The Lallantop

पाकिस्तान में बिजली गुल है और सरकार ख़रीद रही है 9,770 करोड़ की लग्ज़री गाड़ियां!

पाकिस्तान में बिजली क्यों जाती रहती है?

Advertisement
post-main-image
पाकिस्तान के PM शहबाज़ शरीफ़ और पावर आउटेज की तस्वीर (India Today)

पाकिस्तान में बत्ती गुल की बड़ी समस्या चल रही है. सोमवार, 23 जनवरी की सुबह पाकिस्तान (Pakistan) के नैशनल पावर ग्रिड में कुछ गड़बड़ी आ गई, जिससे कराची, इस्लामाबाद, लाहौर, पेशावर जैसे सभी बड़े शहरों में लाइट चली गई (Pakistan Power Outage). बिजली के प्लांट्स में बिजली बनती है और पावर ग्रिड पूरे देश के घरों और व्यवसायों तक बिजली पहुंचाता है. इसी में फ़ॉल्ट आ गया था. ऊर्जा मंत्रालय ने ट्वीट किया कि नैशनल ग्रिड की सिस्टम फ्रीक्वेंसी अचानक से कम हो गई और इस वजह से बिजली व्यवस्था में रुकावट आई. नागरिकों को आश्वासन दिया कि सिस्टम मेंटेनेंस का काम तेज़ी से चल रहा है.

Advertisement
गर्क में अर्थव्यवस्था, सरकार ख़रीद रही गाड़ियां

फ़्रिक्वेंसी का चक्कर भी सप्लाई-डिमांड जैसा ही होता है. अगर कंज़म्पशन ज़्यादा है, तो सप्लाई भी उतनी ही चाहिए. बैलेंस के लिए डिवाइसेज़ होती हैं, लेकिन वो एक हद तक ही काम कर सकती हैं. एक तय फ़्रिक्वेंसी तक लोड संभल जाता है, लेकिन फ़्रिक्वेंसी ज़्यादा गिर जाए, तो एक के बाद एक पावर प्लांट्स बंद होने लगते हैं. ये समझें कि एक लड्डू हद से हद कितने लोगों में बंट सकता है? जितने ज़्यादा लोग होंगे उतने ज़्यादा लड्डू चाहिए. यही पाकिस्तान में भी हुआ. डिमांड ज़्यादा है और सप्लाई कम.

बिजली मंत्री ख़ुर्रम दस्तगीर ने जियो टीवी चैनल को बताया कि देश के दक्षिणी हिस्से में जमशोरो और दादू शहरों के बीच फ्रीक्वेंसी घटने की सूचना मिली थी.

Advertisement

पाकिस्तान लंबे समय से बिजली की कमी से जूझ रहा है. और अनुमान हैं कि ये स्थिति कई सालों तक रह सकती हैं. जून 2022 में भी ऐसा ही पावर आउटेज हुआ था. पाकिस्तान के कई न्यूज़ संगठनों ने रिपीट किया था कि जून, 2022 की शुरुआत में कराची में 15-15 घंटों तक लाइट नहीं आती थी. लाहौर और बाक़ी बड़े शहरों के भी यही हालात थे.

एक तरफ़ तो घर में बत्ती नहीं है. रिपोर्ट्स ये भी हैं कि देश अपने सबसे ख़राब आर्थिक संकट से गुज़र रहा है और वित्तीय पतन की कगार पर है. बावजूद इसके, पाकिस्तान की सरकार 2200 लग्ज़री गीड़ियों और हाई-एंड इलेक्ट्रिक वाहनों का आयात कर रही है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक़, देश में डॉलर की भारी कमी है और उनके रिज़र्व में 5 बिलियन डॉलर से भी कम है, जो बमुश्किल तीन हफ़्ते चल सकता है. ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी सरकार ने गाड़ियों के आयात पर 1.2 बिलियन डॉलर यानी 9,770 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं.

अगले हफ़्ते से ही पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बीच गिरते विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर बातचीत शुरू होनी है और अब ये रिपोर्ट आई है. रिपोर्ट के आने के बाद से ही पाकिस्तान में सरकार की नीतियों को लेकर चिंताएं हैं, कि एक तरफ़ सरकार औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में आयात रोक रही है और दूसरी ओर लग्ज़री कारों पर मोटा पइसा ख़र्च कर रही है.

Advertisement

वीडियो: पाकिस्‍तान में बिजली संकट, गुस्‍साए लोगों ने क्‍या बताया?

Advertisement