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भोपाल के बाद इंदौर में सामने आया 90 डिग्री मोड़ का ब्रिज? फोटो देख अफसर बोले दावा गलत

Madhya Pradesh कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस पुल को बनाने के लिए गलत योजना बनाई गई है. वहीं राज्य सरकार का कहना है कि इसका काम तय मानकों के तहत हो रहा है.

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इंदौर में बन रहे पुल की तस्वीर. (फोटो: इंडिया टुडे)
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धर्मेंद्र कुमार शर्मा

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल में बना 90 डिग्री वाला पुल खूब चर्चा में रहा. लेकिन अब इंदौर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां इंजीनियर भोपाल वाले पुल से भी दो कदम आगे निकल गए हैं. दरअसल, PWD विभाग यहां के पोलो ग्राउंड इलाके में एक रेलवे ओवर ब्रिज बना रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस पुल में 90 डिग्री वाले दो तीखे मोड़ हैं, जिसके कारण इसे Z आकार का पुल (Indore Bridge) बताया जा रहा है. हालांकि, मध्य प्रदेश जन संपर्क विभाग ने इस खबर को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि मीडिया में दिखाया गया डिजाइन असली नहीं है.

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इस पुल पर पहला मोड़ लक्ष्मीबाई नगर से भागीरथपुरा होते हुए पोलोग्राउंड के पास वाले इलाके में है. वहीं दूसरा मोड़ पोलोग्राउंड से एमआर-4 की तरफ वाले हिस्से में बन रहा है.

राज्य सरकार पर लगे आरोप

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने PWD के अधिकारियों पर गलत प्लानिंग बनाने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने इंदौर के सांसद शंकर लालवानी, राज्य सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट पर भी आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि इन नेताओं ने जनता से वोट तो लिया लेकिन वो कोई काम गंभीरता से नहीं कर रहे, इसका ताजा उदाहरण पोलो ग्राउंड का पुल है.

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मध्य प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी इस मामले पर सवाल उठाया गया है.

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सरकार का क्या कहना है?

शंकर लालवानी ने बताया है कि उन्होंने इस निर्माणाधीन पुल को लेकर अधिकारियों को हिदायत दी है और लोक निर्माण मंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने बताया कि जून के आखिर में एक सरकारी बैठक के दौरान नक्शा देखकर उनको लगा था कि इस डिजाइन में 90 डिग्री का मोड़ प्रस्तावित है. उन्होंने आशंका जताई थी कि इसके कारण दुर्घटनाएं हो सकती हैं.

वहीं लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने दावा किया है कि इसका डिजाइन लोक निर्माण विभाग और रेलवे के संयुक्त सर्वेक्षण के जरिए तय मानकों के अनुसार तैयार किया गया है. उन्होंने कहा है,

इंडियन रोड कांग्रेस (IRC) के दिशा-निर्देशों के अनुसार बनाए जा रहे इस पुल में कुल पांच मोड़ हैं. IRC के मानकों के अनुसार, एक मोड़ की न्यूनतम त्रिज्या (रेडियस) 15 मीटर होनी चाहिए, जबकि इस पुल के सभी मोड़ों की त्रिज्या लगभग 20 मीटर है, जिससे ये डिजाइन और संरचना की दृष्टि से पूरी तरह संतुलित और सुरक्षित है.

PWD इंजीनियर ने क्या बताया?

इस पूरे मामले पर PWD विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर गुरमीत कौर भाटिया की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा है कि मीडिया में पुल का जो डिजाइन दिखाया जा रहा है, वो उनके विभाग की ओर से जारी नहीं किया गया है. उन्होंने बताया है कि वो डिजाइन विभाव की ओर से फाइनल डिजाइन नहीं है. और पुल का काम अभी चल ही रहा है. उनका कहना है कि काम उसी आधार पर चल रहा है, जो डिजाइन विभाग ने फाइनल किया है. 

जन संपर्क विभाग ने भी एक एक्स पोस्ट के जरिए यही बयान दिया है. 

हालांकि, इंजीनियर ने ये भी कहा कि ये मामला उनके संज्ञान में आया है, तो अब वो इस पर हाई लेवल चर्चा करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो इसमें सुधार करेंगे.

वीडियो: भोपाल के 90 डिग्री वाले ब्रिज को लेकर बड़ी कार्रवाई, PWD के 7 इंजीनियर सस्पेंड

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