चेतन भगत के नाम पर लोग बंट जाते हैं. कुछ लोग उन्हें अच्छा लेखक मानते हैं, कुछ बुरा. और राइटर के लेखन से फोकस तुरंत शिफ्ट होकर इस बहस पर आ जाता है कि क्या पॉपुलर है, क्या क्लासिक. और ये बोलकर चेतन भगत को बचा लिया जाता है कि लिटरेचर के ठेकेदार चेतन भगत को पनपने नहीं देते क्योंकि वो नए हैं, पॉपुलर हैं. कम उम्र में ज्यादा लोग पढ़ रहे हैं उन्हें. लेकिन मेरे पास कई और सवाल हैं, चेतन भगत के लिए.
स्टोरी क्या है, दोस्त?
मैंने 5 पॉइंट समवन पढ़ी. झूठ नहीं कहूंगी, अच्छी लगी. फिर 3 मिस्टेक्स ऑफ़ माय लाइफ पढ़ी. बोरिंग लगी. उसके बाद 2 स्टेट्स पढ़ी. ऐसा लगा कि अपनी पिछली कहानियों को ही तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. इनके हर नॉवेल के कैरेक्टर एक ही उम्र के होते हैं. लड़का, जो हीरो है, प्यार के लिए परेशान है. फिर एक सेक्स सीन. उसके बाद कॉम्प्लिकेशन. और अंत में हैप्पी एंडिंग. कुल मिलाकर प्लॉट में ज़रा सा फर्क आता है. पर हर नॉवेल का मिजाज़ एक ही रहता है.
तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है, दोस्त?
ऐसा नहीं कि चेतन भगत ने केवल फिक्शन लिखा है. ऐसा भी नहीं कि ट्विटर पर एक के बाद आए विवादास्पद ट्वीट्स से मैं उन्हें जज कर रही हूं. चेतन भगत की किताब 'व्हाट यंग इंडिया वांट्स' जिसमें उन्होंने तत्कालीन भाजपा सरकार का रिपोर्ट कार्ड बनाया है. न ही सिर्फ इनकी किताब में अपनी बात को सपोर्ट करने के लिए आंकड़ों की कमी है, बल्कि उनकी सभी टिप्पणियां हल्की और सतही हैं. चेतन भगत लिखते समय ये अज्यूम कर के चलते हैं कि सरकार बनाने वाले सभी लोग सोशल मीडिया पर हैं और उनकी ओपिनियन से सरकार चलती है. वो ये भूल जाते हैं कि वोट छोटे-छोटे गांवों, कस्बों, जिलों में बनते हैं. सोशल मीडिया की पॉलिटिक्स में आज-कल एक अहम भूमिका है, ये बात सच है. पर सारे वोटर सोशल मीडिया पर नहीं हैं. चेतन भगत का कोई पॉलिटिकल स्टैंड नहीं है. मीठी बातें करते हैं, तीखी टिप्पणियां करने से बचते हैं. सरकार को लड़कियों को पढ़ाना चाहिए, अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए. ये सब जानते हैं.
वेयर इज योर वुमन, डूड?
चेतन भगत के लिखे कॉलम पढ़े हैं मैंने. इनकी किताबों में भी औरतों की दशा को लेकर खूब बात होती है. इनके लेटेस्ट नॉवेल की हीरो भी लड़की है. चेतन भगत अपने कॉलम में पुरुषों को बताते हैं कि अगर वो पढ़ी-लिखी औरत से शादी करेंगे तो समाज में चार जगह मुंह दिखाने लायक रहेंगे. वो गोल रोटी नहीं बना पाएगी, पर नौकरी करेगी. कुल मिलाकर औरतों का पढ़ना-लिखना पुरुषों के लिए फायदेमंद है, ये चेतन भगत ब्रांड का फेमिनिज्म है. इनके लेटेस्ट नॉवेल में औरत वैक्सिंग और सेक्स में खर्च हो रही है. चूंकि वो पढ़ने वाली टाइप की लड़की है, वो मेकअप नहीं करती, पांव वैक्स नहीं कराती. उसकी बहन बिलकुल उल्टी है. ऐसे स्टीरियोटाइप कई फिल्मों में खेले जा चुके हैं. लेकिन चेतन भगत को महसूस होता है कि लड़कियों के वैक्सिंग और सेक्स के बारे में बात कर वो एक औरत की कहानी लिख पाएंगे. इनकी किताबों की औरतें फ्लैट चरित्र रही हैं. यानी किताब के दौरान मानसिक तौर पर बड़ी नहीं होतीं. उनमें कोई गहराव नहीं होता.
'कम से कम इसी बहाने लोग अंग्रेजी पढ़ते तो हैं'
कई लोग कहते हैं कि चेतन कैसा भी लिखें, कम से कम उनके बहाने हम अंग्रेजी तो पढ़ते हैं. उन सभी लोगों से एक सवाल है. क्या पढ़ना कोई ऑब्लिगेशन है? आप नॉवेल नहीं पढ़ते, तो नहीं पढ़ते. आप कुछ और पढ़ते होंगे. टीवी देखते होंगे. पेंटिंग करते होंगे. या पढ़ाई में अच्छे होंगे. और इन सब में कुछ भी न करते हों, तो नॉवेल न पढ़ना आपके जीने का तरीका हो सकता है. किताबों को लेकर लोगों के अंदर हमेशा एक रोमैंटिक सी फीलिंग रहती है. जो सचमुच फालतू है. जीवन में एजुकेशन जरूरी है, नॉवेल पढ़ना नहीं. और अगर आपको चेतन भगत पढ़ने के लिए इंस्पायर करते हैं, तो यकीन मानिए आपका न पढ़ना ही बेहतर था.
'पॉपुलर' फिक्शन को बदनाम मत करो, ब्रो!
जब हम चेतन भगत को नॉवेल की परिभाषा मानते हैं, हम अंग्रेजी नॉवेल के स्तर को न केवल गिरा देते हैं, बल्कि उसकी परिभाषा को बांध देते हैं. एक हिंदीभाषी अगर इंग्लिश नॉवेल में अपनी एंट्री चेतन भगत से करता है, तो वो जरूर ही एक गलत दिशा में शुरुआत कर रहा है. क्योंकि चेतन भगत पॉपुलर हैं, पर मुख्यधारा नहीं है. अगर हम अंग्रेजी के बालसाहित्य को देखें, तो वो शायद अंग्रेजी में कदम रखने के लिए बेहतर शुरुआत होगी. चेतन भगत के लेखन में, उनके चरित्रों में वो गहराई नहीं है, जिसके लिए हम किताबों की ओर रुख करते हैं. जो किताब पढ़ने में हम हफ्ता भर लगा देते हैं, उस पर बनी फिल्म को देखने में 2 घंटे लगते हैं. जिसकी वजह कविता में भरे छोटे डीटेल्स होते हैं, जो आपको कल्पना करने के लिए गुदगुदी करते हैं. मैं चेतन भगत में ऐसा कुछ नहीं पाती.
ये सच है कि चेतन भगत को लाखों लोग पढ़ते हैं. पढ़ें भी, अच्छी बात है. लेकिन इस तरह डिफेन्स में न उतरें कि हमें लगे कि चेतन भगत को न पढ़ना एक अच्छे लेखक की अनदेखी है. यूं नहीं है कि आप चेतन भगत को नहीं पढ़ेंगे तो कुछ मिस कर देंगे. ये भी न माना जाए कि चेतन भगत से चिढ़ने वाले 'पॉपुलर' शब्द से ही चिढ़ते हैं. और 'पॉपुलर' के नाम पर आई हर चीज को गरियाते हैं. चेतन भगत एक अच्छे बिजनेसमैन हो सकते हैं, पर एक सतही और बुरे लेखक हैं.
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