गाय को नहीं पता कि वह उनकी मां है. वे कितना भी मां-मां चिल्लाएं, लेकिन गाय को नहीं पता तो नहीं ही पता कि वह उनकी मां है. गाय को केवल कुछ दिनों तक ही पता रहता है कि वह किसी की मां है, लेकिन उन्हें हर समय पता रहता है कि गाय उनकी मां है. दरअसल, गाय जिनकी मां है उनकी भी बहुत दिनों तक मां नहीं रहती. जल्द ही उसके बच्चे बधिया करके या तो बैल बना दिए जाते हैं या किस्मत वाले हुए तो सांड़ बन जाते हैं. दोनों ही स्थितियों में वे किसी के बेटे नहीं रहते. गाय की बेटियां भी जल्दी ही मां बन जाती हैं, लेकिन उसका तो कोई अर्थ नहीं. क्योंकि पावरफुल मां होना तो बेटों की मां होना है. बेटी की मां होने में एक ‘नारीवादी नेटवर्क’ है जो उसे उलझा कर मामूली और अपूज्यनीय बना देता है.
आदमी बैल नहीं है, वह किसी को बेवजह मां नहीं बनाता. बनाता है तो मां बनाने की वह पूरी कीमत वसूलता है. वह इसी भावना से गधे को भी बाप बनाता है.
गाय खुद अपनी किसी भी चीज का इस्तेमाल नहीं करती, लेकिन उसके बेटे गाय से जुड़ी हर बात का इस्तेमाल करते हैं. वे गाय के गोबर से कैंसर दूर करते हैं, गाय के पेशाब से सोना निकालते हैं और गाय की पूंछ से वैतरणी पार करते-करवाते हैं.
उन्हें जिनकी हत्या करनी होती है, वे सबसे पहले उसे मां का अपमान करने वाला साबित करते हैं. अगर उन्माद प्रबल हो तो मरी हुई मां का चमड़ा उतारना भी अपमान हो जाता है. ऐसा करने वाले दलितों को पीटने के लिए जब वे दौड़ रहे होते हैं, तब उनके पैरों में ऐसे ही चमड़े के जूते होते हैं और उनकी पेंट को उतर जाने से ऐसे ही चमड़े की बेल्ट संभाले रहती है.
उन्हें किसी मुसलमान की हत्या करनी हो तो वे पहले उसे गाय खाने वाला घोषित करते हैं, भले ही वह उसे दूध और गोबर के लिए ले जा रहा हो. लेकिन वे उसकी हत्या इसलिए कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने गाय को मां बना लिया है, जबकि गाय को इस रिश्ते के बारे में कोई जानकारी नहीं. अगर वे अपनी सचमुच की मां के नाम पर जिसने उन्हें पैदा किया है, अपने ‘शिकार’ की हत्या करने लगें तो वह उन्हें यह कहते हुए रोक देगी कि जिसे तुम मार रहे हो, वह भी किसी का बेटा है. उसके मर जाने से उसकी मां को भी वैसे ही तकलीफ होगी, जैसे तुम्हारे मारे जाने से मुझे होगी. जैसा कि प्रस्तुत निबंध के प्रारंभ में बताया गया कि गाय इस रिश्ते के बारे में कुछ नहीं जानती और इसलिए ही वह कुछ नहीं कहती... बस सूनी आंखों में आसुंओं की दूकान लिए सब कुछ देखती रहती है. ...और इस तरह आखिरकार गाय एक सुविधाजनक मां साबित होती है. चाहे उसके मांस का दुनिया भर निर्यात कर विदेशी मुद्रा कमाई जाए या विरोधियों और निर्दोषों की हत्या के माध्यम से राष्ट्र की सेवा की जाए. वह कुछ नहीं कहती. ***
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