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सौरभ शुक्ला ने बताया फिल्में और पैसों के लिए जूझ रहे थे, रणबीर की वजह से हुआ कमबैक

सौरभ शुक्ला ने बताया कि उनके अंदर एक्टिंग का पैशन खत्म हो चुका था. आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि बमुश्किल गुज़ारा हो पा रहा था.

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सौरभ के मुताबिक, रणबीर अपने खानदान और फिल्म बैकग्राउंड को सर पर चढ़ने नहीं देते

Saurabh Shukla को बॉलीवुड के सबसे मंझे हुए कलाकारों में गिना जाता है. मगर एक दौर ऐसा आया, जब उनके भीतर से एक्टिंग का पैशन खत्म हो गया था. क्योंकि उन्हें मनमाफिक रोल्स नहीं मिल रहे थे. फिल्मों के साथ-साथ पैसों की भी तंगी चल रही थी. तब Ranbir Kapoor ने उनके अंदर के एक्टर को झकझोरा और एक्टिंग में उनकी वापसी करवाई.

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रणबीर और सौरभ ने 'बर्फ़ी', 'जग्गा जासूस' और 'शमशेरा' जैसी फिल्मों में साथ काम किया है. 'बर्फ़ी' में इन दोनों एक्टर्स की जुगलबंदी लोगों ने काफ़ी पसंद आई थी. मगर उस फिल्म से पहले तक सौरभ एक बुरे दौर से गुजर रहे थे. एक्टिंग को लेकर उनमें कोई इंट्रेस्ट नहीं बचा था. खासकर इसलिए क्योंकि उन्हें लगातार एक ही तरह के रोल ऑफर हो रहे थे.

लगभग उसी दौरान अनुराग बासु ने उन्हें 'बर्फ़ी' (2012) ऑफर की. फिल्म में निभाए गए इंस्पेक्टर सुधांशु दत्ता के किरदार ने उनके करियर को दोबारा पटरी पर लाने में मदद की. ANI से हुई बातचीत में वो बताते हैं,

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"मैं रणबीर से 'बर्फ़ी' के दौरान मिला था. जब अनुराग बासु ने मुझे ये फिल्म ऑफ़र की, तो उस वक्त मैं एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा था. तब तक मैं काफ़ी निराश हो चुका था. लोग कहते थे-‘सौरभ, तुम बहुत अच्छे एक्टर हो'. लेकिन जब काम आता तो वो ज्यादातर कैमियोज़ ही होते. एक दिन की शूटिंग होती थी और उस एक दिन में कोई क्या कर सकता है? ना तो रोल बड़ा होता था, ना ही एक्टिंग दिखाने का मौका मिलता था."

saurabh shukla
‘बर्फ़ी’ के एक सीन में सौरभ शुक्ला और रणबीर कपूर.

सौरभ ने बताया कि छोटे रोल्स मिलने के कारण उन्हें पैसे भी नहीं मिलते थे. ऐसे में उनका गुज़ारा भी मुश्किल से हो पा रहा था. वो बताते हैं,

"मैं सच में बहुत स्ट्रगल कर रहा था. इसलिए मैंने लोगों से कहना शुरू कर दिया कि मैं एक्टिंग नहीं करता. मैं एक्टर नहीं हूं. मैं एक राइटर हूं और मैंने फिल्में बनाई हैं. जब अनुराग ने मुझे ये फिल्म (बर्फ़ी) ऑफर की, तो मेरी पहली बात यही थी- ‘अनुराग, मुझे तभी कॉल करना जब तुम्हारे पास मेरे लिए कुछ ऐसा हो जो करने लायक हो. वरना कॉल मत करना’. मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि उन्होंने इसे गलत ढंग से नहीं लिया. उन्होंने कहा- ‘सर, अगर मेरे पास आपके लिए कुछ अच्छा नहीं होता, तो मैं आपको क्यों कॉल करता?’ उन्होंने मुझे वो फिल्म दी, जो बहुत कमाल की है."

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सौरभ ने बताया कि उस समय तक एक्टिंग का काम उनके लिए काफ़ी मैकेनिकल हो चुका था. ऐसे में वो रणबीर ही थे, जिन्होंने उनके अंदर इस क्राफ्ट को लेकर दोबारा पैशन जगाया. रणबीर का ज़िक्र करते हुए वो कहते हैं,

"वो बहुत ही चार्मिंग था. जवान, बातों और सपनों से भरा हुआ. उसके साथ बैठकर भी मैं काफ़ी इंजॉय करता. वो सिर्फ़ पढ़ा-लिखा भर नहीं था बल्कि उसके साथ किसी भी विषय पर चर्चा की जा सकती थी. यंग लोगों में एक मासूमियत भी होती है. जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे सोच-विचार थोड़े भारी हो जाते हैं. लेकिन वो बहुत जवान था. उसके साथ बैठकर बातें करना मुझे अच्छा लगा. हमारे बीच म्यूचुअल रिस्पेक्ट था. एक्टिंग करते हुए वो कुछ करता और मैं उससे कुछ सीखता. इससे मेरी एक्टिंग में दिलचस्पी फिर से जगी. मैंने फिर से ये सोचना शुरू किया कि हां, वाकई बड़ी मज़ेदार चीज़ है. बस तब से मैं लगातार एक्टिंग कर रहा हूं."

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‘शमशेरा’ के एक सीन में सौरभ शुक्ला और रणबीर कपूर.

सौरभ ने ये भी बताया कि रणबीर भले ही एक बहुत बड़े फिल्मी परिवार से आते हों मगर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है. वो अपने खानदान और बैकग्राउंड को अपने सर पर चढ़ने नहीं देते. यही बात उनकी एक्टिंग में भी खुलकर नज़र आती है. 

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