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जनरल बिपिन रावत के बाद अगला CDS किसे बनाएगी मोदी सरकार?

हेलिकॉप्टर क्रेश के वीडियो ने क्या राज खोले?

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जनरल बिपिन रावत (फाइल फोटो)
8 दिसंबर को हुए हादसे के सदमे से देश अभी देश बाहर नहीं निकल पाया है. आज भी संसद से सोशल मीडिया तक हादसे पर बात होती रही. हादसे पर दुख जताया जा रहा है और CDS बिपिन रावत और उनके साथ जान गंवाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जा रही है. आज जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत सभी 13 मृतकों के पार्थिव शरीर तमिलनाडु से दिल्ली ला गए. कल हादसे के बाद शवों को वेलिंगटन में आर्मी बेस हॉस्पिटल में रखा गया था. फिर वहां से वेलिंगटन स्थित मद्रास रेजिमेंटल सेंटर में रखा गया था. मद्रास रेजिमेंटल सेंटर में ही आज सुबह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सभी को श्रद्धांजलि दी. दोपहर में सड़क के रास्ते पार्थिव शरीरों को सुलूर लाया गया. इस बीच सड़क के दोनों तरफ लोगों का हुजुम दिखा. एंबुलेंस पर फूल डाले जा रहे थे. लोग जयकारे लगा रहे थे. सुलूर से एयरक्राफ्ट में पार्थिव शरीरों को शाम करीब साढ़े 7 बजे दिल्ली लाया गया. पालम एयरपोर्ट पर. यहीं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे. उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. इससे पहले आज सुबह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में भी हेलिकॉप्टर क्रैश पर बयान दिया. उन्होंने कहा
CDS जनरल बिपिन रावत शेड्यूल्ड विजिट पर थे. वह वेलिंग्टन स्थित डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज जा रहे थे. हेलिकॉप्टर 11 बजकर 48 मिनट पर सुलूर से टेक ऑफ हुआ. इसे वेलिंग्टन में 12:15 बजे लैंड करना था. सुलूर एयर ट्रैफिक कंट्रोल का 12 बजकर 08 मिनट पर हेलिकॉप्टर से संपर्क टूट गया. स्थानीय लोगों ने देखा कि हेलिकॉप्टर में आग लगी हुई है, स्थानीय प्रशासन की तरफ से बचाव दल मौके पर पहुंचा.
उन्होंने आगे बताया
सभी को वेलिंग्टन के मिलिट्री हॉस्पिटल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने 14 लोगों में से 13 को मृत घोषित कर दिया. हादसे में जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह वेलिंग्टन के मिलिट्री हॉस्पिटल में लाइफ सपोर्ट पर हैं. उनकी जान बचाने की कोशिशें जारी हैं. सभी 13 लोगों के पार्थिव शरीर को इंडियन एयरफोर्स के विमान से आज दिल्ली लाया जाएगा. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और अन्य सभी लोगों को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी. इस घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. यह जांच एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अगुआई में की जाएगी. 
8 दिसंबर को एयरफोर्स ने भी क्रैश के तुरंत बाद जांच का ऐलान किया था. लेकिन अब संसद में राजनाथ सिंह ने कहा कि ट्राइ-सर्विस इंक्वायरी होगी. यानी तीनों सेनाओं के अधिकारी मिलकर जांच करेंगे. जांच की कमान होगी एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह के पास. फिर एयरफोर्स की तरफ से ये भी जानकारी आई कि मानवेंद्र सिंह खुद भी पायलट रहे हैं. आज वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने भी कूनुर में क्रैश वाली जगह का दौरा किया. जांच पड़ताल की. हालांकि अब तक कहीं से कोई सुराग नहीं मिला है कि क्रैश कैसे हुआ. क्या गड़बड़ हुई.  एक वीडियो जरूर मिला है. हेलिकॉप्टर के क्रैश होने से बिल्कुल पहले का. कुछ स्थानीय लड़के-लड़कियों अपने मोबाइल से ये वीडियो बनाया. इसमें हेलिकॉप्टर उड़ता हुआ दिख रहा है. लेकिन फिर बादल या धुंध की वजह से हेलिकॉप्टर ओझल हो जाता है. हालांकि हेलिकॉप्टर की आवाज़ आती है. और फिर ज़ोर की आवाज़ आती है. जो लोग वीडियो बना रहे थे उनमें से भी कोई पूछता है कि क्या ये क्रैश हो गया. इस जगह से क्रैश साइट थोड़ी दूर थी, इसलिए आगे कुछ दिख नहीं रहा और वीडियो यहां खत्म हो जाता है. अब इस वीडियो में हेलिकॉप्टर के अलावा हमें क्या दिख रहा है. दिख रहा है कि मौसम सही नहीं है. बादल या कोहरा है. और हेलिकॉप्टर उस कोहरे या बादल के आवरण में घुस जाता है. इसके अलावा ये भी दिखता है कि हेलिकॉप्टर आउट ऑफ कंट्रोल नहीं है. कम से कम इस वीडियो में वो सामान्य तरीके से उड़ता दिख रहा है. स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर ये होता है कि अगर पायलट को आग बादल या फॉग दिख रहा है, यानी विजिबिलिटी नहीं है तो हेलिकॉप्टर का डायरेक्शन या एल्टीट्यूड चेंज किया जाता है ताकि बादल या कोहरे में ना घुसना पड़े. और खासकर जब हेलिकॉप्टर का एल्टीट्यूड कम हो तो पायलट इस वेदर फिनोमिना में घुसने में जाने का रिस्क नहीं लेते हैं. क्योंकि हो सकता है आगे कोई पहाड़ हो, कोई और ऑब्जेक्ट हो और टकराने का खतरा रहता है. हालांकि हेलिकॉप्टर में इलेक्टॉनिक टेरेन मैप होता है, जिसमें जानकारी होती है कि हेलिकॉप्टर किस तरह के इलाके के ऊपर से उड़ रहा है. वीडियो में हेलिकॉप्टर डिक्लाइन पॉजिशन में भी नहीं दिख रहा है. यानी ऐसा भी नहीं लग रहा है कि लैंडिंग के हिसाब से स्पीड कम करके हेलिकॉप्टर नीचे की तरफ उतर रहा हो. और तो फिर इस फोग या क्लाउड में हेलिकॉप्टर को क्यों ले जाया गया होगा. इस बारे में रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन और MI-17 हेलिकॉप्टर उड़ा चुके अमिताभ रंजन कहते हैं कि ऑनबोर्ड कुछ इमरजेंसी रही होगी. कुछ ऐसा रहा होगा कि क्रू को जानबूझकर उस वेदर फिनोमिना में जाना पड़ा होगा. फिलहाल ये सारी बातें अनुमान के दायरे में हैं जो अलग अलग विशेषज्ञ अपने अनुभव के आधार पर लगा रहे हैं. वास्तव में क्या हुआ, ये तो वायुसेना की जांच में ही सामने आएगा. आज हादसे की जगह से ब्लैक बॉक्स रिकवर कर लिया गया है, जिसे ब्लैक बॉक्स हम कहते हैं वो असल में ऑरेंज कलर के दो बॉक्स हैं. एक कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर. और दूसरा डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर. कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर में आखिरी 30 मिनट की सारी बातचीत रिकॉर्ड होती है. जैसे क्रू ने आपस में क्या बात की, या एयर ट्रैफिक कंट्रोल से क्रू की क्या बात हुई. मतलब कॉकपिट में जो भी कनवर्सेशन होगा, सब रिकॉर्ड होगा. ये तो बात हुई वॉइस रिकॉर्डर की. अब दूसरे बॉक्स की बात करते हैं.  डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर. इसमें दो मोड होते हैं- एक कंटिन्यूस वाला और दूसरा ऑन-ऑफ वाला. कंटिन्यूस मोड में ये हेलिकॉप्टर का हर तरह का डेटा रिकॉर्ड करता है जैसे स्पीड, एल्टिट्यूट, इंजन पावर. ये सब. जबकि दूसरा मोड तब ऑन होता है जब हेलिकॉप्टर में कुछ असामान्य घट रहा हो. नॉर्मल से अलग कुछ हो तो वो रिकॉर्ड होता है. ये दोनों बॉक्स हेलिकॉप्टर के टेल में होते हैं. और इन बॉक्सेज़ का इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि बड़े से बड़े क्रैश में ये अमुमन डैमेज नहीं होते हैं. क्रैश के टाइम ब्लैक बॉक्स पहले ही अलग हो जाता है और कई बार क्रैश साइट से कई सौ मीटर दूर मिलता है. जैसे कूनुर वाले क्रैश में भी जब जांच का दायरा 300 मीटर से 1 किलोमीटर किया गया तब ब्लैक बॉक्स मिला. तो जांच रिपोर्ट आने में तो वक्त लगेगा. सरकार के लिए तात्कालिक चिंता ये है कि जनरल रावत की जगह अब कौन? हम लगातार ये कह रहे हैं कि जनरल बिपिन रावत का जाना सिर्फ एक सीडीएस का जाना ही नहीं है. वो उससे कहीं ज्यादा था. सेनाओं में सुधार और आधुनिकिकरण के मामले में एक स्कूल ऑफ थॉट थे. मिलिट्री रिफॉर्म को लेकर कई कवायद उन्होंने शुरू की थी. और इसीलिए जब वो सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए तो उसके अगले ही दिन सीडीएस बन गए. लगा कि पहला सीडीएस चुनने में मोदी सरकार को कोई ज़हमत ही नहीं करनी पड़ी. और अगर उनकी इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में मौत नहीं होती तो 2023 तक सरकार को CDS के लिए सोचना भी नहीं पड़ता. लेकिन अब अचानक जनरल रावत के उत्तराधिकारी की जरूरत पड़ गई. CDS में कोई डिप्टी या वाइस जैसा पद भी नहीं होता है. तो जाहिर है कि कोई नया नाम खोजना पड़ेगा. लेकिन सरकार के लिए ये मुश्किल भरा फैसला होगा. कल जनरल रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश होने के बाद सीसीएस यानी कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी. जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी करते हैं, इस कमेटी ने बैठक की थी. लेकिन बैठक में क्या नए नामों पर चर्चा हुई, ये खबर बाहर नहीं आई. द प्रिंट में स्नेहेश एलेक्स फिलिप की रिपोर्ट के मुताबिक CDS के लिए कोई लिखित नियम नहीं हैं. सिर्फ रिटायरमेंट उम्र ही तय है. जो कि 65 साल है. मतलब सीडीएस का चुनाव सरकार कर सकती है और उसके लिए किसी तय प्रक्रिया को फॉलो नहीं करना. लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकतकर (रि.) जिन्होंने सीडीएस पोस्ट बनाने को लेकर 2016 में अपनी रिपोर्ट दी थी, उनकी रिपोर्ट में सिफारिश थी कि तीनों सेनाओं में से किसी एक के प्रमुख को ही सीडीएस बनाया जाना चाहिए. ये सिफारिश मान ली गई थी. और इस आधार पर ही बाद में जनरल बिपिन रावत को सीडीएस बनाया गया. क्योंकि तब वो तीनों सेना प्रमुखों में सबसे सीनियर थे. इस नियम के हिसाब से अभी तीनों सेना प्रमुखों में सबसे सीनियर हैं जनरल एम एम नरवणे. मौजूदा थलसेना प्रमुख. थलसेना प्रमुख की रिटायरमेंट ऐज 62 साल होती है या 3 साल कार्यकाल है. और जनरल नरवणे अगले साल अप्रैल में रिटायर होंगे. अगर अभी उनको CDS बनाया जाता है तो वो 65 की उम्र तक सीडीएस के पद पर रह सकते हैं. हालांकि सीडीएस में भी अधिकतम उम्र ही फिक्स है, कार्यकाल की अवधि तय नहीं है. स्नेहेश की रिपोर्ट एक और ज़रूरी बात पर ध्यान दिलाती है. कि अगर जनरल नरवणे को सीडीएस बनाते हैं तो थलसेना प्रमुख का पद खाली हो जाएगा. और फिर इस पद के लिए तीन लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारी दावेदार हैं. आर्मी वाइस चीफ ले. जनरल सीपी मोहंती, नॉर्दन कमांड के चीफ ले. जनरल वीके जोशी और आर्मी ट्रेनिंग कमांड के चीफ ले. जनरल राज शुक्ला. सेना में लेफ्टिनेंट जनरल का कार्यकाल 2 साल का होता है या 61 साल की उम्र. जो भी पहले हो जाए. तो इस लिहाज से अगर जनरल नरवणे थलसेना प्रमुख रहते हैं तो ये तीनों ले. जनरल अप्रैल से पहले ही रिटायर हो जाएंगे. लेकिन अगर नरवणे सीडीएस बनते हैं तो तीनों थलसेना प्रमुख के पद के लिए दावेदार होंगे. तो सरकार को इधर का समीकरण भी बिठाना पड़ेगा. बड़ी खबर में अब बात किसान आंदोलन की. संयुक्त किसान मोर्चा ने आज किसान आंदोलन वापस लेने का ऐलान कर दिया. दिल्ली की सीमाओं पर स्थित धरना स्थलों से प्रदर्शनकारी 11 दिसंबर से हटने लगेंगे. ये फैसला सरकार द्वारा भेजी गई एक चिट्ठी के बाद लिया गया है, जिसमें आंदोलनकारियों की दूसरी मांगों पर आस्वासन दिए गए हैं. सुनिए किसान नेताओं ने अपने फैसले पर क्या जानकारी दी. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर राजेवाल ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में कहा
26 नवंबर को पिछले साल किसान आंदोलन शुरू हुआ. आज हम यहां से एक बड़ी जीत लेकर जा रहे हैं. और एक अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं. यह मोर्चे का अंत नहीं है. आज आंदोलन को बस सस्पेंड किया है. आगे की लड़ाई के लिए 15 जनवरी को हम फिर बैठेंगे और आगे की रणनीति की समीक्षा करेंगे. जिन किसानों ने इस आंदोलन में अपनी  क़ुर्बानी दी है, उन्ही की बदौलत ये आंदोलन खड़ा रहा.
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हन्नान मुला ने कहा
किसान आंदोलन आज़ादी के बाद देश का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण आंदोलन है. आने वाले समय में सब जनवादी आंदोलन मिलकर लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे. 15 जनवरी को हम सरकार के कामों को निगरानी में रखते हुए फिर आगे की नीति बनाएंगे.
चलते चलते आपको एक और ज़रूरी खबर भी दे देते हैं. वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को मुंबई की भायखला जेल से आज रिहा कर दिया गया. विशेष एनआईए अदालत के जज दिनेश ई कोठालीकर ने 8 दिसंबर को ही भारद्वाज को 50 हज़ार के निजी बॉन्ड पर रिहा किया था. अदालत ने भारद्वाज पर 16 तरह की शर्तें भी लगाई हैं. जैसे उन्हें मुंबई की विशेष अदालत के क्षेत्राधिकार में रहना होगा. इतना ही नहीं, उन्हें मुंबई में रहना होगा और शहर छोड़ने से पहले अदालत की अनुमति लेनी होगी. सुधा के वकीलों ने इन शर्तों का विरोध किया. ये कहते हुए कि वो छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं. और मुंबई में उनके पास रहने को जगह नहीं है. लेकिन जज ने बेल की शर्तों में छूट नहीं दी. तीन साल, तीन महीने पहले सुधा भारद्वाज को भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था. इसे हम एलगार परिषद मामले के नाम से भी जानते हैं. 31 दिसंबर 2017 की शाम को भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर एलगार परिषद नाम के कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसके अगले दिन भीमा कोरेगांव में हो रहे कार्यक्रम पर स्थानीय लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया था. इसके बाद भड़की हिंसा में 1 व्यक्ति की मौत हुई थी. एजेंसियों का आरोप है कि एलगार परिषद के पीछे प्रतिबंधित माओवादी संगठन थे. इस संबंध में देशभर से कई नामी वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. जैसे गौतम नवलखा, रोना विलसन, स्टैन स्वामी, वरवरा राव और सुरेंद्र गाडलिंग. जनवरी 2020 में जैसे ही महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार ने मामले का रिव्यू करना चाहा, केंद्र ने मामला NIA को सौंप दिया. इस मामले में जून 2021 को स्टैन स्वामी की मौत बेल का इंतज़ार करते करते ही हो गई थी. अब तक किसी आरोपी पर लगाए गए इल्ज़ाम साबित नहीं हो पाए हैं. लेकिन बेल नहीं मिल पा रही है क्योंकि इनपर मामला UAPA के तहत बनाया गया है. सुधा भारद्वाज को भी बेल के लिए बंबई हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा था. भारद्वाज के वकीलों ने दलील दी थी कि पुणे की जिस अदालत ने मामले में जांच का समय 90 दिन से आगे बढ़ाया था, उसे NIA एक्ट की धारा 22 के तहत विशेष अदालत नहीं बनाया गया था. इस दलील को मानते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने 1 दिसंबर को बेल दे दी, तो केंद्र सरकार बेल का विरोध करने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी. लेकिन 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने भी बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को सही बता दिया. इसके बाद भारद्वाज मुंबई की विशेष एनआईए अदालत के सामने बेल के लिए पेश हुईं. इस मामले में अब भी रोना विल्सन, वयोवृद्ध कवि वरवरा राव, सुधीर धवले, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नन गोंज़ाल्वेस और अरुण फरेरा को बेल नहीं मिली है. तीन साल से मामला अदालतों में रेंगता जा रहा है. इसीलिए ये सभी मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बंद हैं.

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