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'अमेरिका ने तख्तापलट करवाया’, शेख हसीना ने अमेरिका पर क्या आरोप लगाए?

शेख हसीना ने देश के हालात के लिए सीधे तौर पर अमेरिका को दोषी बताया है. और चर्चा में है सेंट मार्टिन आइलैंड. क्या है इस आइलैंड का इतिहास?

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Sheikh Hasina

शेख हसीना ने बांग्लादेश में तख्तापलट के लिए अमेरिका को ज़िम्मेदार ठहराया है. उनकी कथित चिट्ठी के हवाले से ख़बर चल रही है कि अमेरिका, बांग्लादेश के सेंट मार्टिन आइलैंड पर मिलिटरी बेस बनाना चाहता था. लेकिन शेख हसीना ने इसकी इजाज़त नहीं दी. अगर शेख हसीना ये आइलैंड अमेरिका को दे देतीं तो वो सत्ता में बनी रहतीं.

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ये पहली बार है जब शेख हसीना, देश के हालात के लिए सीधे तौर पर अमेरिका को दोषी बता रही हैं. इसके पहले वो अमेरिका पर इशारों में आरोप लगाती थीं, जैसे मई 2024 में हसीना ने दावा किया था कि बांग्लादेश को तोड़कर एक ईसाई मुल्क बनाने की साज़िश चल रही है. एक गोरी चमड़ी वाले विदेशी ने उन्हें आसानी से चुनाव जीतने का ऑफर दिया था, बदले में वो बांग्लादेश में मिलिटरी बेस बनाना चाहता था. उस समय शेख हसीना ने किसी देश का नाम तो नहीं लिया था. लेकिन शक की सुईं अमेरिका पर ही गई थी. पर अब आरोप खुल्लम खुल्ला अमेरिका पर लगे हैं. और चर्चा में है सेंट मार्टिन आइलैंड.

जानकार कहते हैं कि अगर इस आइलैंड पर अमेरिकी मिलिटरी बेस बनता है तो बंगाल की खाड़ी पर सीधे अमेरिका का प्रभाव बढ़ जाएगा. ये चीन के लिए ख़तरे की घंटी होती ही साथ में भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता था.
ये तो हुई अमेरिका की बात. बांग्लादेश से एक और बड़ी ख़बर आई है. वहां की अंतरिम सरकार ने हिंदुओं पर हमले की लिए माफ़ी मांगी है. शेख हसीना के देश से भागने के बाद देश में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक पर हमले हो रहे थे. आइए समझते हैं.

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सेंट मार्टेन आइलैंड की पूरी कहानी क्या है?
अमेरिका यहां मिलिटरी बेस क्यों बनाना चाहता है?
और बांग्लादेश की सरकार माफ़ी क्यों मांगी?

शुरुआत आरोपों से ही करते हैं. सबसे पहले ये ख़बर 11 अगस्त को इकोंमिक टाइम्स अखबार ने सूत्रों के हवाले चलाई. फिर ख़बर ये भी चली कि सेंट मार्टिन आइलैंड पर अमेरिकी कब्ज़े वाली बात शेख हसीना की एक कथित चिट्ठी में भी लिखी थी. दावा किया गया कि ये चिट्ठी शेख हसीना ने देश छोड़ते समय लिखी थी.  इन सब ख़बरों में सेंट मार्टिन आइलैंड केंद्र पर है. सबसे पहले इसे बारे में जान लेते हैं.

कहां है ये आइलैंड?

बंगाल की खाड़ी में. बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार ज़िले में ज़मीन की एक पतली सी पट्टी समंदर में दाखिल होती है. यही पड़ता है टेकनाफ का इलाका. तीन ओर से बंगाल की खाड़ी से घिरे इस इलाके को कहते हैं कॉक्स बाज़ार टेकनाफ प्रायद्वीप. ये इलाका बांग्लादेश के सबसे दक्षिण पूर्वी छोर पर है. एक तरह से बांग्लादेश यहां खत्म ही हो जाता है. और म्यांमार शुरू हो जाता है. लेकिन इस प्रायद्वीप के छोर से 9 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में ज़मीन का एक और टुकड़ा है, जो बांग्लादेश की हद में पड़ता है. यही है सेंट मार्टिन आइलैंड. क्षेत्रफल महज़ 3 वर्ग किलोमीटर. लेकिन ज़मीन तो ज़मीन होती है. जब भाई भाई लड़ सकते हैं, तो देश कैसे पीछे हटेंगे. सो सैंट मार्टिन के लिए म्यांमार और बांग्लादेश भी उलझ चुके हैं. इस वाकये का ज़िक्र हम आगे करेंगे.

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मार्टिन
सेंट मार्टिन आइलैंड (साभार-गूगल मैप) 



पहले सेंट मार्टिन चलते हैं. यहां की आबादी 7 हज़ार के आस पास है. ज़्यादातर लोग समुद्र से मछली पकड़ते हैं. चावल और नारियल की खेती भी यहां होती है. इसलिए इस आइलैंड का एक नाम नारिकेल जिंजरा भी है. जिसका मतलब होता है कोकोनट आइलैंड. यहां के लोग समुद्र से शैवाल की कटाई भी करते हैं. फिर उन्हें सुखाकर म्यांमार निर्यात कर दिया जाता है.

इसके अलावा यहां के लोगों की कमाई का एक बड़ा ज़रिया टूरिज़म भी है. आइलैंड पर सुंदर बीच हैं. यहां के उथले समंदर में कई तरह की नायाब मछलियां और कछुए पाए जाते हैं. इसके अलावा यहां प्राचीन बौद्ध बस्तियां और ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान बनाए गए घर हैं. इन्हीं खूबियों की वजह से इसे ‘पीस ऑफ़ हेवन ऑन अर्थ’ भी कहा जाता है. माने ज़मीन पर जन्नत का एक टुकड़ा.

इतिहास क्या है?

हज़ारों साल पहले ये टेकनाफ वाली पट्टी से जुड़ा हुआ था. लेकिन ज़मीन ज़्यादा उंची नहीं थी. कुछ-कुछ रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच वाली स्थिति थी. समय के साथ टेकनॉफ को सेंट मार्टिन से जोड़ने वाली ज़मीन समुद्र में डूब गई. और इस तरह ये बांग्लादेश के मेनलैंड से अलग हो गया.

18वीं सदी में अरब व्यापारियों ने इसे पहली बार बसाया. अरबों ने इसका नाम जज़ीरा रखा. इसका मतलब द्वीप होता है.
19 वीं शताब्दी में अंग्रेजों का यहां कब्ज़ा हुआ. यहां से द्वीप को नया नाम मिलता है. नाम सेंट मार्टिन ही क्यों रखा गया, इसके पीछे दो थ्योरी हैं. पहली तो ये कि अंग्रेजों ने इसका नाम सेंट मार्टिन नाम के एक ईसाई पादरी के नाम पर रखा. दूसरी थ्योरी ये है कि उस ज़माने में चटगांव के डिप्टी कमिश्नर होते थे मार्टिन साहब. उनके नाम पर आइलैंड को सेंट मार्टिन आइलैंड कह दिया गया.

1947 तक ये आइलैंड ब्रिटिश इंडिया का हिस्सा रहा. फिर विभाजन हुआ. और ये द्वीप पाकिस्तान के हिस्से आया. साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान जब बांग्लादेश बन गया, तो द्वीप बांग्लादेश का हो गया. पर म्यांमार भी इसपर अपना दावा जताता रहता है.

क्यों? क्योंकि ये आइलैंड हो भले बांग्लादेश में, लेकिन बगल में म्यांमार के है. म्यांमार के लोग अक्सर आइलैंड पर अवैध रूप से पहुंच जाते थे. यहां रहने वाले बांग्लादेशी मछली पकड़ने जाते तो म्यांमार की सेना उनपर हमला कर देती. टाइमलाइन जान लीजिए, 

- 7 अक्टूबर 1998. सेंट मार्टिन तट के पास म्यांमार की सेना ने 5 बांग्लादेशी मछुआरों की हत्या कर दी.
- 20 अगस्त साल 2000. 4 बांग्लादेशी मछुआरों की हत्या हुई. आरोप म्यांमार की सेना पर लगे.

ये विवाद 2000 के दशक में इतना बढ़ा कि बांग्लादेश इसको लेकर इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर दी लॉ ऑफ़ दी सी लेकर चला गया. ये यूनाइटेड नेशंस के अंडर काम करने वाली संस्था है. जो समुद्र से जुड़े मामलों का निपटारा करती है. साल 2012 में इसने बांग्लादेश के हक पर फैसला सुनाया. इस तरह इस आइलैंड पर बांग्लादेश का पक्ष और मज़बूत हुआ.  

इसके बाद भी ये आइलैंड दोनों देशों के बीच विवाद का कारण कैसे बना रहा?

- 2018 में म्यांमार ने देश का एक नया नक्शा जारी किया. इसमें सेंट मार्टिन आइलैंड को म्यांमार का हिस्सा बताया गया. फिर बांग्लादेश ने इसपर आपत्ति जताई तो म्यांमार ने कहा ऐसा गलती से हुआ है.

- म्यांमार में रोहिंग्या मुसलामानों का नरसंहार किया गया. वो भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश पहुंचे. पर एक समय के बाद सीमा पर रखवाली तेज़ कर दी गई. रिपोर्ट्स बताती हैं कि रोहिंग्या बांग्लादेश में अवैध रूप से घुसने के लिए इस आइलैंड का इस्तेमाल करते हैं. वो नाव के सहारे पहले मार्टिन आइलैंड आते हैं फिर बांग्लादेश जाते हैं.

- इसके अलावा म्यांमार की मिलिटरी हुंटा पर इस आइलैंड में अस्थिरता पैदा करने के आरोप भी लगे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक म्यांमार की हुंटा सरकार इस आइलैंड के पास अपने जहाज़ भेजता है. जिससे इलाके में टेंशन बढ़ने के आसार रहते हैं.

पर बात सिर्फ म्यांमार तक सीमित नहीं है. ये आइलैंड बांग्लादेश की घेरलू राजनीति में भी चर्चा का विषय रहा है.
शेख हसीना ने पहले कई बार विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) पर आरोप लगाया है कि वो अमेरिका को ये आइलैंड बेच देंगे. ताकि उन्हें चुनाव में समर्थन मिल सके.
पर अमेरिका हमेशा ऐसे दावों का खंडन करता आया है. साल 2003 में बांग्लादेश में तत्कालीन अमेरिकी दूत मैरी एन पीटर्स ने कहा था अमेरिका सेंट मार्टिन आइलैंड पर कोई भी मिलिटरी बेस नहीं बनाना चाहता न ही अमेरिका को इसमें रूचि है.
आज हम इसकी चर्चा क्यों कर रहे हैं?
जैसे शुरू में बताया, शेख हसीना ने आरोप लगाया है कि अमेरिका यहां मिलिटरी बेस बनाना चाहता था. लेकिन उन्होंने इसकी इजाज़त नहीं दी तो अमेरिका ने देश में तख्तापलट करा दिया.
अमेरिका ने इसपर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन जैसे ही मामला तूल पकड़ने लगा तो शेख हसीना के बेटे सजीब वाज़िद जॉय की प्रतिक्रिया आ गई. उन्होंने दावा कर दिया कि शेख हसीना ने अमेरिका पर दबाव वाली बात नहीं कही है.


सजीब, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से आवामी लीग और शेख हसीना पर लगातार प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. कई बार उनके नए बयान पिछले बयानों से मेल खाते नहीं दिखे. उदाहरण के लिए उन्होंने तख्तापलट के बाद कहा था कि शेख हसीना की बांग्लादेश में कभी वापसी नहीं होगी. इस बयान के 3 दिन बाद ही उन्होंने कहा कि आवामी लीग के बिना बांग्लादेश का भविष्य सुरक्षित नहीं है. शेख हसीना की वापसी ज़रूर होगी. इसलिए सजीब के खंडन के बाद भी सवाल तो उठ ही रहे हैं.

अमेरिका को यहां मिलिटरी बेस बनाकर क्या फायदा होगा?

बंगाल की खाड़ी में अमेरिका का सीधा प्रभाव हो जाएगा. साउथ चाइना सी और हिंद महासागर में चीन अपना दबदबा बढ़ा रहा है. जानकार कहते हैं कि अगर अमेरिका यहां मिलिटरी बेस बना लेता है तो वो यहां से सीधे चीन को काउंटर कर सकेगा.

अब बांग्लादेश से जुड़ा दूसरा अपडेट जान लेते हैं.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हिंदुओं पर हमले के लिए माफ़ी मांगी है. दरअसल शेख हसीना के देश से भागने के बाद हिन्दू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले हुए थे. इसपर भारत और अमेरिका ने भी चिंता ज़ाहिर की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाल रहे एम सखावत हुसैन ने सरकार की तरफ से माफ़ी मांगी है. कहा है कि हम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में असफल रहे हैं. उन्होंने देश की बहुसंख्यक आबादी से अल्पसंख्यकों की हिफाज़त करने को भी कहा है. साथ ही अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस इस मसले पर हिन्दू छात्र नेताओं से मिलने वाले हैं.
 

वीडियो: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की क्या स्थिति है?

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