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दिल्ली दंगों पर सुनवाई करने वाले जज विनोद यादव ने ट्रांसफर से पहले पुलिस को कई बार रगड़ा था

जस्टिस विनोद यादव का तबादला नई दिल्ली जिले की राउज एवेन्यू कोर्ट में कर दिया गया है.

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कड़कड़डूमा कोर्ट में दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे जस्टिस विनोद यादव ने पुलिस की कार्रवाई को "हास्यास्पद" करार दिया था.

"देश के बंटवारे के बाद से दिल्ली में हुए सबसे ख़तरनाक सांप्रदायिक दंगों को जब याद किया जाएगा, तो इसकी जांच में दिल्ली पुलिस की विफलता लोकतंत्र से प्यार करने वाले हर इंसान को तकलीफ़ देगी."

"मामले से जुड़े गवाहों, प्रत्यक्षदर्शियों, असली अभियुक्तों और तकनीकी साक्ष्य का पता लगाने की कोई कोशिश नहीं की गई है. इससे ऐसा लग रहा है कि महज़ इस चार्जशीट को दाखिल करके ही पुलिस ने मामला सुलझा दिया है."

"जिस तरह ये जांच की गई और इसमें वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी की कमी, उससे साफ़ दिखता कि जांच एजेंसी ने सिर्फ़ अदालत की आंखों पर पट्टी बांधने की कोशिश की और कुछ नहीं."

"ये मामला टैक्स पेयर्स की मेहनत की कमाई की भारी बर्बादी थी. ऐसा लगता है कि मामले की जांच करने का कोई इरादा नहीं था."

"ये अदालत ऐसे मामलों को सुनकर इस तरह अपना समय ज़ाया नहीं कर सकती. ये न्यायिक प्रणाली का मज़ाक था, ये एक ओपन एंड शट केस है!"

"पुलिस के गवाह शपथ लेकर झूठ बोल रहे हैं, ये बहुत ही दुखद बात है."

आपने अभी जो पढ़ा वे एक जज की टिप्पणियां हैं. अगर कोर्ट की भाषा में कहें तो ये ऑब्ज़र्वेशन्स हैं. ये वही ट्रायल कोर्ट जज हैं जो 2020 में हुए दिल्ली दंगों (Delhi Riots) की जांच पर सुनवाई कर रहे हैं. ये ऑब्ज़र्वेशन उन्होंने पिछले एक साल में दिल्ली दंगों से जुड़े अलग-अलग मामलों में दिए हैं. लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर पाएंगे. क्यों?
क्योंकि बुधवार 6 अक्टूबर को इन जज साहब का ट्रांसफर हो गया. नाम है विनोद यादव (Vinod Yadav). दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यानी कि अडिशनल सेशन्स जज (ASJ) के पद पर काम कर रहे थे. अब उनका तबादला नई दिल्ली जिले की राउज एवेन्यू कोर्ट में कर दिया गया है. जस्टिस विनोद यादव वहां विशेष न्यायाधीश की भूमिका में होंगे. वे वहां भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम और सीबीआई के मामलों को डील करेंगे. तबादले से पहले पुलिस को लगाई थी फटकार अपने तबादले से एक दिन पहले यानी 5 अक्टूबर को ASJ विनोद यादव पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों के एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. लाइव लॉ के मुताबिक़ इसी दौरान एक गवाह बने एक पुलिसकर्मी ने तीन कथित दंगाइयों की पहचान कोर्ट में की. वहीं, दूसरे पुलिसकर्मी गवाह ने कहा कि जांच के दौरान कथित दंगाइयों की पहचान नहीं की जा सकी थी. ये सब सुनकर जज विनोद यादव ने कहा कि दिल्ली पुलिस इस मामले में विरोधाभासी बयान दे रही है.
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दिल्ली दंगों के दौरान काफी लोगों की मौत हुई और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. फोटो सोर्स- आजतक
पुलिस पर ग़लत कार्रवाई के लिए लगाया जुर्माना दंगों से जुड़े पिछले कई मामलों की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश विनोद यादव ने दिल्ली पुलिस की जांच को सिरे से ख़ारिज कर दिया था. कुछ ऐसे भी मामले थे जिनमें उन्होंने पुलिस की क़ार्रवाई को "हास्यास्पद" तक बताया था. वहीं, एक मामले में पुलिस पर जुर्माना तक लगा दिया था. हालांकि, जुर्माने वाले मामले को पुलिस ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर को जांच की निगरानी का आदेश अगस्त महीने में दिल्ली दंगों के एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस यादव ने DCP (नॉर्थ ईस्ट) से रिपोर्ट मांगी थी. वहीं, सितंबर महीने में उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को दंगों की जांच की निगरानी करने को कहा था. इसके अलावा, जस्टिस यादव ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी राकेश अस्थाना से हस्तक्षेप करने को कहा था.
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दिल्ली दंगे के बाद की एक तस्वीर. (फाइल फोटो-PTI)
धर्म के आधार पर ट्रायल अलग चलाने का आदेश दिल्ली पुलिस ने दंगों से जुड़ी कई एफआईआर को क्लब कर दिया था. जज विनोद यादव ने इस पर सख़्त आपत्ति जताई थी. सितंबर महीने में उन्होंने धर्म के आधार पर आरोपियों के ट्रायल अलग-अलग चलाने का आदेश भी दिया था.
साल 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट ने नॉर्थ-ईस्ट और शाहदरा जिलों में दर्ज सांप्रदायिक हिंसा के मामलों की सुनवाई के लिए दो सेशन कोर्ट और दो मजिस्ट्रेट कोर्ट के नाम पर मुहर लगाई थी. नॉर्थ-ईस्ट के कड़कड़डूमा सेशन कोर्ट में विनोद यादव थे. अब उनकी जगह जज विनोद भट्ट लेंगे.
बताते चलें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में 11 जजों का ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया था. इनमें से के जस्टिस यादव थे.