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उपेंद्र कुशवाहा ने बेटे को 'सेटल' कर दिया, लेकिन पार्टी बिगाड़ दी?

उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के 7 प्रमुख नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया है. 4 विधायकों के होने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाया था, जिससे नाराज होकर नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है.

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उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के 7 नेताओं ने इस्तीफा दिया (India Today)

बिहार चुनाव में मंत्री बने एक व्यक्ति से पूछा गया कि आप क्यों मंत्री बने? उनका जवाब था, “मेरे पिताजी से पूछिए कि मैं मंत्री क्यों बना.” चुनाव लड़ा नहीं. न विधानभा के सदस्य हैं, न विधान परिषद के. पार्टी में भी कोई बड़ा कद नहीं. फिर भी पार्टी के 4 जीते हुए विधायकों को ‘बाइपास’ कर उनके मंत्री बन जाने पर सवाल कैसे न उठते? हम राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश की बात कर रहे हैं. अब इस फैसले का असर भी दिखने लगा है. गुरुवार, 27 नवंबर को RLM के 7 नेताओं ने ये कहते हुए पार्टी छोड़ दी कि उपेंद्र कुशवाहा ‘सिर्फ अपने परिवार को आगे बढ़ा रहे’ हैं. इस्तीफा देने वाले नेताओं में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ के अलावा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र कुशवाहा भी शामिल हैं.

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RLM पर उसकी ही पार्टी के बड़े नेताओं के लगाए ये आरोप गंभीर इसलिए भी हैं, क्योंकि वह जिस गठबंधन से चुनाव लड़ती है उसकी एक बड़ी पार्टी है भाजपा. भाजपा के लीडर हैं नरेंद्र मोदी, जो देश के प्रधानमंत्री हैं. हालिया चुनाव में वह लगातार राष्ट्रीय जनता दल पर 'परिवारवाद' का आरोप लगाते रहे हैं. ऐसे में उनके ही सहयोगी दल के सबसे बड़े नेता पर ‘वंशवाद’ की राजनीति के आरोप ने विपक्ष को सरकार पर हमले का मौका दे दिया है.

बेटे को मंत्री बनाकर अपनी ही पार्टी में घिरे उपेंद्र कुशवाहा?

14 नवंबर, 2025 को बिहार चुनाव के नतीजों से साफ हो गया कि वहां इस बार भी सरकार नहीं बदल रही है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने 200 से ज्यादा सीटों का बड़ा बहुमत हासिल कर लिया. 20 नवंबर, 2025 को इस एनडीए सरकार के 22 मंत्रियों ने शपथ ली. एनडीए की अहम सहयोगी RLM के कोटे से उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को पंचायती राज विभाग का मंत्री बनाया गया. दीपक चुनाव नहीं लड़े थे. न तो वह विधायक हैं और न ही विधान परिषद के सदस्य. ये सब तब हुआ जब पार्टी के 4 विधायक चुनाव में जीतकर आए थे. उन्हें दरकिनार कर उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक को मंत्री बनाने का फैसला किया तो इसकी खूब आलोचना हुई.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले से नाराज पार्टी के जिन 7 नेताओं ने इस्तीफा दिया, उनमें पार्टी के आधिकारिक नंबर-2 के नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ के अलावा, 

- RLM के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र कुशवाहा, 
- राज्य महासचिव और प्रवक्ता राहुल कुमार, 
- राज्य महासचिव और नालंदा प्रभारी राजेश रंजन सिंह, 
- राज्य महासचिव और जमुई प्रभारी बिपिन कुमार चौरसिया, 
- राज्य महासचिव और लखीसराय प्रभारी प्रमोद यादव 
- और शेखपुरा जिला अध्यक्ष पप्पू मंडल शामिल हैं.

इस्तीफा देकर क्या बोले नेता?

इस्तीफे के बाद जितेंद्र नाथ ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के गैर विधायक बेटे का मंत्री बनना ‘सरासर पक्षपात’ है. उन्होंने कहा,

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मैं पिछले 9 साल से (उपेंद्र) कुशवाहा जी के साथ हूं और उनकी राजनीति को अच्छी तरह समझता हूं. जो व्यक्ति कभी खुद को (मुख्यमंत्री) नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी मानता था, वह 2020 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी (तब राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) को एक भी सीट न मिलने के बाद से ही अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर असमंजस में था. अब क्योंकि उन्हें अपने लिए आगे कोई भविष्य नहीं दिख रहा है, इसलिए वह अपने परिवार को आगे बढ़ाने की कोशिश में बेताब नजर आ रहे हैं.

वहीं महेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा समाजवाद की मूल विचारधारा को भूल गए हैं. उन्होंने नैतिक मूल्यों की बात तो की, लेकिन खुद उनका पालन नहीं किया. 

इन दोनों नेताओं के अलावा पार्टी के प्रवक्ता रहे राहुल कुमार ने कहा, 

उपेंद्र कुशवाहा वंशवाद की राजनीति के जाल में फंस गए हैं. अब उनमें, और सिर्फ अपने परिवार को आगे बढ़ाने वाले दूसरे नेताओं में कोई फर्क नहीं रहा. मेरे जैसे साधारण कार्यकर्ता के लिए RLM में कोई जगह नहीं है.

राज्य महासचिव रहे राजेश रंजन का कहना है कि उन्होंने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि वह उस पार्टी (RLM) की विचारधारा से सहमत नहीं थे जो अपने कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं देती है और सब कुछ परिवार को दे देती है.

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