When You Least Expect It, Good Things Happen. यानी, जब आपकी उम्मीदों का सोता सूख चुका होता है, तभी अच्छी चीज़ें घटतीं है.जितनी ये पंक्ति है, उसका उलटा भी उतना ही सच है. 21 मार्च को चीन के गुआंग्ज़ी में चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस का एक यात्री विमान हादसे का शिकार हो गया. इसमें 123 यात्री और चालक दल के 09 लोग सवार थे. सरकारी एजेंसियां ज़ोर-शोर से बचाव अभियान चला रहीं है. अभी तक किसी भी सर्वाइवर का पता नहीं चला है. किसी के बचने की संभावना समय के साथ कम होती जा रही है. चीन को ऐविएशन सेफ़्टी में अग्रणी देशों में गिना जाता है. 2010 के बाद पहली बार चीन में कोई कॉमर्शियल प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हुआ है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं. इस दुर्घटना में बोइंग 737-800 शामिल था. सरकार ने इस मॉडल के सभी प्लेन्स को नीचे उतार दिया है. जब तक दोबारा आदेश नहीं आता, तब तक इस मॉडल के विमान चीन के आसमान में उड़ान नहीं भर सकते. आज हम जानेंगे, - चीन में हुए विमान हादसे की पूरी कहानी क्या है? - इस हादसे को अपवाद क्यों बताया जा रहा है? - और, इस प्लेन क्रैश के बाद क्या कुछ बदल जाने वाला है? आगे चलने से पहले बैकग्राउंड समझ लेते हैं. साल 2018 की बात है. 29 अक्टूबर की सुबह इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता से लायन एयर के विमान फ़्लाइट 610 ने उड़ान भरी. इस विमान को पंकल पिनाग तक जाना था. हवा में जाने के कुछ ही मिनट बाद एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल से उसका संपर्क टूट गया. संपर्क टूटने से कुछ समय पहले पायलट ने वापस लौटने की इजाज़त मांगी थी. उसे इजाज़त मिल भी गई. लेकिन लौटने में देर हो चुकी थी. विमान सीधे जावा सागर में गिर गया. इसमें कुल 189 लोग सवार थे. कोई भी ज़िंदा नहीं बचा. इस दुर्घटना में शामिल विमान ‘बोइंग 737 मैक्स’ उस समय की सबसे बेहतरीन तकनीक से लैस था. बोइंग दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरोस्पेस कंपनियों में से एक है. बोइंग ने मैक्स मॉडल को मई 2017 में इंट्रोड्यूस किया था. इसलिए, जब एक साल बाद ही ये विमान क्रैश हुआ तो बहुत सारे सवाल खड़े हुए. बोइंग ने इन सबसे पल्ला झाड़ने की कोशिश की. कभी इसका दोष पायलट के मत्थे तो कभी किसी और वजह पर डालने की कोशिश की गई. बोइंग इसमें काफ़ी हद तक सफ़ल भी रही. लेकिन असलियत को कभी ना कभी तो बाहर आना ही था. 10 मार्च 2019 को इथियोपियन एयरलाइंस के फ़्लाइट 302 ने आदिस अबाबा से उड़ान भरी. इसे उड़कर केन्या की राजधानी नैरोबी जाना था. उड़ने के छह मिनट बाद ही ये प्लेन क्रैश हो गया. इसमें सवार सभी 157 लोग मारे गए. इस हादसे में भी बोइंग का मैक्स 8 मॉडल शामिल था. पांच महीने से भी कम समय में एक ही मॉडल के दो प्लेन क्रैश का शिकार हुए थे. ये पूरी दुनिया के लिए सदमे की तरह था. इथियोपिया में हुए प्लेन क्रैश में 33 देशों के नागरिक शामिल थे. अमेरिका में फ़ेडरल ऐविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) पर दबाव बढ़ रहा था. मांग चल रही थी कि मैक्स-8 मॉडल के विमानों को उड़ने से रोका जाए. लेकिन FAA लगातार इस अपील को अनसुना कर रही थी. वो भी तब जब दिसंबर 2018 में FAA ने एक आंतरिक जांच में अंदेशा जताया था कि अगले 30 सालों में 15 मैक्स मॉडल के विमान क्रैश कर सकते हैं. चूंकि बोइंग के विमान पूरी दुनिया में इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए बाकी देश भी हादसे पर नज़र रखे हुए थे. इथियोपिया में हुए विमान हादसे के रोज़ ही चीन ने मैक्स मॉडल के सभी विमानों को नीचे उतरने का आदेश दे दिया. चीन की देखा-देखी बाकी देशों ने भी ऐसा ही किया. अमेरिका के ऊपर दबाव बढ़ता जा रहा था. 13 मार्च 2019 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ख़ुद टीवी पर आए. उन्होंने ऐलान किया कि अगली सूचना तक एक भी मैक्स मॉडल का विमान उड़ान नहीं भरेगा. संभवत: ऐसा पहली बार ऐसा हो रहा था, जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने ख़ुद से किसी प्लेन की उड़ान पर बैन का ऐलान किय था. इसके बाद जांच शुरू हुई. पता चला कि बोइंग ने इस मॉडल में एम-कैस नाम का एक नया सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल किया था. इसके बारे में पायलटों को कोई जानकारी नहीं दी गई थी. कहा गया था कि मैक्स को पुराने मॉडल के प्लेन्स की तरह ही उड़ाया जा सकता है. इसके लिए अलग से ट्रेनिंग की ज़रूरत नहीं है. पहले हादसे के बाद पायलटों ने बोइंग पर दबाव डाला. तब बोइंग ने कुछ स्टेप्स बताए. बोइंग ने कहा कि इनका इस्तेमाल ख़तरे वाली स्थिति में किया जाए. जांच में सामने आया कि दोनों हादसों के समय पायलट ने बोइंग के बताए निर्देश का पालन किया था. इसके बावजूद 346 लोगों की जान चली गई थी. दोनों हादसों में बोइंग की लापरवाही सामने आई. कहा गया कि स्टॉक मार्केट में धाक जमाने के लिए कंपनी ने सेफ़्टी प्रोटोकॉल्स से समझौता किया था. पूरी कवायद पैसे बचाने के लिए की गई थी. ये कोशिश बाद में कंपनी पर ही भारी पड़ी. इस मामले ने बोइंग को लगभग छह लाख करोड़ रुपये का नुकसान कराया. इसमें मुआवजे से लेकर रद्द किए गए ऑर्डर्स से हुए नुकसान से हुआ खर्च शामिल था. अमेरिका ने नवंबर 2020 में मैक्स पर लगा बैन हटा लिया. जनवरी 2021 तक यूरोप और कनाडा ने भी रोक हटा ली. लेकिन चीन छूट देने के मूड में नहीं था. उसने लंबा इंतज़ार कराया. दिसंबर 2021 में चीन ने संकेत दिया कि वो बोइंग मैक्स पर लगा बैन हटाने वाला है. उसने बोइंग के लिए कुछ सेफ़्टी इंस्ट्रक्शंस जारी किए. कहा कि ये सब ठीक कर दो तो बैन हटा लिया जाएगा. बोइंग ने हामी भर दी. उस दिन कंपनी के शेयर तेज़ी से ऊपर गए. 15 मार्च 2022 की साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट है. रिपोर्ट के अनुसार, शंघाई एयरलाइंस के कलर में सजे एक बोइंग 737 मैक्स को सिएटल से चीन की तरफ़ उड़ान भरते देखा गया. चीन के झुसान में बोइंग का इंस्टॉलेशन प्लांट है. यहां डेलीवरी से पहले प्लेन के अंदर के पुर्जे फ़िट किए जाते हैं. बैन किए जाने के बाद से पहली बार बोइंग के मैक्स मॉडल का कोई विमान चीन के आसमान में उड़ान भर रहा था. रिपोर्ट के बाद ये आकलन किया गया कि चीन बोइंग के मैक्स मॉडल पर लगा बैन पूरी तरह हटा सकता है. आज हम ये कहानी क्यों सुना रहे हैं? दरअसल, एक समय जब चीन में बोइंग का एक मॉडल चीन के मार्केट में लौटने की तैयारी कर रहा है, उसी समय एक दूसरे मॉडल को उड़ने से रोक दिया गया है. 21 मार्च को चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस का एक प्लेन कुनमिंग से ग्वांग्झू जा रहा था. 80 मिनट की उड़ान के बाद ये ग्वांग्ज़ी प्रांत में एक पहाड़ पर गिर गया. फ़्लाइट रडार 24 पर दर्ज़ डेटा के अनुसार, प्लेन एक मिनट से भी कम समय में 20 हज़ार फ़ीट नीचे गया. फिर उसने ऊपर जाने की कोशिश की. लेकिन इसे संभलने का मौका नहीं मिला और ये क्रैश कर गया. क्रैश के बाद प्लेन में आग लग गई. इस मामले में और क्या पता चला है? - क्रैश होने वाला जेट बोइंग 737-800 मॉडल का था. ये मॉडल 1994 में इंट्रोड्यूस किया गया था. जो प्लेन क्रैश हुआ, वो छह साल पुराना था. क्रैश के बाद चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस ने इस मॉडल की पूरी फ़्लीट को नीचे उतार दिया है. उसकी फ़्लीट में कुल 109 बोइंग 737-800 मॉडल के विमान हैं. चीन में इस मॉडल के सबसे ज़्यादा विमान हैं. दूसरे नंबर पर अमेरिका का नाम आता है. - बोइंग 737-800 सबसे सुरक्षित विमानों में गिना जाता है. 1997 के बाद से ये विमान 22 दफ़ा दुर्घटना का शिकार हुआ है. इनमें 612 लोगों की जान गई है. - चीनी सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के आदेश दिए हैं. वाइस प्रीमियर लियु ही और स्टेट काउंसिलर वांग योंग को मौके पर भेजा गया है. बचाव अभियान का मुआयना करने के लिए. हालांकि, अभी तक किसी भी ज़िंदा शख़्स का पता नहीं चल सका है. किसी के जीवित बचने की संभावना कम ही है. ख़राब मौसम और सुदूर इलाका होने के चलते बचाव अभियान में खासी मुश्किल आ रही है. - चीन में पिछला कॉमर्शियल प्लेन क्रैश साल 2010 में हुआ था. उस समय हेनान एयरलाइंस का एक जेट एयरपोर्ट पर उतरने से पहले ही दुर्घटना का शिकार हो गया था. इस हादसे में 44 लोग मारे गए थे. जहां तक चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस की बात है, इस एयरलाइंस की पिछली दुर्घटना साल 2004 में हुई थी. बोइंग 737-800 का पिछला हादसा अगस्त 2020 में हुआ था. उस समय एयर इंडिया का एक प्लेन कालीकट इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर क्रैश हो गया था. उसमें 21 लोगों की जान चली गई थी. चीन ऐविएशन सेफ़्टी के मामले में दुनिया के टॉप के देशों में गिना जाता है. विमान दुर्घटना के मामले में चीन दुनिया में 11वें नंबर पर हैं. वहां की ऐविएशन एजेंसी काफ़ी सख़्त है. इसका सीधा उदाहरण बोइंग 737 मैक्स के मामले में देखा जा सकता है. पूरी दुनिया में बैन हटने के बावजूद चीन ने इस मॉडल की उड़ान शुरू नहीं की है. इस वजह से ये हादसा अपवाद माना जा रहा है. जानकारों का कहना है कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. जांच करने वाली एजेंसियां फ़्लाइट के सभी कारकों की पड़ताल करेगी. इसमें प्लेन के स्ट्रक्चर, मेंटेनेंस हिस्ट्री और पायलट का पूरा रेकॉर्ड परखा जाएगा. बोइंग भी इस प्रोसेस का हिस्सा रहेगी. फिलहाल, फ़्लाइट डेटा रेकॉर्डर और वॉयस रेकॉर्डर की खोज चल रही है. चाइना ईस्टर्न चीन की सबसे बड़ी एयरलाइंस में से एक है. ये एयरलाइंस बड़ी संख्या में डोमेस्टिक और अंतरराष्ट्रीय फ़्लाइट्स का संचालन करती है. कोरोना महामारी के चलते फ़्लाइट्स की संख्या में कमी आई थी. अब जबकि पूरी दुनिया कोरोना से आगे निकलने की योजना बना रही है, ये हादसा ऐविएशन इंडस्ट्री के लिए बड़ी चुनौती बनकर आया है. अब आगे क्या होने वाला है? बोइंग इस साल मैक्स मॉडल के 140 प्लेन्स अपने चीनी ग्राहकों को डेलिवर करने वाला था. 737-800 में मैक्स मॉडल में लगने वाले इक़्विपमेंट्स इस्तेमाल में नहीं लाए जाते. लेकिन हालिया हादसा बोइंग के प्रति भरोसे को कम करेगा. ये था हमारा बड़ी ख़बर सेग्मेंट. अब सुर्खियों की बारी. पहली सुर्खी रूस-यूक्रेन युद्ध से है. आज लड़ाई का 27वां दिन है. हम अपडेट्स जान लेते हैं. - 21 मार्च को रूस ने यूक्रेन की राजधानी किएव में एक शॉपिंग सेंटर पर हवाई हमला किया. इस हमले में आठ लोगों की मौत हो गई. रूसी सेना अभी भी राजधानी के बाहर डेरा डाले हुए है. उन्हें अंदर घुसने में सफ़लता नहीं मिल सकी है. - यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की ने पुतिन से मिलने की इच्छा दोहराई है. उन्होंने कहा कि वो नेटो की मेंबरशिप छोड़ने के लिए तैयार हैं. बदले में उन्हें संघर्षविराम, रूसी सैनिकों की वापसी और यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी चाहिए. रूस की सत्ता के केंद्र क्रेमलिन ने पुतिन और ज़ेलेन्स्की के मिलने की संभावना से इनकार किया है. - रूस ने जापान के साथ पीस ट्रीटी को लेकर चल रही बातचीत बंद कर दी है. दोनों देशों के बीच झगड़ा दूसरे विश्वयुद्ध के समय का है. उस समय सोवियत सेनाओं ने जापान के एक द्वीप पर क़ब्ज़ा कर लिया था. इसे जापान में नॉर्दर्न टेरिटरिज़ और रूस में कुरील आईलैंड्स के नाम से जाना जाता है. रूस और जापान के बीच दूसरा विश्वयुद्ध अभी तक औपचारिक तौर पर समाप्त नहीं हुआ है. जबसे रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया है, तब से जापान रूसी कंपनियों और उद्योगपतियों पर प्रतिबंध लगा रहा है. उसने रूस से मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन का दर्ज़ा भी छीन लिया है. इसको लेकर दोनों देशों में तनाव बढ़ा हुआ है. दूसरी सुर्खी पाकिस्तान से है. जैसे-जैसे प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की तारीख़ क़रीब आ रही है, इमरान ख़ान का गुस्सा बढ़ रहा है. 20 मार्च को ख़ैबर-पख़्तूनख़्वाह में एक रैली में इमरान बोले, समाज में आपके बच्चों और परिवार के लोगों की इज्ज़त घट जाएगी. कोई आपके बच्चों से शादी नहीं करेगा. ये सोशल मीडिया का ज़माना है. लोगों से कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता. इमरान का इशारा पार्टी के 20 से अधिक विद्रोही सांसदों की तरफ़ था. इन सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट करने की बात कही है. अगर ऐसा होता है तो इमरान ख़ान की कुर्सी नहीं बचेगी. इससे पहले वो विपक्षी नेताओं को गीदड़, चपरासी और मोची तक कह चुके हैं. 08 मार्च को विपक्ष ने नेशनल असेंबली का आपातकालीन सत्र बुलाने और अविश्वास प्रस्ताव पेश करने को लेकर चिट्ठी पेश की थी. स्पीकर ने 25 मार्च को सेशन बुला लिया है. इमरान ख़ान अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने वाले तीसरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री होंगे. इससे पहले बेनज़ीर भुट्टो और शौक़त अज़ीज़ अविश्वास प्रस्ताव झेल चुके हैं. अभी तक किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की कुर्सी अविश्वास प्रस्ताव के चलते नहीं गई है. जिस तरह के हालात बन रहे हैं, इमरान ख़ान का नाम इतिहास में दर्ज़ हो सकता है. आज की तीसरी और अंतिम सुर्खी अफ़्रीकी देश मलावी से है. यहां पिछले महीने वाइल्ड पोलियो का एक केस मिला था. मलावी में पोलियो का पिछला केस 1992 में दर्ज़ किया गया था. हालिया केस मिलने के बाद देशभर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों को पोलियो का टीका लगाया जा रहा है. इसके अलावा, ऐहतियात के तौर पर मोज़ाम्बिक़, तंज़ानिया, ज़ाम्बिया और ज़िम्बॉब्वे में भी टीके लगाए जाएंगे. अगस्त 2020 में अफ़्रीकी महाद्वीप को पोलियो से मुक्त घोषित किया जा चुका है. पोलियो वायरस के कुल तीन वेरिएंट्स हैं. WPV वन, WPV टू और WPV थ्री. इनमें से टू और थ्री को पूरी तरह समाप्त किया जा चुका है. जबकि WPV वन अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में अभी भी मौजूद है. मलावी में मिले पोलियो के केस से WHO की चिंता बढ़ी हुई है. हालांकि, अभी ‘पोलियो-मुक्त’ का स्टेटस हटाया नहीं जाएगा.
चीन में हुए विमान हादसे की पूरी कहानी जानिए
China plane crash ने चीन में विमानन सुरक्षा का रेकॉर्ड बिगाड़ दिया है
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China plane crash ने चीन में विमानन सुरक्षा का रेकॉर्ड बिगाड़ दिया है (फोटो- ट्विटर)
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