडियो या कोई भी ऐसा मटेरियल आता है जिसमें न्यूडिटी (नग्नता) हो, सेक्शुअल कंटेंट हो या सेक्शुअल एक्शन दिखाए गए हों. राज कुंद्रा वाला मामला आपको अगर याद हो, कुंद्रा ने कोर्ट में दलील दी थी कि मेरी वेब-सीरीज़ का कंटेंट इरोटिक है न कि पोर्नोग्राफ़िक. इरोटिक OTT की बात फिर कभी.
यूं पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट ‘देखना’ अलग बात है. अगर आप इसे प्राइवेट स्पेस में देखते हैं तो हमारे देश में इसके लिए सज़ा का प्रावधान नहीं है. लेकिन पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट को शेयर करना, पब्लिश करना या किसी की मर्ज़ी के बिना उसे मैसेज के थ्रू भेज देना अपराध की श्रेणी में आता है. और ऐसे में एंटी-पोर्नोग्राफी लॉ लागू होते हैं, बाकायदा सज़ा भी मिलती है.
ये तो बात हुई पोर्नोग्राफी की. चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डिफाइन करें तो
- बच्चों, यानी 18 साल से कम उम्र वाले नाबालिगों को सेक्शुअल एक्ट में दिखाना
- उनकी न्यूडिटी वाले कंटेंट को इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी और फॉर्मेट में पब्लिश करना
- दूसरों को भेजना
- किसी नाबालिग को बहला-फुसलाकर ऑनलाइन सेक्स के लिए तैयार करना
- उनके साथ यौन संबंध बनाना या किसी भी तरीके से उनकी सेक्शुअल एक्टिविटीज़ को रेकॉर्ड करना या एमएमएस बनाना
चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक्ट के तहत आता है.
यहां तक कि बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री इकठ्ठा करना, सर्च करना, देखना, डाउनलोड करना या ऐसे किसी कंटेंट को किसी भी तरह से प्रमोट करना भी चाइल्ड पोर्नोग्राफ़िक ऑफेंस है और दंडनीय अपराध है.
प्रतीकात्मक फोटो (साभार - इंडिया टुडे, आज तक)
#किन धाराओं में कितनी सज़ा होती है?
2012 में प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्शुअल ऑफेंसेज़ एक्ट आया. इसे पॉक्सो एक्ट के नाम से ज्यादा जाना जाता है. पॉक्सो से पहले तक 2003 का गोआ चिल्ड्रेन्स एक्ट अकेला ऐसा क़ानून था जो बच्चों के साथ होने वाले यौन दुर्व्यवहार या अपराधों के मामलों में लागू होता था. इसके तहत IPC की धारा 375, 354 और 377 के तहत कार्रवाई होती थी. लेकिन इसमें कई कमियां थीं. मसलन धारा 375, पीनोवजाइनल इंटरकोर्स (यानी वो एक्ट जिसमें पुरुष ने अपना पीनस महिला के प्राइवेट पार्ट में इन्सर्ट किया हो) के अलावा अन्य किसी भी तरह के पेनीट्रेशन से प्रोटेक्ट नहीं करती थी. मेल विक्टिम्स जिनके साथ अप्राकृतिक सेक्स हुआ हो, वे इस क़ानून के तहत दोषी को सज़ा नहीं दिलवा सकते थे. और भी कई खामियां थीं.
#इसीलिए 2012 में पॉक्सो एक्ट लाया गया
ये एक्ट इसलिए बनाया गया था, ताकि बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों का ट्रायल आसान हो सके और अपराधियों को जल्द सजा मिल सके. पॉक्सो एक्ट के तहत ये कुछ प्रावधान हैं-
#बच्चों के शरीर के किसी भी अंग में लिंग या कोई और चीज़ डालना यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आएगा.
#सेक्शुअल इंटरकोर्स, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आएगा.
#अगर बच्चा मानसिक रूप से बीमार है या बच्चे से यौन अपराध करने वाला सैनिक, सरकारी अधिकारी या कोई ऐसा व्यक्ति है, जिस पर बच्चा भरोसा करता है, जैसे रिश्तेदार, पुलिस अफसर, टीचर या डॉक्टर, तो इसे और संगीन अपराध माना जाएगा.
#अगर कोई किसी नाबालिग लड़की को हॉर्मोन्स के इंजेक्शन देता है, ताकि वक्त के पहले उनके शरीर में बदलाव किया जा सके, तो ऐसे लोगों के खिलाफ भी पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाता है.
#इस एक्ट ने यौन अपराध को रिपोर्ट करना अनिवार्य कर दिया है. यानी अगर आपको किसी बच्चे के साथ होने वाले यौन अपराध की जानकारी है, तो ये आपकी कानूनी ज़िम्मेदारी है कि आप इसे रिपोर्ट करें. ऐसा न करने पर आपको 6 महीने की जेल और जुर्माना हो सकता है.
#एक्ट के मुताबिक किसी केस के स्पेशल कोर्ट के संज्ञान में आने के 30 दिनों के अंदर क्राइम के सबूत इकट्ठे कर लिए जाने चाहिए और स्पेशल कोर्ट को ज़्यादा से ज़्यादा से एक साल के अंदर ट्रायल पूरा कर लेना चाहिए.
#बच्चे का मेडिकल 24 घंटे के भीतर हो जाना चाहिए. एक्ट के मुताबिक स्पेशल कोर्ट को सुनवाई कैमरे के सामने करने की कोशिश करनी चाहिए. साथ ही, कोर्ट में बच्चे के पेरेंट्स या कोई ऐसा व्यक्ति मौजूद होना चाहिए, जिस पर बच्चा भरोसा करता हो.
ये एक्ट कहता है कि केस जितना गंभीर हो, सज़ा उतनी ही कड़ी होनी चाहिए. बाकी कम से कम 10 साल जेल की सज़ा तो होगी ही, जो उम्रकैद तक बढ़ सकती है और जुर्माना भी लग सकता है. हाल के समय में पॉक्सो एक्ट के कुछ मामलों में दोषियों को मौत की सजा भी दी गई है.
कोलाज में इस्तेमाल की गई फोटोज़ इंडिया टुडे और आज तक से साभार हैं.
#चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर POCSO क्या कहता है?
THE PROTECTION OF CHILDREN FROM SEXUAL OFFENCES (AMENDMENT) ACT, 2019 के 14वें और 15वें अनुच्छेद चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ बने कानून हैं.
#जो भी व्यक्ति चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा कोई भी सामान यानी तस्वीरें, वीडियो वगैरह रखेगा, उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. दूसरी बार पकड़े जाने पर दस हजार का. वहीं अगर कोई इस पोर्नोग्राफिक मटेरियल को बांटता, फैलाता, दिखाता है, उसे तीन साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. कोई शख्स 'चाइल्ड पोर्नोग्राफी' को कमर्शियल पर्पज़ (बेचने/खरीदने) के लिए रखता है, तो उसे कम से कम तीन साल की सज़ा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. अगर कोई दूसरी बार ये करते हुए पाया जाता है तो सज़ा पांच से सात साल तक बढ़ाई जा सकती है.
#अप्रैल 2018 में केंद्र सरकार ने पॉक्सो में एक अहम बदलाव किया. इसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने पर मौत की सज़ा दी जाएगी.
# इस एक्ट की धारा 4, धारा 5, धारा 6, धारा 9, धारा 14, धारा 15 और धारा 42 में संशोधन किया गया है. इनमें धारा 4, धारा 5 और धारा 6 में संशोधन के बाद अब अपराधी को इस एक्ट के तहत मौत की सजा भी दी जा सकती है.
(प्रतीकात्मक फोटो - इंडिया टुडे)
#सरकार का चाइल्ड विक्टिम आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम
संगीन अपराध करने वाले ज्यादातर अपराधी, अपराध की सज़ा जानते हैं. अब बात ये है कि सज़ा का डर पर्याप्त हो तो अपराध नियंत्रित हो जाएं. लेकिन ऐसा है नहीं. इसीलिए सरकार को रोकथाम के और उपाय करने पड़ते हैं.
#इन्हीं उपायों में से एक ये किया गया कि साल 2017 में क़रीब 3500 पोर्न साइट्स इंडिया में बैन कर दी गई थीं. हालांकि इंटरनेट पर खुराफ़ाती लोग जब आपके बैंक खाते से पैसा उड़ा लेते हैं तो पोर्न देखने के लिए कोई जुगत लगाना कौन सी बड़ी बात है.
#सेंट्रल गवर्मेंट ने CBSE को स्कूलों में जैमर लगवाने के लिए भी कहा था ताकि बच्चे स्कूलों में पोर्न कंटेंट से दूर रहें.
#भारत सरकार ने एक NGO के साथ मिलकर चाइल्ड विक्टिम आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम चला रखा है. NGO का नाम है- ‘नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन’. ये NGO सोशल साइट्स जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और फेसबुक मैसेंजर पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी फोटो या वीडियो वगैरह भेजने और शेयर करने वालों पर नज़र रखता है. और ऐसे लोगों की रिपोर्ट साइबर सेल और पुलिस को देता रहता है.
हालांकि इस सबके बावजूद चाइल्ड एब्यूज, सेक्शुअल हरैसमेंट और ऑनलाइन चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नए-नए मामले सामने आते हैं. ऐसे में इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए और प्रयास करने होंगे, साथ ही मौजूदा प्रयासों और कार्यक्रमों को जारी रखना होगा.