उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर देश के ज्यूडिशियल सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने जस्टिस वर्मा मामले का हवाला देते हुए कहा,"ज्यूडिशियल सिस्टम में बड़ी मछलियां कौन हैं? हमें इसका पता लगाना होगा."
उपराष्ट्रपति ने न्यायपालिका पर फिर उठाए सवाल, किसे कहा 'बड़ी मछली'?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर मिले कैश के संदर्भ में एक बार फिर से न्यायपालिका पर सवाल उठाए हैं.

इससे पहले भी कई मौकों पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जस्टिस वर्मा मामले पर सवाल उठाये हैं. इंडिया टुडे से जुड़ी नलिनी की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी संदर्भ में 19 मई को जगदीप धनखड़ ने कहा,
“हममें से किसी को भी इस मामले की जानकारी नहीं मिली. कल्पना कीजिए, ऐसी कितनी घटनाएं हुई होंगी जिनके बारे में हमें पता तक नहीं चला!”
उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में पारदर्शिता बनाए रखना अनिवार्य है. धनखड़ ने आगे कहा,
"आज हम जमीनी हकीकत से खुद को दूर नहीं कर सकते. सच्चाई ये है कि लुटियंस दिल्ली में एक जज के घर से जली हुई नोटें और कैश मिले हैं, लेकिन आज तक इस मामले में कोई FIR दर्ज नहीं हुई. हमारे देश में कानून का शासन है, क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम है. इसमें किसी भी कारण से एक पल की देरी नहीं हो सकती."
धनखड़ ने पारदर्शिता को रेखांकित करते हुए कहा,
“लोकतंत्र को अभिव्यक्ति, संवाद और जवाबदेही से परिभाषित किया जाना चाहिए. किसी संस्था को गिराने का सबसे आसान तरीका यह है कि उसे जांच और पारदर्शिता से दूर रखा जाए. अगर हमें लोकतंत्र को मजबूत करना है तो हमें कानून के मुताबिक हर संस्था और हर व्यक्ति को जवाबदेह ठहराना होगा.”
धनखड़ ने जस्टिस वर्मा मामले में पूर्व CJI जस्टिस खन्ना की सराहना करते हुए कहा,
“हमारे ज्यूडिशियल सिस्टम की स्थित सुधर रही है. इस मामले में पूर्व CJI खन्ना की पहल सराहनीय है. मैं किसी पर आरोप नहीं लगा रहा, लेकिन जब बात राष्ट्रीय हित की हो, तो हम लोगों को 'इनसाइडर' और 'आउटसाइडर' में नहीं बांटना चाहिए. हमें एकजुट रहना होगा.”
गौरतलब है कि 14 मार्च 2025 की शाम दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने के बाद कैश की बरामदगी हुई थी. घटना के सामने आने के बाद से देशभर में न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठे. हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, 17 अप्रैल को धनखड़ ने जस्टिस वर्मा मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा,
“अगर ये घटना किसी आम आदमी के घर में होती को रॉकेट की रफ्तार से जांच होती लेकिन इस मामले की जांच बैलगाड़ी से भी धीमी हो रही है.”
इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘जांच करना कार्यपालिका का क्षेत्र है, न्यायपालिका का नहीं.’
वीडियो: Sofiya Qureshi के मामले में BJP मंत्री Vijay Shah को Supreme Court से फिर मिली फटकार