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रिवेंज पॉर्न: 'बॉयफ्रेंड ने 10 वेबसाइट पर मेरा वीडियो डाला'

'अपने नग्न शरीर को देखकर मुझे उल्टी आ रही थी.'

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फोटो ट्विटर से साभार फोटो ट्विटर से साभार
नेहा दीक्षित एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो राजनीति और महिलाओं के विषय पर खूब लिखती हैं. ये आर्टिकल उन्होंने अंग्रेजी में लिखा था. उनकी इजाज़त से इसे ट्रांसलेट कर हम आपको पढ़वा रहे हैं. 


 
मद्धिम रौशनी से भरे किचन में आराधना* हल्के-हल्के कुछ गुनगुना रही थी. उसके गीत की आवाज में एक गिरी हुई कड़ाही और टपकते हुए नल की आवाज अल्पविराम लगा रहे थे. वो नींद और चैतन्यता के बीच में थी जब एक बार फिर सुबह 6.15 बजे का अलार्म बजा था. उसने जब उसे स्वाइप कर बंद करने की कोशिश की तो फ़ोन से आवाज़ आई, 'हेलो?' वो अलार्म नहीं, फोन था.
'हेलो? हां, सुलक्षणा? हां, मैं 8 बजे स्टॉप पर मिलूंगी...
हेलो? तुम्हारी आवाज टूट रही है. कैब में बात करते हैं. ओके...'
बाहर अभी अंधेरा था. लेकिन सफ़ेद रौशनी की एक पट्टी सड़क पर जल रही लाइट से किचन में गिर रही थी. वैसे सुबह 6 बजे बाहर की बत्तियां बंद हो जाती थीं. मगर सर्दियों की धुंध में उन्हें देर तक जलाए रखा जाता था. एक महीने पहले ही सामने वाली सड़क पर क्राइम हुआ था. आराधना की तरह वो युवा लड़की भी कॉल सेंटर में काम करती थी. एक बार देर रात की शिफ्ट कर अपने कमरे में लौटते वक़्त रात 2 बजे मोटरसाइकिल से आए दो लड़कों ने उसका यौन शोषण किया था. उसके तुरंत बाद ही वो अपने घर कानपुर के लिए निकल गई थी.
आराधना अपने बिस्तर पर चाय के कप के साथ वापस आई और अपना फ़ोन स्क्रॉल करने लगी. उसके फ़ोन में कुछ मिस्ड कॉल थीं. कुछ उसके सहकर्मियों की, दो चंदौली में रहने वाले भाई की और एक उसकी बेंगलुरु वाली दोस्त अनामिका की, जो उसे नई नौकरी खोजने में मदद कर रही थी ताकि वो नोएडा से निकल सके.
वो अक्सर कैब में बैठकर मिस्ड कॉल पर कॉल बैक किया करती थी. लेकिन मनीष से ब्रेकअप के बाद उसका किसी से बात करने का जी नहीं करता था. वो अकेली रहना चाहती थी, अपनी सारी ऊर्जा बचाकर अपने दिमाग को खाली रखना चाहती थी. वो अब उस लड़के में अपना दिमाग नहीं खपा सकती थी. वो 27 की थी और उसे अगले महीने का किराया भरने के बारे में सोचना था, अपनी मां के लिए इंश्योरेंस लेना था.
जैसे ही आराधना टैक्सी में बैठी, सुलक्षणा ने उसके कान में धीरे से कहा, 'तुमने उसे वीडियो क्यों बनाने दिया?'
'क्या, कौन?' आराधना को समझ नहीं आया.
'अब चुप रहना और रिएक्ट मत करना. ये देखो.' अपना फ़ोन म्यूट कर सुलक्षणा ने एक whatsapp वीडियो खोल दिया जो उसे ऑफिस वाले शशांक ने भेजा था.
आराधना को मानो काटो तो खून नहीं. उसे लगा ये किसी तरह का स्पैम है. जैसे-जैसे वो आगे देखती गई, उसका दिल बैठता गया. अपने नग्न शरीर को देखकर उसे उल्टी आ रही थी. 'मुझे लगा मैं मर जाऊंगी', आज आराधना याद करती है. 'जैसे ही कैब अगले स्टाफर को पिक करने के लिए रुकी, मैं और सुलक्षणा कैब से उतर गए और घर के लिए ऑटो ले लिया.'
* * *
मनीष को आराधना को अपने साथ मूव इन करवाने के लिए काफी मनाना पड़ा था. बस 6 महीने ही तो हुए थे. 'खर्चे बचेंगे और हम साथ में समय भी बिता पाएंगे' मनीष ने कहा था. 'हमारे पास मौका होगा एक दूसरे को जानने का.' आराधना को सभी बातें वाजिब लगी थीं. बस ये फ़िक्र थी कि मां को बुरा लगेगा. लेकिन अब वो बड़ी हो चुकी थी, खुद कमाती थी और जानती थी कि अपने फैसलों के लिए वो खुद जिम्मेदार थी.
ग्रेटर नोएडा में एक कमरे के फ्लैट में दोनों शिफ्ट हो गए. काम भर का सस्ता-मद्दा फर्नीचर भी खरीद लिया. उस शाम मनीष वाइन की एक बोतल के साथ घर आया. मोमबत्तियां जलाईं. क्या खूबसूरत शाम थी वो. वो सारी रात जग रहे थे. और एक-दूसरे को छुए बिना नहीं रह पा रहे थे.
मनीष ने नया फ़ोन लिया था. वो दोनों उन तस्वीरों में कितने खूबसूरत लग रहे थे. उनकी शरीर एक-दूसरे में घुले हुआ कैसे चमक रहे थे. मनीष के दिमाग में एक आइडिया आया. उसने सेल्फी स्टिक में फोन लगाया और एक बड़े से आईने के ऊपर उसे रख उसे गद्दे के पास लगा लिया. फ़ोन वीडियो बना रहा था.
मनीष जब सुबह चाय बना रहा था, दोनों साथ में रजाई में घुसे वीडियो देख रहे थे. 'मुझे बहुत प्यारा लग रहा था, जैसे नशा हो गया था', आराधना ने कहा. मनीष ने उसके फ़ोन पर भी वीडियो भेज दिया. मनीष अक्सर उस रात की बात करता और मैसेज भेजता: 'तुम तैयार हो सीजन 2, 3, 4 के लिए?' आराधना पहले तो हिचकती पर समय के साथ वो खुद इंतजार करने लगी. आराधना कहती है 'वो पल हमारे लिए ख़ास थे.' जब भी दोनों के बीच कोई बहस होती, वो अपनी वीडियो क्लिप देखते. कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे को चूमते और झगड़ा ख़त्म हो जाता.
आराधना के पिता चंदौली में प्राइमरी के टीचर थे. वो अकेली बच्ची थी. जब 6 साल की थी, पिता गुज़र गए थे. मां, जो केवल 10वीं तक पढ़ी थीं, को उनके पति के मरने पर नौकरी दे दी गई थी, सपोर्ट स्टाफ के तौर पर.
आराधना के सपने बड़े थे. ठीक उन्हीं लड़कियों की तरह जिन्हें आप टीवी ऐड में देखते हैं. वो लड़की जो छोटा सा शहर छोड़कर बड़े शहर में जाती है,नौकरी पाती है और एक दिन अपने मां-बाप को फाइव स्टार होटल में लेकर जाती है. दो साल पहले जब वो नोएडा शिफ्ट हुई, उसने एक पीजी लिया. वो रोज न्यूज़पेपर में नौकरियां खोजती. 'मैं तैयार थी कि जो पहली नौकरी हाथ आएगी वो कर लूंगी', आराधना बताती है.
एक दिन वो कॉल सेंटर का इंटरव्यू देने गई और पूरे दिन अपना नंबर आने का इंतजार करती रही. वहीं पर उसकी मुलाकात मनीष से हुई.
* * *
एक साल बाद दोनों साथ में शिफ्ट हुए. आराधना अब टीम लीडर बन गई थी और मनीष अब भी कॉल सेंटर एग्जीक्यूटिव था. 'शुरुआत में मनीष मेरे लिए बहुत खुश था मगर बाद में उसे एक अजीब सा डर खाने लगा', आराधना याद करती है. 'उसके दोस्त उसे चिढ़ाते थे. सिगरेट पीने से पहले बॉस की इजाज़त तो ले लो.'
दोनों ने अपना करियर साथ में शुरू किया था. मगर आराधना को दो साल में दो प्रमोशन मिल गए थे. जबकि मनीष अब भी कंपनी में अपनी पहचान खोज रहा था. 'मैं उससे ज्यादा कमाती थी और मुझे उससे ज्यादा सराहा जाता था. यही बात उसे परेशान करती थी, शायद', वो बताती है.
मनीष आराधना का डेबिट कार्ड अपने खर्चों के लिए यूज करने लगा. शॉपिंग करता, अपने घर पे गिफ्ट भेजता, दोस्तों को बियर पिलाता. आराधना शुरू में सब बर्दाश्त करती रही. लेकिन जल्द ही मनीष के इस बर्ताव से परेशान रहने लगी.' वो अपने दोस्तों के साथ मेरे पैसों से पार्टी करता और मुझे बताता या बुलाता तक नहीं. मुझे ऑफिस के लोगों से बाद में सब पता चलता. ये मेरे लिए अपमान जैसा था.'
पर तब तक मनीष आराधना को मारने लगा था. पहली बार ऐसा तब हुआ आराधना ने उससे किसी पार्टी के बारे में सवाल किया. दूसरी बार तब जब वो अपनी चाबी भूल आया और आराधना शॉपिंग के लिए गई थी. और अगले छह महीनों में ये हिंसा बढ़ती गई. 'वो मुझे किसी भी चीज के लिए मार देता. चाहे वो दाल ज्यादा पकने पर हो या ज्यादा समय तक फोन पर बात करने को लेकर.'
आराधना ने अंत में तय किया कि ब्रेक अप करेगी. मनीष को अच्छा नहीं लगा.
'उसने इस सबका दोष मेरे प्रमोशन को दिया. उसने कहा ये मेरे घमंड की वजह से है कि मैं और मेरी मां सिंगल औरतों की तरह अकेले रहने पर मजबूर हैं', आराधना बताती है. अगले दिन, मनीष ने फ्लैट छोड़ दिया.
* * *
आराधना का फ़ोन लगातार बज रहा था. उसके साथ काम करने वाले अधिकतर लोगों ने उसका वीडियो देख लिया था. वो मनीष को फ़ोन करती रही, मगर उसने फ़ोन उठाया ही नहीं. उस दिन वो ऑफिस में नहीं था. सुलक्षणा ने भी उसे फोन किया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ.
आराधना ने अपनी मां को फ़ोन किया ये जानने के लिए कि क्या उन तक भी खबर पहुंच चुकी है. लेकिन मां को कुछ नहीं मालूम था. मां की मिस्ड कॉल ये बाताने के लिए आई थी कि एक कजिन की शादी होने वाली है
उसने शशांक को फ़ोन किया, जिसने सुलक्षणा को वो वीडियो भेजा था. शशांक ने बताया कि मनीष ने वो वीडियो ऑफिस में सबको भेजा था. साथ में मैसेज था: 'उस चंदू कुतिया को कैसे **: सीजन 1.' उसने बताया कि मनीष ने वीडियो ऑनलाइन भी अपलोड कर दिया था.
'सुलक्षणा ने मुझे ऑनलाइन चेक करने से मना किया लेकिन मैं खुद को रोक नहीं पाई. मैंने वीडियो खोजा. उसे कुछ समय पहले ही डाला गया था. 2 हजार से ज्यादा लोग देख चुके थे. वीडियो कम से कम 10 वेबसाइट पर था और यूट्यूब पर उसका एक कटा हुआ क्लिप था. मुझे नहीं पता था कि उन वेबसाइट तक किस तरह पहुंचना है. उनसे कैसे कहना है कि वीडियो हटा लें.'
आराधना पागलों की तरह रो रही थी. 'मुझे लगा मेरा पूरा जीवन ख़त्म हो गया है. मैं घर के पास वाले नाले में कूदकर मर जाना चाहती थी. सुलक्षणा ने मुझे शांत करवाया. उसने मुझे समझाया कि धीरे-धीरे इस समस्या को सुलझाना होगा.'
सुलक्षणा ने बॉस को फोन कर सब बताया. 'हम खुशनसीब थे कि हमारी बॉस एक औरत थी. उन्होंने कहा कि वो शाम को मेरे घर आकर बात करेंगी.'
आराधना के दिमाग में तरह-तरह के ख़याल आ रहे थे: 'मैंने किराए पर मकान लेने के लिए मकान मालिक को कहा था कि हम शादीशुदा हैं. क्या वो अब मुझे रंडी बुलाएंगे? घर में जो चाचा लोग मेरे दिल्ली आने के खिलाफ थे, वो क्या कहेंगे? मेरी मां का क्या जो हमेशा मेरे फैसलों की तरफदारी करती आई हैं. मैं ऑफिस वालों को क्या मुंह दिखाऊंगी? मुझे नौकरी से तो नहीं निकाल देंगे?'
'मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मनीष मेरे साथ ऐसा करेगा. जिससे आपने कभी प्रेम किया हो उसके लिए इतनी बुरी भावना कैसे रख सकते हैं. इतनी नफरत? वो भी तब, जब उसको मालूम था कि उसके साथ रिलेशनशिप में होना, उसके साथ एक ही घर में रहना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. '
आराधना मनीष को फ़ोन करती रही. और कुछ समय बाद मनीष का फ़ोन ही ऑफ आने लगा. आराधना और सुलक्षणा मनीष के दोस्त के घर गईं, जहां वो पिछले 3 महीनों से रह रहा था. कमरे में ताला पड़ा हुआ था. पड़ोसियों ने बताया कि लोगों से पिछले कुछ दिनों से किसी को आते-जाते नहीं देखा.
दोनों घर वापस आ गईं. दोपहर तक उनकी बॉस भी आ गई थी. उनकी बॉस अंकिता 8 साल से कंपनी में काम कर रही थी. वो 30 से ज्यादा उम्र की, समझदार और संवेदनाओं वाली महिला थी. 'मैं अंकिता से बता ही नहीं पाई मेरे साथ क्या हुआ है. मुझे इतनी शर्म आ रही थी. खैर, सब कुछ जानने के बाद अंकिता ने कहा कि मुझे शर्मिंदा महसूस करने की कोई जरूरत नहीं है. जिस व्यक्ति से आप प्रेम करते हों उस पर भरोसा करना कोई गलत बात नहीं है. ये सुनकर मुझे बेहतर महसूस हुआ. सच बताऊं, मुझे मेरी नौकरी बचाने से ज्यादा आवश्यक कुछ नहीं लग रहा था.'
अंकिता ने बताया कि दो साल पहले भी कंपनी में ऐसा ही कुछ हुआ था. उसने बताया कि ऐसे दिन देखने वाली आराधना पहली औरत नहीं है. उसे खुद को मजबूत रखना होगा और इससे लड़ना होगा.
अंकिता ने कंपनी वकील को फ़ोन किया. वकील ने एक पुलिस स्टेशन पर मिलने को कहा. 'मैं उस राह पर जाना ही नहीं चाहती थी. पर अंकिता अड़ी हुई थी. उसने कहा उठो और सामना करो.'
* * *
पुलिस स्टेशन में आराधना के ऑफिस की दो लड़कियां बैठी हुई थीं. 'मैंने नहीं सोचा था वो आएंगी. मैं उन्हें ठीक से जानती तक नहीं थी. मैं उनकी आंखों में देख तक नहीं पा रही थी. मगर उन्होंने मेरे कंधे सहला कर मुझे बेहतर महसूस करवाया.'
एक महिला कॉन्स्टेबल ने पूछा क्या हुआ है. सुलक्षणा ने उसे बताया कि इस लड़की का वीडियो इंटरनेट पर लीक कर दिया गया है.
'हूं. वीडियो में ये है या सिर्फ इसका चेहरा?'
'ये है.' अंकिता ने जवाब दिया.
'क्यों?'
'क्यों का क्या मतलब? जो है वो है.' अंकिता ने जवाब दिया. सुलक्षणा और दूसरी लड़कियां डटी रहीं.
'तुम लड़कियां इन सब चीजों में क्यों फंस जाती हो? दिमाग नहीं है क्या तुम्हारे पास?'
आराधना के साथ जो हुआ, उसे रिवेंज पॉर्न कहते हैं. जिसका मतलब होता है बिना अपने पार्टनर की इजाज़त से उसकी सेक्स से जुड़ी तस्वीरों या वीडियो को लीक कर दें. इंडिया में ऐसा कितना होता है, इसका कोई डाटा नहीं है. क्योंकि अक्सर ये केस सामने ही नहीं आ पाते. लेकिन नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक़ 2012 से 2014 के बीच अभद्र तस्वीरों और वीडियो के शेयर दुगने से भी ज्यादा की गति से बढ़े हैं. आराधना जैसे केस इसी केटेगरी के अंदर फाइल होते हैं.
स्टेशन हाउस अफसर के साथ कंपनी की वकील थी. 'मैं खुद को कहीं छिपा लेना चाहती थी', आराधना कहती है. 'दो बार इसी वकील के साथ HR के किसी मसले पर मेरी बहस हो चुकी थी. और आज वो मेरे सामने खड़ी थी. मेरे पिता के उम्र की औरत.'
SHO ने मनीष की तस्वीर और फ़ोन नंबर मांगा. और आराधना से कहा, 'ऐसा दोबारा कभी मत करना. शादीशुदा हो या सिंगल, कभी मत करना. तुम अखबार नहीं पढ़ती हो क्या? तुम्हें मालूम नहीं इन चीजों का कैसे गलत इस्तेमाल किया जाता है?' आराधना और उसके साथी एक लंबे नैतिक भाषण की अपेक्षा कर रहे थे, जो उन्हें नहीं मिला. वकील ने उनसे जाने के लिए कहा और वादा किया कि इस पर एक्शन लिया जाएगा.
अंकिता ने आराधना से वादा लिया कि वो अगले दिन ऑफिस आएगी.
'मैं सारी रात जगती रही. उसे मैसेज करती रही, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. मैं हर 2-3 घंटे पे सारी पॉर्न वेबसाइट चेक करती रहती थी. वीडियो पर आने वाले कमेंट मेरा खून जला रहे थे. मैं खुद से नफरत कर रही थी. मैं शुक्रगुजार हूं सुलक्षणा की जो वो उस रात रुक गई. वरना शायद मैंने अपनी जान ले ली होती.'
अगले दिन एक-दो हिंदी अखबारों में बदले हुए नाम के साथ खबर छपी थी. उसने मुझे तोड़ दिया.
ऑफिस में अंकिता ने आराधना को किसी और प्रोजेक्ट पर नाइट शिफ्ट में काम दे दिया. 'HR मेनेजर ने मुझे बुलाकर लंबा सा भाषण दिया कि मुझे किस तरह अपने परिवार की इज्जत का ख़याल रखना चाहिए था. मैं बहस नहीं करना चाहती थी. अपनी नौकरी बचाने के लिए सब सुनती गई. अपनी इज्जत चले जाने के बाद अपनी नौकरी खो दूं, ऐसा दिन नहीं देखना चाहती थी.'
* * *
तीन महीने बीत चुके हैं. आराधना ने उस दिन के बाद से मनीष को कोई फ़ोन या मैसेज नहीं किया.
मनीष काम पर वापस आया, लेकिन अंकिता ने आराधना को शिकायत करने के लिए मना कर दिया. 'उसने कहा कंपनी में औरतों के अधिकारों के हनन से लड़ने के लिए कोई कमिटी नहीं है. उस पर कोई जरूरी नहीं कि बड़े बॉस तुम्हारी परिस्थिति समझें और इससे तुम्हारी नौकरी जा सकती है.'
मनीष को नॉन-परफॉरमेंस की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया.
जिन 10 वेबसाइट पर वीडियो लगा था, उनमें पुलिस केवल 3 से वीडियो उतरवा पाई. बाकी वेबसाइट पर अब भी वो वीडियो है. 'मुझे नहीं मालूम कि जिन दोस्तों ने मेरा वीडियो देखा था, उन्होंने इसे आगे भेजा या नहीं. अगर पुलिस कुछ नहीं कर पाई तो मैं भी क्या कर लूंगी. मुझे ये समझना ज़रूरी था.'
आराधना की मां पिछले एक महीने से उसके साथ रह रही हैं. इससे आराधना को एक चीज़ में मदद मिलती है-उस पूरे वाकये को दिमाग के किसी कोने में धकेल देने में. 'मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. मैं साइट चेक करती रहती हूं. पहले रोज़ करती थी. अब हफ्ते में 2-3 बार. शुरुआत में तो बस यही करती थी. रोज़ 3-4 बार खोलकर अपना वीडियो चेक करती थी.'
आराधना रिवेंज पॉर्न के बारे में पढ़ती रहती है. उसे मालूम है इंडिया में कई वकील रिवेंज पॉर्न के केस लड़ रहे हैं. लेकिन अभी के लिए वो इससे दूर भाग जाना चाहती है. 'एक दिन जब मेरे पास पैसे होंगे, एक स्थिर नौकरी होगी, मैं इसके बारे में बात करूंगी. लेकिन अभी के लिए ये ठीक नहीं. मुझे समय चाहिए. मैं अपने जीवन को फिर से सुधारना चाहती हूं, उस आदमी के ऊपर समय बर्बाद करने के बजाय.
आराधना को हैदराबाद में नई नौकरी मिल गई है. इस महीने के आखिर में वो शिफ्ट हो रही है.'
*सभी नाम बदले हुए हैं.


ये स्टोरी सबसे पहले डीप लाइव्स पर छपी थी. दी लल्लनटॉप के लिए ये ट्रांसलेशन प्रतीक्षा ने किया है.