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वो कौन सा ऐड था, जिसके चक्कर में महान एक्टर श्रीराम लागू का डॉक्टरी लाइसेंस कैंसिल हुआ था?

लोग कह रहे हैं कि जैसे उनका लाइसेंस कैंसिल हुआ, वैसे ही बाबा रामदेव की कोरोनिल का प्रचार करने वाले डॉ हर्षवर्धन का भी होना चाहिए.

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बीते कुछ दिनों से लगातार रामदेव बाबा ने एलोपैथी दवाओं और एलोपैथी डॉक्टरों के खिलाफ बयान बाज़ी की. इन्हीं सब के बीच बॉलीवुड और मराठी जगत के दिग्गज कलाकार श्रीराम लागू का नाम भी लोग घसीट लाए हैं.
बीते कई दिनों से बाबा रामदेव के बयानों और उनके वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. एलोपैथी दवाईयों और एलोपैथी डॉक्टरों को लेकर रामदेव की विवादित टिप्पणी के ऊपर एक्शन की मांग भी हो रही है. इन्हीं सब के बीच बॉलीवुड और मराठी जगत के दिग्गज कलाकार श्रीराम लागू का नाम भी लोग घसीट लाए हैं. सौ से अधिक हिंदी और मराठी फिल्मों में काम कर चुके श्रीराम का ज़िक्र किसी फिल्म या नाटक के लिए नहीं बल्कि उनके डॉक्टरी लाइसेंस के लिए हो रहा है.
शुरू से शुरू करते हैं. पतंजलि ने जून 2020 में कोरोनिल लॉन्च किया था. उस समय इसे कोरोना वायरस संक्रमण की दवा बताया था. बाद में दवा पर जानकारों ने सवाल उठाए, तो कंपनी ने इसे ‘इम्यूनिटी बूस्टर’ बताया था. 19 फरवरी 2021 को कोरोनिल रीलॉन्च हुआ. इस दौरान केंद्र सरकार के दो बड़े मंत्री नितिन गडकरी और हर्षवर्धन भी मौजूद थे. फिर शुरू हुआ बयानबाज़ी का सिलसिला इसके बाद लगातार रामदेव ने एलोपैथी दवाओं और एलोपैथी डॉक्टरों के खिलाफ बयानबाज़ी की. उन्होंने एलोपैथी दवाओं को ‘तमाशा’. ‘बेकार’ और ‘दिवालिया’ कह दिया. इस पर खूब बवाल हुआ. कई मेडिकल एसोसिएशन और संस्थानों ने भी रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें बाबा रामदेव एक हज़ार डॉक्टर्स के मर जाने का मज़ाक उड़ाते दिखे. डॉक्टर हर्षवर्धन भी लपेटे में अब जनता में इसी बात को लेकर आक्रोश है. लोगों का कहना है कि रामदेव बाबा के बयानों के लिए उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. सिर्फ यही नहीं कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी बाबा रामदेव की कोरोनिल जैसी दवाओं का प्रचार-प्रसार किया था. इसलिए उनपर भी एक्शन लिया जाना चाहिए. साथ ही उनका डॉक्टरी लाइसेंस भी कैंसिल करना चाहिए. श्रीराम लागू को लोग क्यों घसीट लाए? इसमें कोई दो-राय नहीं कि श्रीराम लागू एक बेहतरीन कलाकार थे. उन्होंने कई दशकों तक अपनी एक्टिंग से लोगों का मनोरंजन किया. लेकिन एक्टिंग फील्ड के साथ-साथ लागू एक डॉक्टर भी थे. पुणे से मेडिकल की पढ़ाई की थी. फिर प्रैक्टिस. 3 साल तक सात समंदर पार तंज़ानिया (अफ्रीका) के मशहूर नाक कान गला (ENT) रोग विशेषज्ञ भी रह चुके थे. मगर एक दिन 42 साल के बाद उन्होंने डॉक्टरी छोड़ दी. उन्होंने अपना रुख फिल्मों और थिएटर्स की तरफ पूरी तरह कर लिया. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि श्रीराम लागू का डॉक्टरी लाइसेंस कैंसिल हुआ था. जिसकी वजह बना था एक च्यवनप्राश का विज्ञापन. पहले आप वो ऐड देखिए.
यही वो विज्ञापन है जिसे लेकर उन दिनों खूब विवाद हुआ था.
यही वो विज्ञापन है जिसे लेकर उन दिनों खूब विवाद हुआ था.

ये विज्ञापन 1980 के दशक का है. आउटलुक मैगज़ीन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस साल इस विज्ञापन को लेकर खूब बवाल हुआ. हंगामे के बाद मेडिकल काउंसिल द्वारा नैतिक आधार का हवाला देते हुए डॉक्टर के रूप में श्रीराम लागू का पंजीकरण रद्द कर दिया गया. अब लोग इसी वाकये का उदारण देते हुए ट्विटर पर डॉक्टर हर्षवर्धन का लाइसेंस कैंसिल करने की मांग कर रहे हैं.
तो क्या सच में श्रीराम लागू का पंजीकरण रद्द हुआ था? इस बात की पुष्टि उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में की थी. एक्ट्रेस तब्बसुम के साथ 'तब्बसुम टॉकीज़' के एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अब वो डॉक्टर नहीं रहे. ये वीडियो ब्लैक एंड व्हाइट ज़माने का है. इसमें एक्ट्रेस तब्बसुम, श्रीराम लागू से पूछती हैं कि वो लोगों को बताएं कि किस चीज़ के डॉक्टर हैं. इस पर लागू कहते हैं-
''तब्बसुम जी फिलहाल तो मैं किसी भी किस्म का डॉक्टर नहीं हूं. एक ज़माने में मैं डॉक्टर था. नाक-कान का इलाज किया करता था.''
अपने एक पुराने इंटरव्यू में भी जब श्रीराम लागू से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा था,
''मैं चिंतित होता अगर मुझे अभिनय से प्रतिबंधित कर दिया जाता...''
ट्विटर पर लोग क्या मांग कर रहे हैं? कुल जमा बात ये है कि ट्विटर पर लोग भड़के हुए हैं. डॉक्टर श्रीराम लागू का हवाला देकर बाबा रामदेव और डॉक्टर हर्षवर्धन पर निशाना साध रहे हैं. एक यूज़र ने लिखा,
''डॉक्टर श्रीराम लागू का मेडिकल लाइसेंस कैंसिल कर दिया गया था क्योंकि वो डाबर च्यवनप्राश के एक ऐड में दिखाई दिए थे. क्यों नहीं डॉक्टर हर्षवर्धन का लाइसेंस भी कैंसिल कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने पतंजली की कोरोनिल का प्रचार किया था?''

एक ने लिखा,
''डाक्टर श्रीराम लागू की डिग्री चली गयी थी (डाबर च्यवनप्राश का प्रचार करके). रामदेव के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं? कोरोना वॉरियर्स माई फुट. बस इतना ही सम्मान है दूसरों की रक्षा में जान देने वालों का?''

 
एक ने लिखा,
1980 के दशक में मशहूर अभिनेता डॉ. श्रीराम लागू ने एक च्यवनप्राश के लिए विज्ञापन किया था. इसके कारण MCI ने नैतिक आधार पर डॉक्टर के रूप में उनका पंजीकरण रद्द कर दिया. 2021 में, एक डॉक्टर कोरोनिल जैसी चीजों को बढ़ावा देते हैं और उन पर कोई कारवाई भी नहीं होती.

रामदेव ने एलोपैथी को लेकर क्या बयान दिया था? बाबा रामदेव ने वायरल वीडियो में कहा था,
“गजब का तमाशा है, एलोपैथी एक ऐसी स्टुपिड और दिवालिया साइंस है कि पहले क्लोरोक्वीन फेल हुई, फिर रेमडेसिविर फेल हो गई, फिर एंटीबायोटिक फेल हो गए, फिर स्टेरॉयड फेल हो गए. फिर प्लाज्मा थेरेपी के ऊपर भी कल बैन लग गया. और बुखार के लिए जो दे रहे हैं फैबीफ्लू, वह भी फेल है. ये तमाशा हो क्या रहा है.”
स्वास्थ्य मंत्री ने भी रामदेव के बयान पर आपत्ति जताते हुए उन्हें पत्र लिखा था. इसी के जवाब में बाबा रामदेव ने चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने कहा था,
''हम आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और एलोपैथी के विरोधी नहीं हैं. हम मानते हैं कि जीवन रक्षा प्रणाली और शल्य चिकित्सा के विज्ञान में एलोपैथी ने बहुत प्रगति की है. मानवता की सेवा की है.''
ये ठीक है कि लोगों को अपना पक्ष रखने का पूरा हक है. लेकिन आम जनता की हमारी और आपकी जान बचाने में लगे हुए स्वास्थ्य कर्मियों का उत्साह कम नहीं होना चाहिए. बात बस देश के उन तमाम डॉक्टर्स की है जो करोड़ों लोगों की जान बचाने में लगे हुए हैं. श्रीराम लागू की फिल्में श्रीराम लागू की फिल्मों की बात करें तो उन्होंने 'पिंजरा', 'सामना', 'कलाकार', 'एक दिन अचानक', 'लावारिस', 'दो और दो पांच', 'आंखें', 'खुद्दार', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'मवाली', 'घर द्वार', 'सम्राट', 'राज', 'मकसद' जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया था.