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इस कंपनी में सब ठीक नहीं?अरबिंदो फार्मा ने कितने का बॉन्ड खरीदा?

चंदा मांग कर चुनाव लड़ना, चुनावी खर्चों का सबसे पारदर्शी तरीका हो सकता था. बशर्ते जनता को ये जानने का हक हो कि किस पार्टी को कौन पैसा दे रहा है.

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अरबिंदो फार्मा (फोटो-अरबिंदो फार्मा)

चंदा मांग कर चुनाव लड़ना, चुनावी खर्चों का सबसे पारदर्शी तरीका हो सकता था. बशर्ते जनता को ये जानने का हक हो कि किस पार्टी को कौन पैसा दे रहा है. और इसी सूचना के लिए पिछले कई दिनों से देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड का पूरा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है. चुनाव आयोग ने इस डेटा को जारी कर दिया है. दो तरह की सूचियां आई हैं. एक में उन नामों का जिक्र हैं जिन्होंने Electoral Bond खरीदे और एक सूची उन पार्टियों की है जिन्हें Electoral Bond के जरिए चंदा मिला. किस पार्टी को किसने कितना पैसा दिया ये तो अभी पूरी जानकारी सामने आने के बाद पता चलेगा पर इसी बीच विशेषज्ञों ने लिस्ट में मौजूद कुछ चीजों की ओर लोगों का ध्यान खींचा. एक कंपनी का नाम सामने आया Aurobindo Pharma. ये कंपनी पहले भी दिल्ली शराब केस को लेकर सुर्खियों में रही. और अब Electoral Bonds को लेकर फिर से चर्चा में है. तो जानते हैं क्या है इस कंपनी का तिया-पांचा. तो आज बात करते हैं अरबिंदो फार्मा के बारे में. जानेंगे की क्यों ये कंपनी वापस से चर्चा में है और इलेक्टोरल बॉन्ड से इसका क्या रिश्ता है?
 

अरबिंदो फार्मा 

कंपनी की वेबसाइट पर जाएं तो दिखता है कि ये कंपनी 1986 में अस्तित्व में आई थी. P.V. Ramprasad Reddy ने K Nithyananda Reddy नाम के दो लोगों ने साथ मिलकर कंपनी की शुरुआत की. आज दवा के ग्लोबल मार्केट में Aurobindo Pharma एक जाना-माना नाम है. और भारत की टॉप फार्मा कंपनियों में शुमार है. ये कंपनी 150 देशों में अपने प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करती है. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार Aurobindo Pharma का 90 प्रतिशत रेवेन्यू, इंटरनेशनल ऑपरेशन्स से आता है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023 की पहली तिमाही में Aurobindo Pharma की सेल थी छह हजार एक सौ छिहत्तर करोड़ रूपये  (6176). कम्पनी 8.5 प्रतिशत सालाना की वृद्धि दर से बढ़ रही है. हालांकि दिलचस्प बात ये है कि इसी दौरान कम्पनी का प्रॉफिट गिरा। पहले ये सात सौ अठत्तर करोड़ रूपये था जो घटकर पांच सौ चौबिस करोड़ रूपये हो गया. यानी प्रॉफिट में 32 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. कंपनी बिजनेस के लिए नाम कमाए अच्छी बात है. लेकिन अरबिंदो फार्मा का नाम कई विवादों से भी जुड़ता रहा है.   
 

विवादों से नाता

-पहली बार Aurobindo Pharma का नाम 2012 में सुर्खियों में आया. जब सीबीआई ने आंध्र प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दायर किया. इस केस में सीबीआई ने जगन रेड्डी के अलावा 12 और लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की. 
-जगन रेड्डी ने 2011 में कांग्रेस से अलग होकर वाईएसआर कांग्रेस का गठन किया था. ये उसके ठीक बाद के घटना है. 
 

क्या था सीबीआई का केस?

2012 की सीबीआई चार्जशीट में जगन रेड्डी के अलावा जो 12 नाम थे, उन 12 में से एक नाम Aurobindo Pharma का भी था.
-जगन रेड्डी के पिता वाईएसआर रेड्डी भी आंध्र प्रदेश के सीएम रह चुके थे. हालांकि वाईएसआर रेड्डी की मौत 2009 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हो गई. पर फिर भी उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने सीएम रहते हुए बेटे को फायदा पहुंचाया. 
-सीबीआई केस के अनुसार YSR रेड्डी की सरकार ने अरबिंदो फार्मा को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें बहुत ही कम दाम पर जमीन अलॉट की. बदले में उन्होंने जगन मोहन रेड्डी की कंपनी Jagati Publications Private Ltd में इन्वेस्ट किया. 
-नवंबर 2006 में जब Sarath Chandra Reddy यानी अरबिंदो फार्मा के वर्तमान डायरेक्टर शरद रेड्डी के ससुर,  trident Life Sciences के एमडी थे, उस दौरान उन्होंने अपने नाम से आंध्र प्रदेश इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन (APIIC)  को दो लेटर्स जारी किये थे.  
-हैदराबाद के बाहरी इलाके में पाटनचेरु के पास 30.33 एकड़ जमीन के लिए APIIC के साथ बिक्री के समझौते हुए.  
-यह अच्छी तरह से जानते हुए कि ट्राइडेंट लाइफ साइंसेज में सबसे अधिक शेयर रेड्डी परिवार के लोगों के ही हैं. 
-APIIC  ने बाजार भाव से काफ़ी कम पर जमीन बेच दी जिससे ट्राइडेंट लाइफ साइंसेज को 4.3 करोड़ का फायदा हुआ. 
-जमीन से जुड़ी ये पहली डील नहीं थी. बल्कि पहले हुई डील का ही दूसरा हिस्सा था. इससे पहले हुई लैंड डील को अरबिंदो फार्मा के के एमडी नित्यानंद रेड्डी ने अंजाम दिया था. 
-इस डील में उन्होंने APIIC से जडचर्ला स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन में 75 एकड़ जमीन खरीदी. सात लाख प्रति एकड़ के भाव पर. आरोप लगा कि जडचर्ला स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन की जमीन को कीमत से काफ़ी कम पर अरबिंदो फार्मा को बेचा गया था 
-आखिरकार Sarath Chandra Reddy को IPC की धारा 120-B, आपराधिक षड्यन्त्र रचना और धारा 420, धोखाधड़ी के तहत आरोपी बनाया गया.  
-अब भी ये मामला सीबीआई स्पेशल कोर्ट में चल रहा है. इसके बाद अगला वाकया 2019 में हुआ.  

बिजनेस टुडे ने 7 जून 2019 को एक खबर पब्लिश की. इस खबर के मुताबिक अमेरिका की एक कंपनी Aceto Corporation ने Aurobindo Pharma पर आरोप लगाया. आरोप था कि Aurobindo Pharma ने जानबूझकर Aceto के जेनेरिक फार्म बिजनेस को तबाह कर दिया जिसे वह राइजिंग फार्मास्यूटिकल्स के नाम से संचालित करती थी. Aceto ने कहा कि Aurobindo ने पूरे सप्लाई चेन को डिस्टर्ब किया जिससे की Aceto दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया.

दिल्ली शराब केस में अरबिंदो फार्मा 

-इसके बाद 2022 में कंपनी का नाम एक बार फिर सुर्ख़ियों में आया. 10 नवंबर 2022 को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने Aurobindo Pharma के डायरेक्टर शरद रेड्डी  को गिरफ्तार कर लिया. ये गिरफ़्तारी दिल्ली के चर्चित एक्साइज़ केस में हुई. 
-ईडी ने आरोप लगाया था कि शरद रेड्डी दिल्ली के कथित लिकर कार्टेल के साउथ ग्रुप का हिस्सा थे. साउथ ग्रुप का नाम पहली बार ईडी की पूछताछ में सामने आया था.   ईडी के मुताबिक पूछताछ में विजय नायर के जरिए आप नेताओं के साथ सौ करोड़ के लेनदेन की बात सामने आई थी. जिस ग्रुप ने लेनदेन की पेशकश की उसे बयान देने वालों के आधार पर  साउथ ग्रुप नाम दिया गया. ईडी के मुताबिक YSR Congress के  Ongole  से लोकसभा MP Magunta Sreenivasulu Reddy और तेलंगाना सीएम केसीआर की बेटी और एमएलसी ‘के कविता’, साउथ ग्रुप के अहम मेंबर्स हैं.  
-इस साउथ ग्रुप ने कथित तौर पर गोवा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपये की फंडिंग की थी. ईडी का आरोप है कि ये फंडिंग आप के कैंपेन मैनेजर विजय नायर के जरिए हुई थी. 
-इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में एक अन्य व्यक्ति बेनॉय बाबू, जो पेरनोड रिकर्ड नाम की शराब कम्पनी के महाप्रबंधक हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया. 
-इसी केस में आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया भी जेल में हैं. 
-2023 में शरद रेड्डी ने सरकारी गवाह बनने की अर्जी दी.  जिसे जून 2023 में कोर्ट ने मंजूर कर लिया था. कोर्ट ने गवाह बनने के बाद रेड्डी को माफी भी दे दी थी.

कौन हैं P शरद रेड्डी? 

P शरद रेड्डी  अरबिंदो फार्म के फाउन्डर P V Ram Prasad Reddy के बेटे हैं. शरद रेड्डी  कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर Nithyananda Reddy के दामाद भी हैं. शरद रेड्डी  के भाई रोहित रेड्डी, YSR Congress से राज्यसभा सांसद वी विजयसाई रेड्डी के दामाद हैं. यानी जगन मोहन रेड्डी के करीबियों में Aurobindo Pharma का नाम आता है. शरद रेड्डी  पहली बार 2012 में सीबीआई केस की वजह चर्चा में आए थे. शरद रेड्डी  आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन से भी जुड़े हैं.कंपनी का तिया पांचा जानने के बाद अब जानिए कि इलेक्टोरल बांड की लिस्ट कंपनी के बारे में क्या बताती है? 
 

कितने का Electoral Bond खरीदा?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव  आयोग ने अपनी वेबसाइट Electoral Bonds का डेटा अपलोड कर दिया है. इस डेटा के मुताबिक Aurobindo Pharma ने कुल 52 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. इसमें से 25 करोड़ रूपये के बांड उन्होंने 8 नवंबर को खरीदे।  तब, जब वो दिल्ली एक्साइज़ केस में गवाह बन चुके थे. 
जब शरद रेड्डी  को 10 नवंबर 2022 को ईडी ने अरेस्ट किया, उसके पांच दिन बाद ही Aurobindo Pharma ने एक करोड़ के 5 बॉन्ड खरीदे. पर इससे पहले अप्रैल 2022 में भी कंपनी ने 1 करोड़ के 15 बॉन्ड खरीदे थे. हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि Aurobindo Pharma द्वारा खरीदे हुए बॉन्ड किस पार्टी ने भुनाए. वो वक्त आने पर पता चलेगा।  फिलहाल ये बात निकलकर सामने आई है कि जितने बॉन्ड खरीदे गए और जितने भुनाए गए, उनकी संख्या में अंतर है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में यूनिक कोड की मांग की है, जिससे ये मिलान हो सके कि अमुक एलेक्टोरल बॉन्ड, अमुक पार्टी को दिए गए.  जैसे ही पूरा डेटा सामने आएगा हम आप तक पूरी जानकारी पहुंचाएंगे.