भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष (India Pakistan Tension) भले ही थम गया हो. लेकिन खतरा बना हुआ है. इस बीच ख़बर आई है कि सुरक्षाबल बॉर्डर से सटे इलाकों में रहने वाले कुछ लोगों को हथियारों की ट्रेनिंग (Arms Training For Villagers In J&K) दे रहे हैं. ऐसे लोगों को विलेज डिफेंस गार्ड (Village Defence Guard) मानकर ‘सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस’ (Second Line Of Defence) के तौर पर ट्रेनिंग दी जा रही है.
कौन हैं विलेज डिफेंस गार्ड्स? जिन्हें आतंक के खिलाफ जंग के लिए ट्रेनिंग दे रही BSF
Arms Training To Civilians In J&K: विलेज डिफेंस गार्ड (VDG) इमरजेंसी के वक्त फोर्स की मदद के तौर पर काम कर सकते हैं. शुरुआत में जम्मू में इंटरनेशनल बॉर्डर और नेशनल हाइवे-44 के बीच मौजूद गांवों में ट्रेनिंग दी जाएगी.

द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि विलेज डिफेंस गार्ड (VDG) इमरजेंसी के वक्त फोर्स की मदद के तौर पर काम कर सकते हैं. शुरुआत में जम्मू में इंटरनेशनल बॉर्डर और नेशनल हाइवे-44 के बीच मौजूद गांवों में ट्रेनिंग दी जाएगी.
अधिकारी ने कहा,
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उन निवासियों की पहचान की है जिन्हें ट्रेनिंग दी जानी है. वे आतंकी हमलों के मामले में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले हो सकते हैं. बुनियादी हथियारों की ट्रेनिंग के अलावा हम VDG के साथ सामरिक जानकारी साझा कर रहे हैं. आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ की स्थिति में वे उन्हें रोकने और भगाने में सक्षम हो सकते हैं.
BSF अपनी सीमा चौकियों के पास इस तरह के फायरिंग प्रैक्टिस कैंप लगा रही है, जिससे लोगों को हथियार चलाने का कॉन्फिडेंस मिले. अधिकारी का कहना है कि अगर घुसपैठ होती है तो हथियारबंद स्थानीय लोग ज़मीन पर आंख और कान की तरह काम कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब इसमें BSF को शामिल किया गया है. इससे पहले CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस राजौरी और पुंछ क्षेत्रों में नागरिकों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देते थे.
BSF-जम्मू ने गुरुवार 29 मई को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया,
29 मई 2025 को सांबा के सीमावर्ती गांवों में VDG के लिए तीन दिन का ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया है. कार्यक्रम में लोगों की सुरक्षा, जागरूकता को बढ़ावा देने और सुरक्षा खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
बता दें कि 2022 में यह अभियान दोबारा शुरू किया गया. ऐसा सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादी गतिविधि के फिर से उभरने को ध्यान में रखते हुए किया गया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने VDG को सेल्फ डिफेंस के लिए सेमी-ऑटोमेटिक हथियार दिए हैं. 1995 में पहली बार जम्मू के 10 जिलों में नागरिकों को हथियार देने की योजना शुरू की गई थी. उस समय आतंकवादी हिंदुओं को अपना निशाना बनाते थे. तब उन्हें .303 राइफलें दी गई थीं.
अमरनाथ यात्रा की तैयारीरिपोर्ट के मुताबिक, 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए 52,000 से ज़्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे. केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने तैनाती को भी मंज़ूरी दी है. पहलगाम हमले के मद्देनज़र यह फैसला लिया गया है.
सुरक्षा के लिए 581 कंपनियों को तैनात किया जाएगा. हर कंपनी में 90-100 सुरक्षाकर्मी होंगे. यह पिछले तीन वर्षों में इस इलाके में सुरक्षाकर्मियों की सबसे ज़्यादा तैनातियों में से एक होगी. CRPF के DGP जीपी सिंह सुरक्षा तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए जम्मू-कश्मीर में मौजूद हैं.
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