ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor). तारीख 22 अप्रैल, 2025. पहलगाम में आतंकी हमला हुआ. 26 आम नागरिकों की हत्या हुई. कुछ तस्वीरें सामने आईं. इन्हीं में से एक तस्वीर थी- हिमांशी नरवाल की. उनकी शादी के मात्र छह दिन हुए थे कि उनके पति को आतंकियों ने गोली मार दी. तस्वीर में हिमांशी अपने पति नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के शव के पास घुटनों के बल बैठी थीं. बहुत समय नहीं लगा जब ये तस्वीर, इस त्रासदी का प्रतीक बन गई.
पहलगाम के बदले का नाम 'ऑपरेशन सिंदूर' ही क्यों?
Operation Sindoor: एक तस्वीर जो पहलगाम हमले का प्रतीक बनी, इसमें एक पत्नी थी जिनके पति की हत्या कर दी गई थी. कई और महिलाओं की कहानियां सामने आईं. आतंकियों ने 'सिंदूर' पर खून के छींटे छोड़े थे. भारतीय सेना ने 'सिंदूर' को पाकिस्तान के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज कर दिया.

आतंकी हमले के कुछ दिनों बाद जब हिमांशी अपने पति को श्रद्धांजलि दे रही थीं, तब उनकी मांग में सिंदूर नहीं था.

ऐसी ही कहानी उत्तर प्रदेश के कानपुर की एशान्या की है. उनके पति शुभम द्विवेदी को भी इस हमले में मार दिया गया. आपबीती बताते हुए वो कहती हैं कि उनके पति को अगर कुछ और सेकंड का समय मिलता, तो वो एशान्या को 'आई लव यू' कहते…
एशान्या ने बताया कि हमले के वक्त वो अपने पति के साथ थीं. हमलावर आया, उसने उनके पति के बारे में पूछा. इससे पहले कि वो अपना जवाब पूरा कर पाते, आतंकी ने गोली मारनी शुरू कर दी. महिला को ये कहकर छोड़ दिया, “जाओ मोदी को बताना यहां क्या हुआ?”
ऐसी कई महिलाएं थीं जिनकी मांगों से सिंदूर मिटा दिए गए. आतंकियों ने अपनी बर्बरता दिखाई. लोगों के सिर में गोली मारी. कई गोलियां मारी. खासकर पुरुषों को. आतंकियों ने एक मैसेज देने की कोशिश की.
स्पष्ट मैसेज हैतारीख 7 मई, 2025. एकदम तड़के सुबह, भारतीय सेना एक तस्वीर पोस्ट की- Operation Sindoor. तस्वीर में सिंदूर भी दिखाया गया. मैसेज स्पष्ट था- पहलगाम का बदला. भारत ने उन मिटाए गए सिंदूरों के बदले की शुरुआत कर दी. कुछ ही घंटों में, सिंदूर अब भारतीय विवाहित महिलाओं के माथे की चमक भर नहीं रह गया. अब ये न्याय, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और बदले का भी प्रतीक बन गया.
मैसेज स्पष्ट है- पाकिस्तान को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब. पीड़ा के जिस पहलु को आतंकियों ने निशाना बनाया, जो इस हमले का प्रतीक बना, भारत ने पाकिस्तान के इतिहास पर उस प्रतीक को अंकित किया. ठीक उन्हीं आतंकियों की भाषा में.
पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए संतोष जगदाले की बेटी कहती हैं कि इस ऑपरेशन का नाम सुनकर ही वो बहुत रोईं. उन्होंने कहा,
पहले तो मिशन का नाम सुनकर ही… मैं तो बहुत रो रही थी. क्योंकि मुझे याद है कि जब (गृहमंत्री) अमित शाह श्रीनगर आए थे, तब सभी बहनें उनसे यही कह रही थीं कि उनसे उनके पति को छीन लिया गया. शायद उसी वजह से इसका नाम 'ऑपरेशन सिंदूर' रखा गया होगा. क्योंकि बहनों से उनका सिंदूर छिना गया था.
पहलगाम हमले के पीड़ित मंजूनाथ राव के रिश्तेदार रवि किरण ने भी कुछ ऐसा ही कहा. उन्होंने कहा,
हम इस बदले से खुश हैं. 'सिंदूर' नाम से ही हम रोमांचित हो गए...
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योद्धा का प्रतीक है सिंदूरसिंदूर का महत्व वैवाहिक जीवन भर नहीं है. इसकी महता बढ़ाते हैं- योद्धा. भारत में योद्धा जब युद्ध के लिए जाते जाते थे, तब अपने माथे पर टीका या तिलक लगाते थे, जो प्रायः सिन्दूर का होता था.
राजपूतों और मराठा योद्धाओं को उनके माथे पर लाल चमकते हुए निशान के साथ दिखाया गया है.
भारत ने ये स्पष्ट किया है कि ये हमला उन्हीं जगहों पर किया गया है जहां से आंतकी साजिश बनाए जाते थे.
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