The Lallantop

महीनों का सफर, हर पल जान का खतरा... अमेरिका ले जाने वाले डंकी रूट्स असल में कितने खतरनाक हैं?

Donki Routes: कई चेतावनियों और सलाह के बावजूद भारत और पाकिस्तान के डंकी ट्रैवलर्स, गैरकानूनी तरीके से अमेरिका और बाकी देशों की सीमा पार करने की कोशिश बंद नहीं करते. शायद उन्हें रास्ते में जान से मार दिए जाने का डर नहीं है

post-main-image
अमेरिका-मेक्सिको का बॉर्डर जिसे अवैध रूप से पार कर लोग अमेरिका में दाखिल होते हैं (PHOTO-AFP)

अमेरिका में अवैध रूप से घुसे लोगों को डिपोर्ट करने की खबरें लगातार सुर्खियों (US Deportation) में हैं. अमेरिका का एक मिलिट्री प्लेन 104 लोगों को लेकर भारत के अमृतसर पहुंचा. इन सभी लोगों पर आरोप है कि ये बिना वैध दस्तावेज के अमेरिका में घुसे थे. जिन रास्तों या तरीकों का इन लोगों ने इस्तेमाल किया था , उन्हें ‘डंकी रूट’ कहा जाता है. ऐसे रास्ते जिनमें ये लोग एजेंट्स की मदद से अवैध रूप से अमेरिका पहुंचते हैं.

इसी मुद्दे को कवर करते हुए साल 2023 में Shahrukh Khan की फिल्म Dunki रिलीज हुई थी. फिल्म की कहानी 'डंकी रूट्स' की बात करती है. पंजाब (punjab), हरियाणा (haryana) के लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स देखें, तो ऐसे कई वीडियो और टेक्स्ट मिल जाएंगे, जिनमें इन 'डंकी रूट्स' में पड़ने वाले पनामा के जंगल दिखाए गए हैं. और एक सलाह दी गई है-

‘विदेश जाने के लिए ये रास्ते न अपनाएं, बेहतर होगा अपने ही देश में रोजगार तलाशें.’

कई चेतावनियों और सलाह के बावजूद भारत और पाकिस्तान के डंकी ट्रैवलर्स, गैरकानूनी तरीके से अमेरिका और बाकी देशों की सीमा पार करने की कोशिश बंद नहीं करते. शायद उन्हें रास्ते में जान से मार दिए जाने का डर नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट  के मुताबिक, डंकी रूट्स से विदेश जाने का जोखिम पंजाब और हरियाणा के अलावा गुजरात के लोग भी उठा रहे हैं. शायद इन लोगों पर शाहरुख की मूवी का कुछ असर हो. दुबई में एक कार्यक्रम के दौरान, शाहरुख खान ने फिल्म के टाइटल 'डंकी' के पीछे की कहानी बताई. उन्होंने कहा,

डंकी एक गैरकानूनी सफ़र है. दुनिया भर के लोग अपने देश के बॉर्डर से बाहर निकलने के लिए ये सफ़र करते हैं. इसे ही डंकी ट्रैवल कहा जाता है.

क्या हैं ये डंकी रूट्स, इन रास्तों में क्या खतरे हैं और डंकी रूट पर खर्चा कितना होता है? एक-एक कर के समझते हैं.

पहला पड़ाव: लैटिन अमेरिका

ये सबसे मशहूर 'डंकी रूट' है. सबसे पहले किसी लैटिन अमेरिकी देश पहुंचना है, और फिर वहां से अमेरिका. इक्वाडोर, बोलीविया और गयाना जैसे कई लैटिन अमेरिकी देशों में भारतीयों को ‘वीजा ऑन अराइवल’ (पहुंचने पर वीजा देने) की सुविधा है. ब्राजील और वेनेजुएला जैसे कुछ देश भी भारतीयों को आसानी से टूरिस्ट वीजा दे देते हैं. जो देश, USA की सीमा से जितना नजदीक होता है, भारत से उस देश का वीजा मिलना उतना ही मुश्किल होता है.

किसी प्रवासी का रूट क्या रहेगा, वो पहले किस देश में घुसेगा, ये इस बात से भी तय होता है वो जिस एजेंट के जरिए सफ़र कर रहा है, उसके किस देश के ह्यूमन ट्रैफिकिंग नेटवर्क से लिंक हैं. कुल-मिलाकर लैटिन अमेरिकी देशों में दाखिल होना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसमें महीनों का वक़्त भी लग सकता है. पंजाब का एक शख्स 8 महीने बाद ब्राजील पहुंचा. उसने अखबार को बताया,

मेरे एजेंट ने हम लोगों को डेढ़ महीने तक मुंबई में रखा. वो ब्राजील में अपने लिंक से कुछ सिग्नल आने का इंतजार कर रहा था. अगर हम मुंबई की बजाय ब्राजील में रहकर आगे के सफ़र के लिए इंतजार करते, तो वहां खर्चा ज्यादा होता.

हालांकि, अमेरिका जाना हो, तो कुछ एजेंट दुबई से मेक्सिको के लिए सीधे वीजा की भी व्यवस्था कर देते हैं. लेकिन पुलिस और बाकी अधिकारियों की सक्रियता के चलते, सीधे मेक्सिको में लैंड करना ज्यादा खतरनाक है. इसलिए ज्यादातर एजेंट, अपने क्लाइंट्स को लैटिन अमेरिकी देशों में ही ले जाते हैं. उसके बाद कोलंबिया और फिर मेक्सिको होते हुए अमेरिका में एंट्री दिलाते हैं.

पनामा का जंगल

आगे का रास्ता समझने के लिए पहले इस इलाके की जियोग्राफी समझना जरूरी है. कोलंबिया के बाद, एक संकरे रास्ते सरीखा इलाका पार कर पनामा है. वहां से निकलने के बाद पहले कोस्टारिका, फिर निकरागुआ और फिर ग्वाटेमाला पड़ता है. और फिर उत्तरी अमेरिका के मेक्सिको का बॉर्डर मिलता है.

map
इलाके का नक्शा (PHOTO- स्क्रीनग्रैब, गूगल मैप)

प्रवासी लोग पहले कोलंबिया से पनामा में घुसते हैं. इन दोनों देशों के बीच खतरनाक डेरियन गैप जंगल है. इस जंगल को पार करने का मतलब है जानलेवा खतरों से गुजरना. साफ पानी नहीं है, जंगली जानवरों का खतरा है; और सबसे खतरनाक हैं यहां एक्टिव आपराधिक गिरोह. इन आपराधिक गिरोहों से डकैती, लूट, यहां तक कि रेप का भी खतरा बना रहता है. अगर यहां आपके साथ कुछ भी बुरा घटता है, तो आप कोई कानूनी मदद भी नहीं ले सकते. न अपराध का कोई मामला दर्ज होगा और न किसी को सजा होगी. किसी प्रवासी की मौत हो गई तो घर तक लाश पहुंचना तो दूर की बात है, शव का अंतिम संस्कार होना भी मुश्किल है. अगर सबकुछ ठीक रहा, तो भी इस इलाके को पार करने में लगभग दस दिन का वक्त लग जाता है.

पनामा पार हुआ, तो मेक्सिको के पहले पड़ेगा ग्वाटेमाला. ये डंकी रूट का सबसे बड़ा को-ऑर्डिनेशन सेंटर है. यहां से मेक्सिको में घुसने के लिए नए एजेंट लगते हैं. पुराना एजेंट, अपने क्लाइंट्स को उन्हें सौंप देता है. इसके बाद शुरू होता है अमेरिकी एजेंसियों के साथ लुकाछिपी का खेल. अगस्त 2023 में पंजाब के गुरदासपुर के एक 26 साल के युवक गुरपाल सिंह और 5 अन्य भारतीयों की अवैध रास्ते से मेक्सिको जाते वक्त सड़क हादसे में मौत हो गई थी. 

गुरपाल ने आख़िरी कॉल पंजाब में अपनी बहन को की थी और बताया था कि उन्हें मेक्सिको की पुलिस ने रोक लिया है. उनसे बचने के लिए उन्हें जल्दबाजी में बस लेनी पड़ी. लेकिन कुछ देर बाद ही बस हादसे का शिकार हो गई. गुरपाल की मौत की खबर पंजाब में उनके परिवार को मिलने में एक हफ्ते से ज्यादा का वक़्त लगा. सरकार को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और 25 दिन बाद गुरपाल का शव उनके पैतृक गांव पहुंचा.

darian gap jungle
डेरियन गैप जंगल से गुजरते प्रवासी (PHOTO- AP)
जंगल का विकल्प

पनामा के जंगल के खतरों से बचने के लिए कोलंबिया से एक और रूट भी है. कोलंबिया के पास एक द्वीप है- सैन एंड्रियास. यहां से नाव लेकर निकरागुआ तक जाना होता है. फिर वहां से मछुआरों की नावों में बैठकर करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर एक और जगह से नाव लेनी होती है. ये नावें मेक्सिको के तटों तक पहुंचाती हैं. ये तरीका भी कम खतरनाक नहीं है.

अमेरिका के कंटीले तार

USA और मेक्सिको के बीच 3410 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है. इस पर कंटीले तारों की बाड़ है. प्रवासियों को इस फेंसिंग को कूदकर पार करना होता है. जो लोग इस तरह बॉर्डर पार नहीं करना चाहते वो रियो ग्रांडे नदी का रास्ता चुनते हैं. ये भी बॉर्डर पर है. मेक्सिको की इस सीमा पर बहुत सक्रिय होने के बजाय अमेरिकी अधिकारी लोगों के बॉर्डर पार करने के बाद ज्यादा सख्त होते हैं. प्रवासियों को पकड़कर कैंपों में डाल दिया जाता है. और उसके बाद मामला किस्मत का है. अधिकारी तय करते हैं कि प्रवासी शिविर में रखे जाने लायक हैं या नहीं.

usa mexico border
अमेरिका के बॉर्डर की बाड़ेबंदी, जिसे प्रवासी कूदकर पार करते हैं. (PHOTO- AFP)
एक और रास्ता

आजकल, अमेरिका के लिए एक और डंकी रूट बन गया है. लोग पहले यूरोप जाते हैं, फिर वहां से मेक्सिको. एक प्रवासी डंकी रूट्स के जरिए 9 देशों को पार करके अमेरिका पहुंचा. उसने अखबार को बताया,

ये सब एजेंट्स के लिंक्स पर निर्भर करता है. यूरोप से होकर जाना आसान है. हालांकि, जिस दिन यूरोप-मेक्सिको वाला रास्ता अथॉरिटीज की नजर में आया, लोग फिर से पुराने रास्ते से जाने लगेंगे.

डंकी रूट्स के जरिए अमेरिका जैसे देशों में पहुंचने की ख्वाहिश रखने वाले लोग जोखिमों के बावजूद इस सफ़र के लिए मोटा पैसा खर्च करते हैं. एक आदमी के लिए इस सफ़र का खर्चा 15 लाख से 40 लाख तक हो सकता है. कभी-कभी कीमत 70 लाख भी पहुंच जाती है. माने, जितने में एजेंट के साथ सौदा पट जाए. एजेंट्स का वादा होता है कि जितना ज्यादा पैसा खर्च करोगे, उतना आसान सफ़र रहेगा.

भारत के एजेंट्स का लिंक अमेरिका तक के एजेंट्स से रहता है. अगर किसी वजह से भारत वाले एजेंट से अगले एजेंट तक उसका हिस्सा नहीं पहुंचा, तो डंकी ट्रैवलर की जान पर बन आती है. एक ट्रक ड्राइवर ने अखबार को बताया कि उसने तीन बार में पूरा पैसा अदा किया. एक बार सफ़र शुरू करने से पहले, फिर कोलंबिया पहुंचने के बाद और फिर अमेरिकी बॉर्डर के इस पार पहुंचने पर. अगर उसके पेरेंट्स आखिर तक पैसा न भेजते, तो मेक्सिको के तस्कर उसे गोली मार देते. फिलहाल ये ट्रक ड्राइवर, अमेरिका में शिविर में रहने की फाइल क्लियर होने का इंतजार कर रहा है.

वीडियो: तारीख: कहानी विलियम शेक्सपियर की जिन्हें पूरी दुनिया ने अपनाया