आजमगढ़ की जेल में कैदियों ने सरकारी खाते से लाखों रुपये उड़ा दिए और किसी को भनक तक नहीं लगी. कैदियों ने जेल के अकाउंट ऑफिस के असिस्टेंट और गार्ड के साथ मिलकर पूरी गोलमाल की. मामला सामने आने के बाद जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है. उन पर ठीक ढंग से निगरानी न कर पाने और अपने काम में लापरवाही बरतने का आरोप लगा है.
कैदियों ने जेल के सरकारी खाते से उड़ाए 52 लाख रुपये, बहन की शादी की, बुलेट भी खरीदी, अब एसपी सस्पेंड
Azamgarh: आरोपियों ने एक-एक करके 52.85 लाख रुपये जेल के खाते से पार कर दिए. इनमें से एक ने 25 लाख से अधिक खर्च करके अपनी बहन की शादी कराई. बुलेट खरीदी. वहीं बाकी लोगों ने भी ऐशों आराम में पैसे खर्च किए. पढ़िए क्या है पूरा मामला.


दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक जेल DIG शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने जेल पहुंचकर 11 अक्टूबर को पूरे मामले की जांच की. इसके बाद शासन को रिपोर्ट सौंपी गई. जांच में पता चला कि जेल से छूटे कैदी रामजीत यादव और शिवशंकर यादव ने जेल के अकाउंट ऑफिस में तैनात असिस्टेंट मुशीर अहमद और गार्ड अवधेश कुमार के साथ मिलकर पूरा फर्जीवाड़ा किया.
कैसे निकालते थे पैसे?रिपोर्ट में सिटी एसपी मधुबन कुमार सिंह के हवाले से बताया गया है कि कैदी रामजीत यादव को मुशीर अहमद के रिकॉर्डर के रूप में रखा गया था. कैदी शिव शंकर यादव भी वहीं काम करता था. इसके बाद उन्होंने मुशीर और अवधेश के साथ मिलकर जेल अधीक्षक के सरकारी खातों के चेकबुक को निकाला. फिर उसमें जेल अधीक्षक की फर्जी साइन बनाकर बैंक से पैसे निकाल लेते थे. आरोपी पैसे आपस में बांट लेते थे.
जानकारी के अनुसार आरोपियों ने एक-एक करके 52.85 लाख रुपये जेल के खाते से पार कर दिए. इन पैसों से रामजीत यादव ने अपनी बहन की शादी कराई. इसमें 25 लाख से अधिक पैसे खर्च किए. वहीं 3 लाख 75 हजार रुपये की बुलेट बाइक भी खरीदी. इतना ही नहीं, जेल में रहने के दौरान जमानत और अन्य कामों के लिए 10 लाख रुपये उधार लिए थे, उसे भी चुका दिया. अब उसके खाते में 23 हजार रुपये बचे थे, जिसे पुलिस ने होल्ड कर लिया है.
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आरोपी गिरफ्तारवहीं अकाउंट असिस्टेंट मुशीर अहमद को भी 7 लाख रुपये मिले थे. उसने निजी कामों में ये पैसे खर्च किए. दूसरा कैदी शिव शंकर यादव भी उन रुपयों को अपने ऐशों-आराम के लिए खर्च कर रहा था. वहीं गार्ड अवधेश कुमार पांडे को भी 1.5 लाख रुपये मिले थे. आरोपी रामजीत यादव ने पुलिस को बताया कि उसके साथी जिला कारागार से ब्लैंक चेक निकाल कर लाते थे. फिर उसमें फर्जी मोहर लगाकर और जेल अधीक्षक की नकली साइन करके रुपए निकालते थे. पैसों को हम आपस में बांट लेते थे. फिलहाल चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
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