गाना था, 'कलियों का चमन जब बनता है.'
https://www.youtube.com/watch?v=dMR7mBvCXegइसमें परफॉर्म किया था मेघना नायडू ने. उनका चेहरा आने वाले बरसों-बरस तक के लिए लड़के-लड़कियों के जेहन में छप गया.
मेघना का बर्थडे होता है 19 सितंबर को. उनका करियर देखकर लगता है हमने उन्हें इतने साल सिर्फ कंज्यूमआपको 2002 में रिलीज हुई फिल्म मकड़ी याद होगी जिसमें श्वेता बासु प्रसाद ने केंद्रीय भूमिका की थी. पहली ही फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट चाइल्ड एक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिया गया. फिर तीन साल बाद उनकी फिल्म इकबाल आई जिसमें उन्होंने श्रेयस तलपदे के साथ काम किया. इनके गूंगे क्रिकेटर की बहन का रोल किया. अब यहां तक श्वेता का काम हमने देखा. उन्हें सराहा. लेकिन फिर उसके बाद हमने उनके साथ क्या किया? काम की तलाश में उन्हें न चाहते हुए भी तेलुगु फिल्मों में जाना पड़ा और वहां उन्हें सिर्फ वैसे ही रोल मिले जहां उनके शरीर की नुमाइश की गई. वहां उनकी एक्टिंग या नृत्य कौशल की नहीं देह की चाहत रखी गई. फिर उन्हें देह व्यापार के आरोपों में जेल भेजा गया. बाद में हालांकि ये सब निराधार साबित हुआ. लेकिन यहां तक मीडिया और लोगों ने उनके लिए इतना अपमानजनक और नीचा नजरिया बना लिया गया था कि क्या कहें. लेकिन श्वेता को एक और मौका मिला. उन्होंने अनुराग कश्यप की फिल्मों में स्क्रिप्ट कंसल्टेंट के तौर पर काम पा लिया. आज वे एक अलग ही स्टेज पर पहुंच चुकी हैं और किसी के उपभोग का सामान नहीं हैं.
किया है. उन्हें सिर्फ सामान समझा है. सिर्फ उनके जिस्म को घूरा है. हमने एक परफॉर्मिंग आर्टिस्ट के तौर पर कभी उन्हें सम्मान के साथ नहीं देखा. और ऐसा नहीं है कि रिस्पेक्ट नहीं दी जा सकती थी.

लेकिन मेघना को हमने कभी ऐसा सम्मानजनक मौका नहीं दिया
वे शायद भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की अकेली आर्टिस्ट हैं जिन्हें सबसे ज्यादा बार हमारे सामने किसी वस्तु की तरह परोसा गया है. 2004 में आई तेलुगु फिल्म सथ्रुवु के उन्हें बार डांसर के रोल से लेकर कुछ महीनों पहले रिलीज हुई हिंदी फिल्म क्या कूल हैं हम-3 में मासी का किरदार. उनके अभिनय कौशल को कहीं भी महत्व नहीं दिया गया, सिर्फ उनके शरीर की भरावट को उपयोग में लिया गया.यूट्यूब पर जाएं तो हॉट एंड रोमैंटिक क्लिप्स ऑफ मेघना नायडू और हॉट रोमैंटिक सीन ऑफ मेघना नायडू जैसे टाइटल ही दिखते हैं. कहीं स्विमिंग पूल का 'हॉट' सीन है. बैड फ्रेंड और हवस जैसी फिल्मों में तो इससे भी सस्तापन पाते हैं. बीते दिनों में टीवी शो ससुराल सिमर का में भी दिखीं. फियर फैक्टर - खतरों का खिलाड़ी में भी काम किया.

ससुराल सिमर का में पाताली देवी
मेघना के बहाने ये बात उन सब लड़कियों की जिंदगी की भी है जो फिल्म इंडस्ट्री में कुछ बड़ा करने को आती हैं. और उन्हें ऐसे रास्ते ही मिलते हैं जहां तमाम आंखें दुकान में रखे सामान की तरह ही उन्हें घूरती रहती हैं.
उन्हें ब्रेनलेस बिम्बों या ऑब्जेक्ट समझने वाले दर्शकों को अपनी समझ अपडेट करना चाहिए. ज्यादातर को शायद नहीं पता है कि मेघना पढ़ी-लिखी एक्ट्रेस हैं. वे मुंबई में ही जन्मीं. पिता एयर इंडिया के लिए काम करते हैं और टेनिस कोच रहे हैं. मां टीचर थीं. मेघना ने सात साल भरतनाट्यम सीखा है. चार साल अमेरिका में टेनिस की कोचिंग दी है. एक मुकम्मल व्यक्तित्व हैं. और एक मुकम्मल व्यक्तित्व न भी हो तो भी परफॉर्मिंग आर्ट्स में जो भी औरतें काम करती हैं, उन्हें एक इंसान समझे जाने जितनी गरिमा तो मिलनी ही चाहिए.