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लिट्टी पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा की टेंशन बढ़ाई, RLM के तीन विधायक बगावती मोड में

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के विधायकों ने जिस तरह से पटना में आयोजित Upendra Kushwaha की लिट्टी पार्टी का बायकॉट किया और बीजेपी अध्यक्ष Nitin Nabin से मिले. उसके बाद से ही पार्टी में टूट को लेकर चर्चा तेज हो गई है.

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रामेश्वर महतो, आलोक सिंह और माधव आनंद (बाएं से दाएं) नितिन नबीन से मिलने पहुंच गए. (एक्स)

बिहार में विपक्ष में टूट के दावों के बीच सत्ता पक्ष में ही सियासी संग्राम छिड़ता दिख रहा है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा में टूट होती दिख रही है. 24 दिसंबर को उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पटना आवास पर डिनर पार्टी रखी. लेकिन पार्टी के तीन विधायक इससे गायब रहे. और बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मिलने पहुंच गए. इस घटनाक्रम ने सियासी अटकलों को सुर दे दिया है.

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बगावत की चर्चा क्यों?

लोकसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में अपने आवास पर 24 दिसंबर की शाम को लिट्टी पार्टी का आयोजन किया था. इस आयोजन में उन्होंने अपनी पार्टी के सभी विधायकों को भी बुलाया था. उनकी पार्टी के 4 विधायक है. उनमें एक उनकी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा हैं. भोज के लिए आमंत्रण दिए जाने के समय सभी विधायक पटना में थे. लेकिन पार्टी शुरू होने के कुछ घंटे पहले विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह दिल्ली निकल गए. दिल्ली जाने से पहले इन्होंने बीजेपी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन नबीन से उनके आवास पर मुलाकात की. इसके बाद से ही बगावत की चर्चा तेज हो गई.

उपेंद्र कुशवाहा से नाराजगी की वजह ?

बिहार में एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. कुशवाहा के खाते में एक मंत्री पद आया. उन्होंने अपने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनवा दिया, जबकि दीपक इसके पहले राजनीति में सक्रिय नहीं थे और वो किसी सदन के सदस्य भी नहीं हैं. इसके बाद से ही उनकी पार्टी के विधायकों की नाराजगी सामने आने लगी. पार्टी के जीते विधायकों में रामेश्वर कुशवाहा और माधव आनंद को लग रहा था कि मंत्री पद उनके खाते में आएगा. रामेश्वर महतो ने तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराजगी भी जताई थी. उन्होंने लिखा था, 

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राजनीति में सफलता केवल भाषणों से नहीं, बल्कि सच्ची नीयत और दृढ़ नीति से मिलती है. जब पार्टी नेतृत्व की नीयत धुंधली हो जाए और नीतियां जनहित से ज्यादा स्वार्थ की दिशा में मुड़ने लगे, तब ज्यादा दिनों तक भ्रमित नहीं रखा जा सकता.

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एक्स

रामेश्वर महतो के अलावा मधुबनी सीट से जीत कर आए माधव आनंद भी मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं. हालांकि डैमेज कंट्रोल के लिए माधव आनंद को विधायक दल का नेता बनाया गया लेकिन उनकी नाराजगी कम होती नहीं दिख रही है. माधव आनंद ने लल्लनटॉप से बातचीत में बताया,

 उपेंद्र कुशवाहा का बेटे को मंत्री बनाना एक आत्मघाती कदम है, इससे पार्टी के कार्यकर्ता और कुशवाहा समाज में आक्रोश है. यह केवल उपेंद्र कुशवाहा जी की पार्टी नहीं है. हमने नाराजगी जताई है, लेकिन हम अभी पार्टी के साथ हैं.

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टूट जाएगी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ?

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के विधायकों ने जिस तरह से उपेंद्र कुशवाहा की लिट्टी पार्टी का बायकॉट किया और बीजेपी अध्यक्ष नितिन नबीन से मिले. उससे सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है. तीनों विधायक एकजुट हैं और बिहार छोड़कर दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. माधव आनंद ने जिस तरह से कहा कि ये सिर्फ उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी नहीं है, इससे लग रहा कि उन्होंने अपने ऑप्शन खुले रखे हैं. और डैमेज कंट्रोल नहीं हुआ तो टूट के आसार ज्यादा है. दल बदल कानून के मुताबिक किसी पार्टी के कम से कम दो तिहाई विधायक दूसरी पार्टी में जाने के पक्ष में हैं तो वो ऐसा कर सकते हैं. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में फिलहाल 4 विधायक हैं. इस हिसाब से 3 विधायक दो तिहाई के बराबर होते हैं.

वीडियो: उपेंद्र कुशवाहा की नसीहत, 'JDU बचाना है तो निशांत को राजनीति में लाएं नीतीश'

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