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योग गुरु शिवानंद का 128 साल की उम्र, पद्मश्री लेने नंगे पैर पहुंचे थे

Baba Sivananda को जब पद्मश्री सम्मान दिया गया, तब पूरे देश में उनकी खूब चर्चा हुई. अवार्ड लेने के लिए वो नंगे पांव ही राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे. सम्मानित होने के बाद उन्होंने घुटनों के बल बैठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन किया था.

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योग गुरु बाबा शिवानंद का 128 साल की उम्र में निधन हो गया. (फाइल फोटो: PTI)
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रोशन जायसवाल

पद्मश्री से सम्मानित योग गुरु शिवानंद (Baba Sivananda) का 128 साल की उम्र में निधन हो गया. सांस लेने में तकलीफ के कारण, वो पिछले तीन दिनों से वाराणसी के BHU के अस्पताल में भर्ती थे. बाबा शिवानंद सादा जीवन जीने की बात करते थे. उन्होंने ताउम्र ब्रह्मचर्य का भी पालन किया. साल 2022 में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया था. इस सम्मान को पाने वाले वो सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं. 

सादगी के प्रतीक

जब उनको पद्मश्री सम्मान दिया गया, तब पूरे देश में उनकी खूब चर्चा हुई. अवार्ड लेने के लिए वो नंगे पांव ही राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे. सम्मानित होने के बाद उन्होंने घुटनों के बल बैठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन किया था. इसके बाद, प्रधानमंत्री भी अपनी कुर्सी छोड़कर उनके प्रति सम्मान की भावना दिखाई थी. बाबा शिवानंद राष्ट्रपति के सामने भी झुके. तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें झुककर उठाया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योग गुरु के प्रशंसक रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा है,

योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा. योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था. शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है. मैं इस दुःख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं.

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"माता-पिता भीख मांगकर जीविका चलाते थे"

बाबा शिवनांद का जन्म 8 अगस्त, 1896 को पश्चिम बंगाल के श्रीहट्टी में हुआ. वर्तमान में ये जगह बांग्लादेश में है. उनके माता-पिता भीख मांगकर अपना जीवन चलाते थे. घोर आर्थिक तंगी के कारण माता-पिता ने चार साल की उम्र में ही उन्हें बाबा ओंकारानंद गोस्वामी को दान कर दिया था. वही स्वामी शिवानंद के गुरु बने.

6 साल की उम्र में शिवानंद के माता-पिता और बहन का निधन, खाना नहीं मिल पाने के कारण हो गया. इसके बाद, उन्होंने पूरे जीवन योग साधना का पालन किया. वर्तमान में वो वाराणसी के भेलूपुर में दुर्गाकुंड इलाके के कबीर नगर में रह रहे थे. यहीं पर उनका आश्रम है. उन्होंने इस साल हुए प्रयागराज महाकुंभ में भी हिस्सा लिया था. 

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