अमेरिका के बोस्टन शहर में मौजूद नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी (US Northeastern University) में एक प्रोफ़ेसर साहब हैं, रिक एरोवुड. इन्होंने अपने छात्रों को हिदायत दी थी कि वो ChatGPT का इस्तेमाल न करें. लेकिन छात्रों का आरोप है कि प्रोफ़ेसर ख़ुद ChatGPT का इस्तेमाल करते हुए पकड़े गए हैं. एक छात्रा ने तो अपनी फ़ीस ही वापस मांग ली है. उसका कहना है कि उसे ऐसे पढ़ाई नहीं करनी.
AI की मदद से पढ़ा रहे थे प्रोफेसर साहब, पकड़े गये तो स्टूडेंट्स ने फीस ही वापस मांग ली
Professor ChatGPT Use: एक छात्रा ने आरोप लगाया कि वो क्लास की नोटबुक देख रही थीं. तभी उन्हें कुछ अजीब लगा. छात्रा के आरोपों के मुताबिक़, क्लास नोट्स और विज़ुअल बनाने के लिए ChatGPT का इस्तेमाल किया गया था.
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प्रोफ़ेसर रिक एरोवुड छात्रों को बिजनेस से जुड़े सब्जेक्ट्स पढ़ाते हैं. उन्हीं की एक छात्रा हैं, एला स्टेपलटन. वो अपने ऑर्गेनाइज़ेशन बिहेवियर (OB) क्लास की नोटबुक देख रही थीं. तभी उन्हें कुछ अजीब लगा. एला के आरोपों के मुताबिक़, क्लास नोट्स और विज़ुअल बनाने के लिए ChatGPT, पेरप्लेक्सिटी और गामा जैसे प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल किया गया था.
छात्रा एला स्टेपलटन ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया,
उनमें स्पेलिंग की गलतियां थीं. बहुत सारी उंगलियों वाली अजीब तस्वीरें थीं और यहां तक कि एक लाइन में ChatGPT सर्च का ज़िक्र भी था. वो हमें AI का इस्तेमाल न करने की चेतावनी दे रहे थे. लेकिन वो हमेशा से इसका इस्तेमाल करते रहे हैं.
एला स्टेपलटन ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से संपर्क किया. उसने अपनी $8,000 (लगभग 6.83 लाख रुपये) की ट्यूशन फीस वापस मांगी. इस दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन के साथ उसकी कई बार चर्चा होती रही. जो उसके कोर्स के पूरा होने तक चली. लेकिन बाद में उसकी फीस की इस मांग को ठुकरा दिया गया.
प्रोफ़ेसर का जवाबChatGPT के इस्तेमाल को लेकर मचे घमासान पर प्रोफ़ेसर रिक एरोवुड ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ये बात मानी कि पढ़ाने में मदद मिल सके, इसके लिए उन्होंने AI के इस्तेमाल किया था. प्रोफ़ेसर ने कहा कि इसका मकसद क्लास को ज़्यादा आकर्षक बनाना था.
उनका ये भी कहना है कि कॉन्टेंट को तैयार करने के बाद उन्होंने अपनी तरफ़ से एक बार जांचा था. लेकिन उन्हें AI से जुड़ी कोई ग़लती नहीं दिखी थी. प्रोफ़ेसर आगे बोले,
पीछे मुड़कर देखें, तो मुझे कॉन्टेंट को और ज़्यादा सावधानी के साथ रिव्यू करना था.
एरोवुड अब इस बात से सहमत हैं कि एआई का इस्तेमाल करते समय फैकल्टी मेंबर्स को छात्रों के साथ ज़्यादा ईमानदार होना चाहिए. उन्हें उम्मीद है कि उनका मामला भविष्य में दूसरों को इन सवालों से निपटने में मदद करेगा. नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी ने इस मामले पर सार्वजनिक रूप से कोई कॉमेंट नहीं किया है.
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