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'एक ही एग्जाम सेंटर से टॉपर, सही सवाल गलत बताए, टॉपर लिस्ट आई नहीं'- MP में एक और व्यापमं घोटाला?

MP में व्यापमं घोटाला 3.0 हो गया?

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क्या एमपी में व्यापम पर एक और दाग लगेगा. (सांकेतिक तस्वीर- इंडिया टुडे)

सीधी में घिनौने कांड के पीड़ित के पैर धोते मुख्यमंत्री शिवराज की तस्वीरें तो लगभग हर टीवी चैनल और वेबसाइट पर दिखाई ही गई. लेकिन उन्हीं के राज्य से एक और खबर है जो अबतक किसी भी न्यूज़ पोर्टल पर नहीं दिखाई दी. शायद शिवराज की भी नज़र नहीं ही गई होगी. क्योंकि अपने भविष्य को लेकर परेशान कुछ लड़के-लड़कियां फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप स्टेटस पर अपनी बात कह तो रहे हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है.

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एक कहानी सुनिए. मध्य प्रदेश में इसी साल जनवरी में भर्ती निकलती है. सहायक समपरीक्षक, सहायक जनसंपर्क परीक्षक, सहायक नगर निवेक्षक, सहायक राजस्व अधिकारी, सहायक अग्निशमन अधिकारी और भू-अभिलेख, राजस्व विभाग के अंतर्गत पटवारी की भर्ती निकलती है. यहां से आप पटवारी को पकड़ लीजिए. मार्च के महीने में पेपर होता है. पेपर देकर आए उम्मीदवार सकते में थे. उनका कहना था कि पेपर टफ बनाया गया था. और 140-150 से ज्यादा कोई ला नहीं पाएगा. ऐसा तैयारी करने वाले लड़कों का कहना था, हो सकता है उनकी तैयारी थोड़ी कच्ची हो. लेकिन 30 जून को जब रिजल्ट आया तो बहुतों की समझ से सबकुछ परे था. किसी के 183 नंबर आए तो किसी के 164. लेकिन टॉपर्स में एक चीज़ कॉमन थी. एग्जाम सेंटर. जी हां. आरोप लगे कि एक ही एग्जाम सेंटर पेपर देने वाले टॉप कर रहे हैं.

एक ही एग्जाम सेंटर से सब टॉपर कैसे?

रिजल्ट की घोषणा के बाद से ये आरोप लग रहे थे कि ज्यादातर टॉपर वो हैं जिन्होंने ग्वालियर के एक एग्जाम सेंटर में परीक्षा दी थी. इस पर शक तब और गहराया जब मंडल की तरफ से टॉपर्स की लिस्ट ही जारी नहीं की गई. छात्रों ने मांग की कि टॉपर लिस्ट जारी हो और किसने कहां पेपर दिया है ये भी बताया जाए.

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आखिरकार, 10 जून को टॉपर लिस्ट जारी की जाती. और जिस बात पर शक था वो पुख्ता होती चली जाती है. पूजा शर्मा, रिंकू सिंह गुर्जर, पूनम रजावत, कृष्णा कुशवाहा, पूजा रावत, मधुलता गढवाल, राम नरेश सिंह गुर्जर, आकाश शर्मा, कृष्ण कुमार पटेल, अंकिता मीणा. ये टॉपर्स के नाम हैं एक से दस तक. लेकिन इसमें एक पेंच है. आरोप है कि रिंकू सिंह, राम नरेश गुर्जर, कृष्ण कुमार पटेल को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी टॉपर्स ने ग्वालियर के एक ही कॉलेज में परीक्षा दी थी. कॉलेज का नाम है- NRI कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट. टॉप करने वाली पूजा के 183.36 नंबर हैं. और 10वें नंबर पर अंकिता मीणा के 174.88. दोनों ने ही NRI कॉलेज में ही एग्जाम दिया था.

 

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यहां सवाल ये उठता है कि क्या वाकई ऐसा संभव है कि एक ही एग्जाम सेंटर में परीक्षा देने वाले ज्यादातर लोग टॉप कर जाएं? क्या ये सब कुछ पहले से तय था? क्या एग्जाम से पहले ही सेटिंग कर ली गई थी कि किसकी टॉप कराना है और जिसको-जिसको टॉप कराना है उन सभी को एक ही एग्जाम सेंटर में परीक्षा दिलवाई जाए. 

हिंदी में दस्तखत

सोशल मीडिया पर इन टॉपर्स के रिजल्ट के साथ-साथ एडमिट कार्ड शेयर किए जा रहे हैं. इस एडमिट कार्ड को देखेंगे तो आपको हैरानी होगी. आम तौर पर लोग इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनके सिग्नेचर कोई दूसरा ना बना पाए. कुछ लोग जानबूझकर अपने दस्तखत में कारस्तानी भी करते हैं. हमारी शिक्षा और नौकरी में अंग्रेजी को मिलने वाली अहमियत की वजह से ज्यादातर लोग अंग्रेजी में ही दस्तखत करते हैं. कम ही लोग ऐसे हैं हिंदी को तवज्जो देते हुए इस भाषा में साइन करते हैं. और इनमें से शायद विरले ही होंगे तो हिंदी में सीधे शब्दों में अपना नाम लिखकर साइन करते हैं. लेकिन एमपी में हुई इस परीक्षा में टॉप करने वाले ऐसे हैं जो हिंदी में अपने साइन बनाते हैं. वो भी सीधे और साफ शब्दों. जैसे पूजा, कृष्णा, रिन्कू, मधुलता, अंकिता शर्मा.

 

सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे स्क्रीनशॉट्स.

इस परीक्षा में शामिल हुए मध्यप्रदेश के अभ्यर्थी अब इस बात पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि कि क्या वाकई में ये टॉपर ऐसे ही साइन करते हैं या जानबूझकर हिंदी में सीधे शब्दों में दस्तखत किए गए हैं ताकि कोई भी ऐसे ही साइन बना सके और परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर सके.

आंसर की में सवालों के गलत जवाब

दी लल्लटॉप ने जब सोशल मीडिया पर लोगों से पूछा कि एमपी में पटवारी परीक्षा को लेकर उनकी क्या शिकायत है तो बहुतेरे लोगों ने आंसर की पर सवाल उठाए. दरअसल, किसी भी एग्ज़ाम के बाद 'आंसर की' में प्रश्न पत्र के जवाब बताए जाते हैं. आंसर की जारी होने के बाद परीक्षार्थी उससे अपने पेपर का मिलान करते हैं. लेकिन अगर आंसर की में किसी सवाल में गलत ऑप्शन को सही जवाब बताया गया है तो उसके लिए ऑब्जेक्शन भी डाला जा सकता है. अगर ऑब्जेक्शन सही पाया जाता है तो उन सवालों को हटा दिया जाता है.

इसी पर छात्रों का कहना है कि गलत जवाब होने के बावजूद उन सवालों को नहीं हटाया गया. बल्कि जो सवाल सही थे उन्हें हटा दिया गया. और सही सवाल हटाने से पूरी मेरिट लिस्ट गड़बड़ हो गई. क्योंकि सही सवाल को जब हटाया जाता है तो अभ्यर्थी को पूरा एक नंबर नहीं मिलता. प्रपोर्शनेट मार्क्स मिलते हैं. प्रपोर्शनेट मार्क्स कैसे निकालते हैं उसका फॉर्मूला सरकार ने उदाहरण समेत समझाया है.

मेरिट कटऑफ से सिर्फ 0.63 अंक से चूके कमल पाटीदार बताते हैं कि उन्होंने तीन सवालों के जवाब पर आपत्ति जताई थी. लेकिन उनमें से एक को भी सही नहीं किया गया. कमल का कहना है कि जिन सवालों पर उन्होंने आपत्ति जताई उनको सिंपल गूगल करके सही जवाब खोजा जा सकता है लेकिन परीक्षा कंडक्ट कराने वाली टीम सही जवाब नहीं निकाल पा रही. जबकि सही सवाल को गलत करार दे दिया.

अनारक्षित और आरक्षित में गड़बड़ी

अर्पित पांडे ने परीक्षा दी. उनके नंबर आए 147. वो कहते हैं कि उन्हें अनरिज़र्व्ड कैटेगरी से कई जिलों में पटवारी का पद मिल सकता है. लेकिन उन्हें EWS (आर्थिक तौर पर कमजोर) एमपी शासन पंचायत एंव ग्रामीण विकास विभाग में संविदाकर्मी का पद मिला है. वो कहते हैं कि

कई उम्मीदवारों ने फॉर्म भरते वक्त गलती से संविदाकर्मी के प्रिफरेंस पर क्लिक कर दिया. जिसकी वजह से उन्हें संविदा वाली पोस्ट मिली. लेकिन उन्होंने ये गलती नहीं की थी बावजूद इसके उन्हें संविदाकर्मी का पद दिया गया.

परीक्षा के दिन पकड़ा गया सॉल्वर गैंग

4 अप्रैल को परीक्षा के दिन ग्वालियर में पुलिस ने सॉल्वर गैंग को पकड़ा. लोकल मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक ये सॉल्वर गैंग पेपर सॉल्व करने के 8 से 12 लाख रुपये लेता था. इनका गिरोह कितने शातिर तरीके से काम कर रहा था इसका अंदाजा आप ऐसे लगाइए कि अंगूठे को क्लोन कर देते थे. यानी असली परीक्षार्थी के अंगूठे का प्रिंट लेते थे जिसका इस्तेमाल सॉल्वर एग्जाम सेंटर में करता था.

व्यापमं से जवाब नहीं मिला

इस मामले में हमने मध्य प्रदेश के कर्मचारी चयन मंडल का पक्ष जानने की कोशिश की. लेकिन अब तक मंडल की तरह से कोई बात करने को तैयार रही है. हमने मंडल के PRO को फोन किया. उन्होंने कहा कि वो इस मसले पर बोलने के लिए उपयुक्त नहीं हैं. इस पर डायरेक्टर मैडम से ही जवाब लेना चाहिए. वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर हमने डायरेक्टर को फोन मिलाया तो फोन मिला नहीं. वेबसाइट पर दिए इंक्वायरी के नंबर पर फोन मिलाया तो फोन उठा नहीं. फिर हमने इस एग्जाम की कंट्रोलर हेमलता जी को फोन मिलाया तो सवाल सुनते ही उन्होंने कहा कि डायरेक्टर मैडम का फोन आ रहा है आप बाद में बात करिएगा. इसके बाद हमने PRO जेपी गुप्ता और एग्जाम कंट्रोलर हेमलता जी को कई दफे फोन मिलाया. लेकिन फोन उठा नहीं. हमने बेवसाइट पर बताई गई ईमेल आइडी पर 8 जुलाई को मेल किया था. लेकिन उसका जवाब भी अब तक नहीं आ पाया है. 11 जुलाई को आजतक के संवाददाता इज़हार कर्मचारी चयन मंडल गए थे इसी विषय पर सरकारी पक्ष जानने. लेकिन वो किसी से बात नहीं कर पाए. हालांकि, पांच दिन बाद मध्य प्रदेश सरकार के सूचना विभाग की तरफ से इस पर लिखित जवाब आया है. सरकार का जवाब आप शब्दश: आगे पढ़ सकते हैं.

सरकार का जवाब

- मेरिट लिस्ट में स्थान प्राप्त 8617 अभ्यार्थी कुल 78 परीक्षा केन्द्रों से चयनित हुए है प्रसारित खबरों में उल्लेखित एन.आर.आई. कालेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट ग्वालियर से कुल 114 अभ्यार्थी चयनित हुए है, न की 1000. टॉप 10 में से 7 अभ्यार्थी एन.आर.आई. कालेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट ग्वालियर से विभिन्न तिथियों के पृथक - पृथक पाली में परीक्षा दिए है, यानी इन समस्त का प्रश्न पत्र अलग अलग थे. परीक्षा केंद्र, दिनांक, पाली एवं रोल नम्बर का आवंटन मंडल द्वारा रैंडम प्रक्रिया से किया जाता है.

- अपने प्रवेश पत्र में टॉप 10 में से 6 अभ्यार्थी ने हिंदी में तथा 4 अंग्रेजी में हस्ताक्षर किये हैं. परीक्षा की नियमावली में हस्ताक्षर पर भाषा का बंधन नहीं है, परन्तु अभ्यार्थी के हस्ताक्षर स्पष्ट होने पर ही परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र जारी किया जाता है. टॉप 10 अभ्यार्थी के अंग्रेजी सेक्शन में उन्हें 25 में से 13 से 23 के मध्य अंक मिले हैं.

- परीक्षा की नियम पुस्तिका अनुसार प्रश्नों पर अभ्यार्थियों से आपत्ति प्राप्त होने पर विषय विशेषज्ञों की कुंजी समिति द्वारा पूर्ण परीक्षण कर प्रश्नों को निरस्त करने या विकल्प परिवर्तन करने की अनुशंसा की जाती है.

- कुंजी समिति द्वारा प्रश्नों पर लिया गया निर्णय अंतिम होता है. कुंजी समिति के निर्णय अनुसार ही परीक्षा परिणाम तैयार किया गया है. मंडल द्वारा निर्धारित प्रक्रिया अनुसार परीक्षा समाप्ति उपरान्त आदर्श उत्तर कुंजी का प्रकाशन किया, तत्पश्चात परिणाम के साथ अंतिम उत्तर कुंजी ( कुंजी समिति के अनुशंसायें सहित ) वेबसाइट पर अपलोड की गई है.

- प्रसारित खबरों में उल्लेख किये गए नर्मदा का उद्गम स्थल कहां है, सम्बंधित प्रश्न पर अभ्यार्थियों द्वारा कोई आपत्ति दर्ज नहीं किये गए थे. उत्तर में भोपाल / अनूपपुर विकल्प के साथ कोई प्रश्न टॉप 10 छात्रों ने जिन-जिन पालियों से परीक्षा दिए थे उन प्रश्न पत्रों में नहीं पाया गया.

इस पूरे मामले को हमने दी लल्लनटॉप शो में भी कवर किया. लिंक- 

वीडियो: एमपी के व्यापम घोटाले की पोल खोलने वाले को पुलिस ने क्यों किया गिरफ्तार?

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