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अंबानी के 'वनतारा' को क्लीन चिट, SC ने SIT रिपोर्ट स्वीकार की, हथिनी 'माधुरी' पर क्या कहा?

बेंच ने कहा कि SIT ने विशेषज्ञों की मदद से जांच की और निष्कर्ष निकाला कि सभी जानवारों को नियमों के तहत ही लाया गया.

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SIT का गठन पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता में किया गया था. (फोटो- X)

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन के बनाए 'वनतारा' से जुड़ी SIT की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि प्रथम दृष्टया इस वाइल्डलाइफ रीहैबिलिटेशन से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं नियमों के तहत हैं और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है (Vantaras Acquisition Of Animals). आरोप लगाए गए थे कि वनतारा (ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर) में भारत और विदेशों से लाए गए पशुओं, विशेषकर हाथियों के अधिग्रहण में सभी कानूनों का पालन नहीं किया गया है. इसी को लेकर SIT बनाई गई थी.

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लाइव लॉ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. वनतारा की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, और याचिकाकर्ता के वकील भी कोर्ट में मौजूद थे. जस्टिस मिथल ने कहा,

"पशुओं का अधिग्रहण नियमों के तहत ही किया गया है."

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वनतारा के वकीलों ने क्या कहा?

बेंच ने कहा कि SIT ने विशेषज्ञों की मदद से जांच की और निष्कर्ष निकाला कि सभी अधिग्रहण नियमों के अनुसार हुए. कोर्ट ने रिपोर्ट को आदेश का हिस्सा बनाने का फैसला किया, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने आपत्तियां जताईं. इसके बाद कोर्ट ने आदेश पारित करने और मामले को खत्म करने का निर्णय लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक साल्वे ने कहा,

"मेरी एकमात्र चिंता ये है कि जब कमेटी आई थी, तो वनतारा का पूरा स्टाफ उपलब्ध था, सब कुछ दिखाया गया था. जानवरों की देखभाल कैसे की जा रही है, इन जानवरों को कैसे रखा जाता है, इसे लेकर कुछ चिंताएं हैं. इन्हें विकसित करने के लिए एक्सपर्ट्स के साथ बड़ी धनराशि खर्च की गई है, कुछ हद तक व्यावसायिक गोपनीयता भी है. एक नैरेटिव चलाकर इसे बंद करने की कोशिश की जा रही है."

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इसके जवाब में जस्टिस मिथल ने कहा,

"नहीं, हम इसकी अनुमति नहीं देंगे. हम मामले को खत्म कर रहे हैं और रिपोर्ट स्वीकार कर रहे हैं. हम किसी को भी ऐसी आपत्तियां उठाने की अनुमति नहीं देंगे... हम कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट हैं... हमारे पास एक स्वतंत्र कमेटी की रिपोर्ट है, उन्होंने सभी पहलुओं पर विचार किया है, उन्होंने एक्सपर्ट्स की मदद ली है. उन्होंने जो भी पेश किया है, हम उसके अनुसार काम करेंगे. सभी अथॉरिटी सिफारिशों और सुझावों के आधार पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगी. आप भी बाध्य हैं, हम किसी को भी बार-बार सवाल उठाने की अनुमति नहीं देंगे."

जस्टिस चेलमेश्वर की अध्यक्षता में SIT

बता दें कि SIT का गठन पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता में किया गया था. इसका उद्देश्य वनतारा द्वारा भारत और विदेश से जानवरों, खासकर हाथियों की खरीद में कानून के पालन की जांच करना था.

वनतारा पर आरोप लगे थे कि वो जानवरों को अवैध तरीके से अधिग्रहण कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले SIT गठित की थी, ताकि इन आरोपों की निष्पक्ष जांच हो. SIT ने पाया कि कोई अनियमितता नहीं है और सभी प्रक्रियाएं कानूनी रूप से सही हैं. कोर्ट ने SIT की तत्परता की सराहना की और सदस्यों को मानदेय देने का सुझाव भी दिया. जस्टिस मिथल ने स्पष्ट कहा,

"हम रिपोर्ट से संतुष्ट हैं. स्वतंत्र कमेटी ने सब कुछ जांचा है. अब कोई और सवाल नहीं उठाए जाएंगे. सभी अधिकारी रिपोर्ट की सिफारिशों पर कार्रवाई कर सकते हैं."

एक वकील ने मंदिर से मादा हाथी ले जाने के इंटरलॉक्यूटरी एप्लीकेशन (IA) का मुद्दा उठाया, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. जस्टिस मिथल ने कहा,

"देश की कुछ चीजें गर्व का विषय हैं. अनावश्यक रूप से हंगामा न करें. अच्छी पहल को बढ़ावा दें. मैसूर में दशहरा पर हाथी का उपयोग होता है, लेकिन कानूनी अधिग्रहण में समस्या क्यों?"

कोर्ट ने जोर दिया कि कमेटी के निष्कर्षों का सम्मान किया जाए और अनावश्यक आरोप न लगाए जाएं. वनतारा को विश्व स्तरीय वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर के रूप में देखा जा रहा है, जहां जानवरों की देखभाल पर भारी निवेश किया गया है.

बता दें कि 'कोल्हापुर की माधुरी' के नाम से मशहूर महादेवी हथिनी को वनतारा भेजे जाने को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए थे. पशु कल्याण के लिए काम करने वाले PETA (People for the Ethical Treatment of Animals) ने जैन मठ में रहने वाली महादेवी हथिनी की हालत बेहद खराब बताई थी. पेटा ने कहा था कि उसकी देखभाल ठीक से नहीं की जाती. एक उच्चस्तरीय जांच समिति ने इन दावों की पुष्टि की थी जिसके बाद मादा हाथी को वनतारा के पुनर्वास केंद्र में शिफ्ट कर दिया गया था.

इसे लेकर कोल्हापुर में काफी विरोध हुआ था. इस विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के प्रमुख और पूर्व सांसद राजू शेट्टी का कहना था कि PETA ने गलत कागज दिखाकर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और हाथी को वनतारा भिजवा दिया. उन्होंने आरोप लगाया था कि PETA ‘मुकेश अंबानी की गुलामी’ कर रहा है.

लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने ही कह दिया है कि वनतारा को बनाने में कोई गड़बड़ी नहीं की गई है.

वीडियो: अनंत अंबानी के Vantara पर सु्प्रीम कोर्ट ने दिया जांच का आदेश, SIT का गठन होगा

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