आपने कभी Mobile Phone के डायल पैड पर गौर किया है? किया ही होगा. अगर नहीं किया तो इस स्टोरी के बाद जरूर करेंगे. एक और सवाल. कभी कैलकुलेटर (Calculator) के नंबर पैड पर गौर किया है. किया ही होगा. अगर नहीं किया तो इस स्टोरी के बाद उस पर भी गौर करेंगे. इन दोनों में एक बुनियादी फर्क है. फोन के डायल पैड पर नंबर शुरू होते हैं 1, 2, 3 के पैटर्न में. वहीं कैलकुलेटर के पैड पर नंबर शुरू होते हैं 7, 8, 9 से.
मोबाइल का डायल पैड 1, 2, 3 से शुरू होता है तो कैलकुलेटर का पैटर्न 7, 8, 9 क्यों है?
ये Mobile Phone और Calculator के नंबरों में उलट-पलट के पीछे कोई कारण है? या फिर किसी ने Gangs of Wasseypur के डेफिनिट की तरह, बस ऐसे ही… ये काम कर डाला?

दिलचस्प है ना. हमने सोचा पता किया जाए, ये नंबरों में उलट-पलट के पीछे क्या कारण है.
इस मशीन में बड़का जीरो होता था!पहले कैलकुलेटर का मामला समझते हैं. जिसमें नंबर 7, 8, 9 से नीचे की ओर 0 तक जाते हैं. बताया जाता है कि इस पैटर्न के पीछे ऐतिहासिक कारण हो सकते हैं. मसलन, जब शुरुआत में मकैनिकल एडिंग मशीन यानी जोड़-घटाव करने वाली मशीन का इस्तेमाल किया जाता था, जैसे संडस्ट्रैंड मशीन (Sundstrand adding machine), तो इनमें नंबर शुरू 7, 8, 9 के पैटर्न से हुआ करते थे.

तर्क दिया जाता है कि इस डिजाइन से जोड़-घटाव करने में तेजी रहती थी. क्योंकि ये व्यापारी वगैरह इस्तेमाल करते थे. जिनका मेन काम था, बड़े-बड़े नंबरों को जोड़ने-घटाने का. वहीं जीरो का इस्तेमाल ज्यादा होता था. जाहिर सी बात है रोकड़े के मामले में जीरो बड़ा अहम है, इसलिए जीरो के लिए एक बड़ा सा बटन नीचे हुआ करता था.
बताया जाता है कि इसी डिजाइन को फिर डिजिटल कैलकुलेटर में कॉपी किया गया. लोग इसी पैटर्न के आदी हो चुके होंगे. तो मकैनिकल कैलकुलेटर से डिजिटल कैलकुलेटर में ये पैटर्न आया. फिर हमारे मोबाइल वाले कैलकुलेटर में भी यही डिजाइन कॉपी किया गया होगा.
ट्रिन-ट्रिनएक चुटकुला सुनाता हूं,
पुराने लोग टेक्नोलॉजी से इतनी दूर होते हैं कि वो फोन में कैलकुलेटर नहीं खोज पाते. वहीं ये आज-कल के बच्चे, इन्हें कैलकुलेटर दे दो तो उसमें भी खुरपेंच करके गेम खेल लेंगे.
चुटकुले से इतर एक बात ये है कि फोन डायल पैड और कैलकुलेटर, दोनों ही आज हमें मोबाइल में मिल जाते हैं. लेकिन जब ये बने थे तब ऐसा नहीं था. कैलकुलेटर अलग होते थे. उनका डिजाइन, पैटर्न अलग थे. वहीं फोन ट्रिन-ट्रिन की घंटी वाले हुआ करते थे.
अब टेलिफोन बनाने वाले ग्राहम बेल का नाम तो आपने सुना होगा. इन्होंने एक कंपनी बनाई, बेल लैब्स. बताया जाता है, इस कंपनी ने 1960 के दशक में एक शोध किया. ये जानने के लिए कि लोगों को किस तरह के कीपैड में नंबर डायल करने में आसानी होती है. कई लेआउट टेस्ट करने के बाद, 1, 2, 3 से शुरू होने वाला डिजाइन नक्की किया गया, एक थ्योरी ये भी चलती है.

आपको फिल्मों में दिखाए जाने वाले रोटरी फोन याद होंगे, जिनमें घुमाकर नंबर डायल किए जाते थे. एक वजह इनसे जुड़ी भी बताई जाती है. दरअसल इन टेलिफोन में नंबर 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 0 की सामान्य श्रंखला में हुआ करते थे. ‘1’ गोले में सबसे पहले और ऊपर हुआ करता था. माना जाता है कि जब इस डिजाइन से कीपैड में आए, तो हो सकता है डिजाइन के मामले में 1 को ऊपर रखना चुना गया हो. अब चूंकि अमेरिका और यूरोपीय देशों में बाएं से दाएं लिखा और पढ़ा जाता है, तो 1 को सबसे ऊपर बाएं कोने में फिट किया गया. ताकि नंबर 1, 2, 3 से शुरू हो. ऐसा भी माना जाता है.
पर बता दें कि कुछ टेलिनफोन में नंबर 9 से भी शुरू हुआ करते थे. इसलिए हर थ्योरी में ठोस कुछ नहीं कहा जा सकता है.

अब समझने वाली बात ये है कि दोनों ही उपकरणों का इतिहास अलग रहा है. इस्तेमाल अलग रहे हैं. इसलिए इनका विकास भी कुछ अलग हुआ. पर ये सब एकदम किस उपकरण से, किस पॉइंट पर शुरू हुआ, मकैनिकल कैलकुलेटर में नंबर 7, 8, 9 से कैसे आए, इस सब के बारे में कोई एक मत नहीं है. डिजाइन में बदलाव होने के कई कारण हो सकते हैं. डिजाइन बदलते रहते हैं.
यानी एक फिक्स, सटीक कारण बताना मुश्किल होता है. कि फलां दिन किसी ने सोचा कि ऐसा कर देते हैं. हां, कमोबेश कैलकुलेटर और फोन के डॉयल पैड के पैटर्न में अंतर, इनके पुरखों से जुड़ा माना जा सकता है. अब इनके पुरखों में ये अंतर कब और कैसे शुरू हुए, ये कहानी किसी और दिन.
वीडियो: Smart Phone VS Dumb Phone पर कौन सा किस्सा सुना गए Lallantop वाले?