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वडोदरा में पुल टूटने के 26 दिन बीत गए, ये टैंकर अब तक लटका क्यों है?

Vadodara Bridge Collapse Tanker: गंभीरा पुल के मौजूदा ढांचे पर किसी भी प्रकार की मशीनरी ले जाकर टैंकर को नहीं हटाया जा सकता है. टैंकर को नीचे उतारने के लिए खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा.

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अधिकारियों ने बताया कि टैंकर को उतारने के काम में कुछ दिन और लगेंगे. (फोटो- आजतक)

गुजरात के गंभीरा पुल हादसे को 26 दिन हो चुके हैं, लेकिन एक टैंकर अभी भी पुल के टूटे हिस्से पर लटका हुआ है. टैंकर के मालिक ने इसे हटाने के लिए सरकार से मदद की अपील की थी. इस पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रशासन को सख्त निर्देश दिया है कि टैंकर को सुरक्षित रूप से उतारा जाए और उसे मालिक को सौंपा जाए. आदेश के बाद शुक्रवार, 2 अगस्त से टैंकर को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

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टैंकर को कैसे उतारा जाएगा?

इंडिया टुडे से जुड़े दिग्विजय पाठक और हेताली शाह की रिपोर्ट के मुताबिक, आनंद जिले के कलेक्टर प्रवीण चौधरी ने बताया कि गांधीनगर डिजाइन सर्कुलेशन टीम ने पुल के तकनीकी पहलुओं की जांच की थी. उनका कहना था कि पुल के मौजूदा ढांचे पर किसी भी प्रकार की मशीनरी ले जाकर टैंकर को नहीं हटाया जा सकता है. उन्होंने आगे बताया कि टैंकर को नीचे उतारने के लिए बैलून टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा.

ऐसे में गुजरात सरकार के सड़क एवं भवन विभाग (R&B) ने पोरबंदर की विश्वकर्मा मरीन प्राइवेट लिमिटेड के मरीन इमरजेंसी रिस्पांस सेंटर को इस काम के लिए नियुक्त किया है. अब यह कंपनी टैंकर को नीचे लाने में मदद करेगी. ऑपरेशन के दौरान कोई दुर्घटना ना हो, ये सुनिश्चित करने के लिए अधिकारी ड्रोन के जरिए निगरानी रख रहे हैं. सरकार की देखरेख में और फिलहाल कंपनी ने सभी जरूरी सर्वेक्षण किए हैं.

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एमएस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. निकुल पटेल ने टैंकर उतारने के लिए बैलून टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने पर आजतक से बातचीत में बताया,

"बैलून टेक्नोलॉजी कारगर है क्योंकि बैलून को असेंबल करने, प्रोपेन गैस भरने, उसे हवा में लिफ्ट करने और ट्रक के पास स्टेबल करने… अगर ट्रक के वजन से ज्यादा वजन का बैलून है, तो हम उसे अच्छी तरह बांधकर लिफ्ट करेंगे, तो हम टैंकर को नीचे ला सकते हैं."

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कंपनी भारतीय तटरक्षक बल के साथ मिलकर काम करती है. टैंकर को उतारने के लिए कंपनी पानी के जहाजों को उतारने और उठाने वाली मशीनरी को तैनात करने की योजना बना रही है.

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टैंकर को नीचे उतारने में एक हफ्ता भी लग सकता है. कलेक्टर कलेक्टर प्रवीण चौधरी ने बताया कि कंपनी के साथ बातचीत में बताया गया है कि पुल पर पहली रीडिंग एक्टिविटी चार से पांच दिनों में की जाएगी. रीडिंग के बाद अगले सात दिनों के अंदर बैलून टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके टैंकर को नीचे उतारा जा सकेगा.

दरअसल, 9 जुलाई को वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाला महिसागर नदी पर बना गंभीरा पुल टूट गया था. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हादसे में 21 लोगों की जान चली गई थी. इस मामले में पुल निर्माण से जुड़े चार इंजीनियर्स को सस्पेंड किया गया है. सड़क एवं भवन विभाग (R&B) ने अब इन लोगों की संपत्ति की जांच के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की एक SIT का गठन भी कर दिया है.

वीडियो: वडोदरा ब्रिज हादसे पर नितिन गडकरी सख्त, ठेकेदारों और अफसरों पर क्या बोले?

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