नोटबंदी के बाद दो हजार के नए नोट में चिप भले न मिली हो, लेकिन भारत में अब जो पासपोर्ट बनेंगे, उसमें चिप लगी होगी. एंटीना भी लगा होगा (टीवी वाला एंटीना नहीं). नई व्यवस्था वाले इन पासपोर्ट्स को ‘ई-पासपोर्ट’ कहा जा रहा है. भारत सरकार ने 80 लाख ऐसे पासपोर्ट जारी भी कर दिए हैं, जिसमें नया सिक्योरिटी फीचर मौजूद है. विदेशों में भी भारतीय मिशनों के तहत 60 हजार से ज्यादा ई-पासपोर्ट जारी किए गए हैं. सरकार की कोशिश है कि जून 2035 के बाद भारत में एक भी पुराना पासपोर्ट न रहे और सारे पासपोर्ट ई-पासपोर्ट बन जाएं. इसके लिए अब सारे नए पासपोर्ट ई-पासपोर्ट बनेंगे. जिनके पास पुराने हैं वो 2035 तक अपनी एक्सपायरी तक वैलिड रहेंगे.
नए पासपोर्ट के बारे में सुना आपने? चिप और एंटीना लगा है, पलक झपकते पकड़ेगा जालसाजी
E-Passport News: भारतीय पासपोर्ट का पूरा कलेवर बदल दिया गया है. देशभर में 80 लाख ई पासपोर्ट जारी किए गए हैं जो आधुनिक सुरक्षा से लैस हैं. इसमें चिप और एंटीना लगे हैं, जिससे पासपोर्ट फ्रॉड नामुमकिन हो गया है. इसके बारे में एक-एक बात जान लीजिए.
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राज्यसभा में इसके बारे में बताते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि ई-पासपोर्ट एक ऐसा पासपोर्ट है जिसमें कागज़ वाला हिस्सा भी होता है और उसके अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक चिप भी लगी होती है. इस चिप को रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (RFID) चिप कहते हैं, जिसमें एक छोटा सा एंटीना भी होता है. इसका काम ये है कि यह आपके निजी और बायोमीट्रिक डेटा को सुरक्षित तरीके से संभालकर रखता है. आपकी जानकारी एक तो पासपोर्ट के प्रिंटेड पन्नों पर होती है. इसके अलावा वही जानकारी एन्क्रिप्टेड रूप में चिप के अंदर भी रहेगी. इससे पासपोर्ट को नकली बनाना या उससे छेड़छाड़ करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा.
इसके साथ ही नए फीचर से इमिग्रेशन काउंटर पर आपका समय भी कम बर्बाद होगा. पासपोर्ट के चिप को एंट्री काउंटर की टच स्क्रीन पर टच कराते ही आपका वेरिफिकेशन कंप्लीट हो जाएगा. पूरी तरह से डिजिटल इस व्यवस्था से पासपोर्ट जालसाजी और फ्रॉड जैसी चीजें पुराने जमाने की बातें हो जाएंगी.
इंटरलॉकिंग माइक्रोलेटर्स और रीलिफ टिंट्स भी इस पासपोर्ट को खास बनाएंगे. मतलब कि पासपोर्ट के लेआउट में माइक्रोलेटर्स के साथ इंटरलॉकिंग होगी. इन लेटर्स से INDIAN PASSPORT लिखा होगा. जैसे नोटों में बहुत महीन साइज में ‘INDIA’ या '500' लिखा होता है.
साथ ही रिलीफ टिंट्स यानी उभरे हुए या टेक्सचर वाले रंग भी होंगे, जो देखने पर हल्का 3D जैसा असर देंगे. पासपोर्ट की नकली बनावट को रोकने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया है.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, ई-पासपोर्ट के RFID चिप में फोटो, फिंगरप्रिंट और बाकी सारी प्राइवेट जानकारियां एन्क्रिप्टेड और डिजिटल साइन फॉर्म में स्टोर रहती हैं. ये नया सिस्टम ICAO यानी अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन के मानकों के हिसाब से भारतीय पासपोर्ट में लाया गया है. इसमें लगा एंटीना contactless तरीके से यानी बिना छुए इसके डेटा को पढ़ने में मदद करता है. इसके कई सारे फायदे होते हैं. जैसे-
– इमिग्रेशन पर पहचान जल्दी होती है,
– धोखाधड़ी या छेड़छाड़ लगभग असंभव हो जाती है.
– पासपोर्ट की लाइफ बढ़ जाती है क्योंकि बार-बार स्कैनिंग से पन्ने खराब नहीं होते.
सुरक्षा कैसे बढ़ेगी?ई-पासपोर्ट की चिप में आपकी पूरी जानकारी एकदम सुरक्षित रखती है. मुहावरे वाली भाषा में कहें तो ‘फ्रॉड का कोई परिंदा इसमें पर नहीं मार सकता’. इमिग्रेशन पर मशीन चिप को स्कैन करके एक झटके में पता लगा लेगी कि पासपोर्ट असली है या नहीं. विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक नया इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम
– पासपोर्ट फ्रॉड को लगभग खत्म कर देगा.
– किसी व्यक्ति के नाम पर दूसरा पासपोर्ट नहीं बन पाएगा.
– आवेदन करते समय बायोमेट्रिक डेटा को तुरंत सेंट्रल सर्वर से मैच करेगा.
– अगर एक ही व्यक्ति के नाम पर पुराना पासपोर्ट मौजूद है तो तुरंत अलर्ट देगा.
नए पासपोर्ट जारी करने के इस अभियान को ‘पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम वर्जन 2.0’ यानी PSP V2.0 कहा जा रहा है. यह पूरे देश में काम कर रहा है. देश के 37 रीजनल पासपोर्ट ऑफिस, 93 पासपोर्ट सेवा केंद्र और 451 पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्रों में इसका काम हो रहा है. इसका अंतरराष्ट्रीय वर्जन ‘GPSP V2.0’ भी 28 अक्टूबर 2025 से शुरू कर दिया गया है. इसे विदेशों में भारतीय मिशनों के लिए खासतौर पर बनाया गया है.

नए सिस्टम में कई आधुनिक सुविधाएं जोड़ी गई हैं. अब आवेदन में मदद और शिकायतों के समाधान के लिए AI आधारित चैटबॉट और वॉइस बॉट का यूज किया जा सकता है. डॉक्युमेंट्स ऑनलाइन अपलोड किए जा सकते हैं. पेमेंट UPI या QR कोड से किया जा सकता है. एडवांस बायोमेट्रिक, फेस रिकॉग्निशन सिस्टम, AI आधारित अलर्ट और डेटा एनालिटिक्स जैसी सुविधाएं भी नए सिस्टम में हैं. साथ ही ये DigiLocker, आधार और PAN से भी जोड़ दिया गया है, ताकि दस्तावेजों की जांच आसानी से हो सके.
नागरिकों की सहायता के लिए 17 भाषाओं में काम करने वाला नेशनल कॉल सेंटर भी शुरू किया गया है. पूरे सिस्टम की सुरक्षा और संचालन को मजबूत बनाने के लिए नोएडा, चेन्नई और बेंगलुरु में तीन अत्याधुनिक डेटा सेंटर स्थापित किए गए हैं.
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